Sunday, June 8, 2025
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बसपा के ब्राह्मण कार्ड की काट करेंगे खुद सीएम योगी

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद चुनाव मैदान में उतरेंगे  
  • डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, जतिन प्रसाद जैसे दिग्गज लड़ेंगे चुनाव
  • एमएलसी, मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष भी खोलेंगे चुनावी मैदान में मोर्चा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भले ही विधान सभा चुनाव भले हो अगले वर्ष 2022 में होने हैं लेकिन सभी राजनैतिक दलों ने चुनावी मोर्चा अभी से खोल दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती के ब्राह्मण कार्ड का जवाब देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के सभी दिग्गज चुनावी मैदान में उतरेंगे।

हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा विष्णु महेश है, का नारा एकबार फिर यूपी में गूंज रहा है। 2007 में उत्तर प्रदेश में पहली बार बसपा ने पहली बार इस नारे के जरिये ‘सोशल इंजीनियरिंग’ जैसी शब्दावली गढ़ी थी। उस समय बसपा चुनावों में अपने परंपरागत दलित वोट बैंक के साथ-साथ ब्राह्मणों को भी काफी हद तक साथ लाने में कामयाब रही थी। नतीजा- बसपा की सरकार बनी थी, मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं। बसपा ने 2022 के विधान सभा चुनाव में एकबार फिर पुराना आजमाया फार्मूला इस्तेमाल करने की कवायद शुरू की है।  ब्राह्मणों को साथ लाने के मकसद से पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने इसकी अयोध्या से शुरुआत की है। बसपा ने ये ऐलान भी किया कि पार्टी ब्राह्मण सम्मेलन को अयोध्या के बाद काशी, मथुरा और चित्रकूट तक लेकर जाएगी. 23 जुलाई से 29 जुलाई तक अलग-अलग जगहों पर ये सम्मेलन किए जाएंगे।

बसपा अयोध्या, मथुरा और काशी के जरिये भाजपा को उसके गढ़ में चुनौती देना चाहती है। दूसरी भाजपा ने अपने परंपरागत ब्राह्मण वोटरों को रिझाने के लिए विधान सभा से लेकर बूथ तक रणनीति बनाई है। भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में इसकी मुहर भी लगाई जाएगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खुद प्रचार की कमान संभालेगा। राष्ट्र की नीतियों को लेकर घर- घर जाकर लोगों तक बात पहुंचाई जाएगी। विधान सभा के लेकर वार्ड और बूथ स्तर तक कार्यकर्ता प्रदेश सरकार के कार्यों को जनता तक ले जाएंगे। दूसरी भाजपा ने अपने सभी दिग्गजों को विधान सभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा इस बार खुलकर मैदान में लड़ेंगे। पार्टी ने ये रणनीति 2017 के विधान सभा चुनाव के हटकर अपनाई है। पिच्छले विधान सभा चुनाव में इन दिग्गजों ने चुनाव न लड़कर प्रचार का जिम्मा उठाया था। उस समय मुख्यमंत्री गोरखपुर से सांसद थे जबकि डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर थे। इसी प्रकार डिप्टी सीएम केशव मौर्य सांसद और प्रदेश अध्यक्ष थे। बाद में सभी को एमएलसी बनाकर सदन में भेजा गया था। हालांकि आने वाले विधान सभा चुनाव में पार्टी की रणनीति है कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं को चुनाव लड़वाया जाए। उनका इस्तेमाल प्रचार से लेकर मैदान तक किया जाए।

इसीलिए पार्टी में शामिल हुए नेता जतिन प्रसाद को प्रदेश में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश किया जा रहा है। उनको पार्टी चुनाव मैदान में उतारेगी। पार्टी ने पिछले काफी समय से ठंडे बस्ते में पड़े वरिष्ठ नेता लक्ष्मीकान्त वाजपेई को भी महत्व देना शुरू कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से लेकर सभी बड़े नेता वाजपेई से उनके घर जाकर मिल चुके हैं। इसके अलावा दिनेश शर्मा को भी पार्टी ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पेश कर रही है। उधर भाजपा सरकार के ब्राह्मण विरोधी आरोप की हवा निकालने की भी तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद परंपरागत वोटरों को रिझाने का जिम्मा लेंगे। सभी राजनैतिक दल ब्राह्मणों को रिझाने में इसलिए जुटे हैं क्योंकि ब्राह्मण वोट बैंक यूपी के लगभग हर जिले में है। पूर्वांचल यानी फैजाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, गाजीपुर, गोंडा, बस्ती, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, जौनपुर जैसे जिले ब्राह्मण वोट बैंक का गढ़ माने जाते हैं। मध्य यूपी यानी कानपुर, रायबरेली, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, हरदोई, इलाहाबाद, सुल्तानपुर, प्रतापगढ, अमेठी आदि जिले भी इस वोट बैंक का गढ़ हैं। इसी तरह बुंदेलखंड जोन यानी हमीरपुर, हरदोई, जालौन, झांसी, चित्रकूट, ललितपुर, बांदा आदि इलाके ब्राह्मण वोटर्स का केंद्र हैं। प्रदेश की दस फीसदी से ज्यादा ब्राह्मण आबादी कई जिलों में निर्णायक भूमिका निभाती है। ऐसे भाजपा, सपा और बसपा अपने- अपने तरीके से इस वोट को अपने पाले में लाना चाहते हैं। भाजपा ने फिलहाल अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारने की रणनीति बनाकर विरोधियों के लिए कठिन चुनौती देने का निर्णय ले लिए है।

ओलंपिक मैडल जीतने को भारत का शानदार आगाज

गौरवशाली अतीत की धरोहर और पिछले कुछ अर्से के शानदार प्रदर्शन से मिले आत्मविश्वास के दम पर चार दशक बाद ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना साकार करने भारतीय टीम मैदान में उतर गई है । पुरुष हॉकी के शुरुआती मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को 3-2 से हराया। भारत ने शानदार शुरुआत करते हुए ओलंपिक का आगाज जीत से किया है. भारत की जीत के हीरो रहे हरमनप्रीत, जिन्होंने दो गोल दागे।

रियो से टोक्यो ओलंपिक तक विश्व रैंकिंग में चौथे स्थान पर पहुंची भारतीय टीम ने परिपक्वता का एक लंबा सफर तय किया है। दस युवा खिलाड़ियों से सजी यह टीम विरोधी के रसूख से खौफ नहीं खाती और मानसिक रूप से काफी दृढ़ है। कोच ग्राहम रीड के अनुसार, ”महामारी के दौर में मानसिक दृढता खेल में सफलता की कुंजी साबित होगी और इसमें भारतीय खिलाड़ियों का कोई सानी नहीं। पिछले 15. 16 महीने काफी कठिन रहे और मुझे भारतीय खिलाड़ियों को करीब से समझने का मौका मिला। मुझे यकीन है कि इसी दृढ़ता के दम पर वे कामयाबी की नयी कहानी लिखेंगे। ” कप्तान मनप्रीत का मानना है कि बड़ी टीमों को हराने के बाद खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ा है और कोरोना के बावजूद फिटनेस के मामले में यह टीम किसी से कम नहीं।  

न्यूज़ीलैंड के खिलाफ रुपिंदरपाल सिंह ने एक गोल किया। रुपिंदर ने जहां 10वें मिनट में गोल किया वहीं हरमनप्रीत ने 26वें और 33वें मिनट में गोल कर भारत को जीत दिलाई, पहले क्वार्टर में दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर थीं, इसके बाद भारत ने लगातार बढ़त बनाए रखा. न्यूजीलैंड की ओर से केन रसेल ने छठे और स्टीफन जेनेस ने 43वें मिनट में गोल किया। पूल-ए में अब भारत का अगला मैच ऑस्ट्रेलिया से 25 जुलाई को है।  ऑस्ट्रेलिया ने आज अपने पहले पूल मैच में मेजबान जापान को 5-3 से हराया।

विशेष : क्या सबसे बड़ा रुपैया ?

वर्ष 1976 में हिन्दी सिनेमा के सुप्रसिद्ध हास्य अभिनेता महमूद द्वारा निर्मित फिल्म ‘’ सबसे बड़ा रुपैया ‘’ का टाइटल सॉन्ग ‘’ ना बीवी ना बच्चा, ना बाप बड़ा ना मैया, द होल थिंग इज़ दैट के भैया सबसे बड़ा रुपैया’’ भले ही कॉमेडी के अंदाज़ में फिल्माया गया हो लेकिन इस गीत के बोल कानों में पड़ते ही लोग अकसर किसी सोच में पड़ जाते हैं। यह फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर कमाल ना कर सकी हो लेकिन इसके गाने बेहद लोकप्रिय रहे ।

इस फिल्म में इंसान के जीवन में धन – दौलत, मानवीय भावनाओं और रिश्तों पर बहुत सहजता से प्रकाश डाला गया है। फिल्म का नायक अमित राय एक बेहद रईस व्यक्ति है लेकिन रईस होने के साथ – साथ वह उदार, सहृदय और ईमानदार भी है । वो हमेशा सबकी सहायता के लिए तैयार रहता है। वह लोगों की व्यक्तिगत रूप से और व्यवसाय में काफी मदद करता है । उसकी इस दरियादिली के लिए उसका दोस्त नेकीराम उसे आगाह करता है लेकिन वह उसकी बात सुनी – अनसुनी कर देता है। एक दिन उसकी सारी संपत्ति चली जाती है । यहाँ तक कि उसका घर और समान तक नीलम हो जाता है । ऐसे बुरे वक़्त में कोई उसका साथ नहीं देता । उसने कारोबार में जिन लोगों की मदद की होती है वो उससे मुह मोड़ लेते हैं। उसकी मंगेतर भी उसे छोड़ जाती है । अगर कोई उसके साथ रह जाता है तो उसकी विधवा माँ और अविवाहित बहन । वह उनके साथ समुद्र के किनारे जा कर रहने लगता है और मछली पकड़ कर अपनी आजीविका चलाने लगता है। कुछ समय बाद उसे पता चलता है की उसकी बर्बादी भाग्यवश नहीं हुई थी बल्कि कुछ लोगों ने जानबूझ कर उसे इस कगार पर पहुंचाया था।

दरअसल इस दुनिया में हर इंसान के मानवीय मूल्य और भावनाएं एक जैसी नहीं होती । आज के आधुनिक युग में हर कोई पद – प्रतिष्ठा, ऐशो- आराम और सुख- सुविधाएं पाना चाहता है। जो जिस काम के लायक नहीं है वो काम करना चाहता है । प्रतिभाहीन, मूल्यविहीन और दुश्चरित्र लोग सच्चे, ईमानदार और प्रतिभाशाली लोगों को छल – बल से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हराने की कोशिश करते हैं । लोग रिश्तों का आवरण ओढ़ कर किसी व्यक्ति का आर्थिक शोषण करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते है। ऐसे में कोमल भावनाएं रखने वाले परोपकारी और सहृदय व्यक्ति को कदम – कदम पर चोट लगती है और दुःख सहना पड़ता है।

जीवन में अक्सर हम खुद को इस कशमकश में फंसा पाते हैं कि हमारी प्राथमिकता आखिर क्या है? हमारे लिए रिश्ते अधिक महत्वपूर्ण हैं या पैसा ? यह सवाल आसान नहीं है । पैसा निसंदेह हमारी बहुत सी जरूरतों को पूरा करता है । धन या पैसे से ही हमारी पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा होती है लेकिन पैसे से क्या सब कुछ हासिल किया जा सकता है ? क्या पैसे से प्यार खरीदा जा सकता है? क्या पैसा किसी निस्वार्थ और सच्चे रिश्ते की बुनियाद हो सकता है? अगर किसी औरत का पति उसे तमाम ऐशो- आराम और धन-दौलत देता है लेकिन समय नहीं देता और दूसरी औरतों में दिलचस्पी लेता है तो क्या वो खुश रह सकती है? यह हम सभी जानते है कि नहीं ऐसा बिलकुल संभव नहीं है । दरअसल किसी रिश्ते के पनपने और कायम रहने के लिए दोनों पक्षों में एक चाहत, एक लगाव और प्यार होना अनिवार्य है सिर्फ पैसे के आधार पर रिश्ते नहीं बनाए जा सकते और ना ही निभाए जा सकते हैं।
जब हम इस दुनिया में आते हैं तो हमारे कुछ रिश्ते तो जन्मजात होते हैं । जन्म से ही माँ की हम पर स्नेहवर्षा करने लगती हैं। हमारी हर ज़रूरत का हर पल ध्यान रखती है। पिता हमारे लिए एक संबल होते हैं । माता- पिता चाहे अमीर हों या गरीब अपने बच्चे का लालन – पालन बेहद लाड़-प्यार से करते हैं। हो सकता है कि अमीर पिता अपने बच्चे के लिए कुछ ज़्यादा सुख सुविधाएं जुटाने में सक्षम हो लेकिन गरीब पिता भी जहां तक संभव होता है अपने बच्चे के लिए सबकुछ करता है। दरअसल मातृत्व और पितृत्व एक भावना है। ये अनमोल रिश्ते हैं, जो हर किसी को ईश्वर का वरदान हैं लेकिन क्या माता-पिता के अलावा अन्य रिश्ते चाहे वो खून के हों या दुनियावी निस्वार्थ होते हैं ? मेरे खयाल से नहीं। पैसे के अभाव में बहुत से रिश्ते टूट जाते हैं , बिखर जाते हैं।

अरसल पैसे की अपनी अहमियत है और रिश्तों का अपना महत्व है लेकिन दोनों सापेक्ष हैं। बहुत बार हमारे करीबी रिश्तेदारों या दोस्तों को किसी गंभीर बीमारी के लिए महंगे इलाज की आवश्यकता होती है। हम उसकी मदद करना चाहते हैं लेकिन धन के अभाव में नहीं कर पाते । ऐसे में हमें उसकी हालत को देख कर जितना दुःख होता है उतना ही दुःख अपनी तंगहाली पर भी होता है। पर सवाल यह उठता है कि क्या हमारे अलावा उस व्यक्ति का कोई अन्य रिश्तेदार, मित्र या सगा संबंधी क्या इतना सक्षम नहीं था कि उसकी सहायता कर पाता? निसंदेह ऐसे लोग थे जिनके पास लाखों क्या करोड़ों रुपये थे पर अगर कुछ नहीं था तो सहायता करने कि इच्छाशक्ति या जज़्बा । स्पष्ट है कि धन हमें किसी के जीवन को बेहतर बनाने या उसकी मदद करने के लिए सामर्थ्यवान ज़रूर बनाता है लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति नहीं प्रदान करता । यह इच्छाशक्ति प्रेम, लगाव, समर्पण, त्याग और ज़िम्मेदारी की भावना से उत्पन्न होती है और बलवती होती है।
समाज में चलन है कि ज़्यादातर लोग धनी, नामचीन और रसूख वाले लोगों के साथ बोलचाल, दोस्ती या रिश्तेदारी रखना चाहते हैं। यदि आप अच्छी कमाई करते हैं और लोगों को समय नहीं दे पते तो भी ज़रूरी नहीं कि आपके उनसे संबंध विच्छेद हो जाएँ। समाज में लोग इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि कोई व्यक्ति अगर काम – काज में व्यस्त है और रोजाना उसे फोन नहीं कर पा रहा है तो इसमें उसकी कोई गलती नहीं है। काम के दबाव और अति व्यस्तता के कारण वह ज़्यादा लोगों से संपर्क नहीं कर पा रहा होगा।
अखबारों में और आम जिंदगी में हम अक्सर यह सुनते हैं कि अमुक विवाहित महिला या लड़की को उसके ससुराल वाले तंग करते हैं । पिछले दिनों मुझे अपनी एक सहेली से पता चला कि हमारी एक अन्य बचपन की सहेली काफी दिक्कत में है । उसका पति और सास उससे घरेलू नौकर की तरह व्यवहार करते हैं । पति उसे घर के खर्च के लिए एक –एक पैसा गिन कर देता है। उसके खाने-पीने पर भी टोका – टाकी की जाती है। जो कपड़े वो पहनती है वो भी उसकी बड़ी बहन उसे खरीद कर भेजती है। यह सब सुन कर मुझे बहुत दुःख हुआ । मैंने मन में सोचा इतने अच्छे घर की लड़की जिसकी बहन एक प्रतिष्ठित डॉक्टर है और भाई एक बड़ा इंजीनियर आखिर इस हालत में क्यों और कैसे है? एक दिन उसने मुझे खुद फोन किया और अपनी पिछली और वर्तमान ज़िंदगी के बारे में बहुत कुछ बताया। उसने बताया कि उसके पति काफी पढे लिखे हैं । वो देश के शीर्ष प्रबंधन संस्थान आई .आई. एम से पढे हैं । सरकारी नौकरी में अच्छे पद पर हैं । शादी के बाद वो स्वयं भी शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में अध्यापिका थी लेकिन छोटा बेटा होने के बाद उसके पति और सास ने उस पर नौकरी छोडने के लिए दबाव डाला । उसने उनकी बात मान कर नौकरी छोड़ दी । इसके बाद बच्चे की देखभाल के साथ – साथ घर की सारी ज़िम्मेदारी उस पर आ गयी । चाय – पानी पकड़ाने में उसे अगर एक मिनट की भी देरी हो जाती तो सास खरी खोटी सुनाती और शाम को पति से शिकायत भी करती । धीरे- धीरे पति -पत्नी के संबंध खराब होते गए। आजीविका का अपना कोई साधन ना होने और दो बच्चों की माँ होने के कारण अब वो पति को तलाक भी नहीं दे सकती । मजबूरन बुरा बर्ताव सहना और अपशब्द सुनना उसकी नियति बन गयी है। स्पष्ट है कि विवाहित महिलाएं या लड़कियां अगर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर ना हों और ससुराल वाले बुरे निकाल जाएँ तो उन्हें एक दयनीय जीवन जीना पड़ता है। तो पैसा वास्तव में शक्ति है। यह आपको विकल्प प्रदान करता है। अगर कोई महिला आप अपनी आजीविका स्वयं चला सकती हैं तो वह अपेक्षाकृत आसानी से अपमानजनक रिश्ते से बाहर निकल सकती हैं।
आर्थिक स्वतन्त्रता दरअसल जीवन जीने की स्वतन्त्रता है हालांकि अक्सर लोगों को यह भी कहते सुना है ‘’ पैसे से खुशी नहीं खरीदी जा सकती।‘’ पैसा एवं दुनिया भर के ऐशो – आराम मिलने के बाद भी लोग खुश नहीं होते। उन्हें जीवन में प्यार की, स्नेहिल स्पर्श की, ममता की या अन्य भावनाओं की ज़रूरत होती है। हम जिन्हें प्यार करते हैं पैसे से कुछ चीजें ला कर उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं लेकिन क्या हमारे सारे संबंधियों को हमारे पैसे या उपहारों की ही ज़रूरत होती है? इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास बहुत कम पैसा और संसाधन हैं लेकिन फिर भी वो खुश है। पर तमाम अभावों में भी वो खुश कैसे रह पते हैं? दरअसल उनके पास परिवार, दोस्त और प्यार है। बहुत से लोगों के लिए प्रेम दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है। अगर किसी के पास बहुत सारा पैसा है लेकिन खुशियाँ बांटने वाला कोई नहीं तो वह व्यक्ति खुश नहीं रह सकता ।

यह सच है कि निस्वार्थ प्रेम से बड़ी इस दुनिया में कोई चीज़ नहीं लेकिन इंसान को इस बात की समझ अवश्य होनी चाहिए कि कौन वास्तव में उससे प्यार करता है और उसका शुभचिंतक है । इस बात को लेकर हमेशा सतर्क रहना चाहिए कि कहीं कोई रिश्तों की आड़ ले कर उसका नाजायज फायदा तो नहीं उठा रहा? हर व्यक्ति को सबसे पहले अपनी सेहत पर फिर अपने काम पर और उसके बाद अपने रिश्तों पर ध्यान देना चाहिए । प्राथमिकता के इस क्रम को निर्धारित करने के पीछे मेरा यह मानना है कि अगर कोई शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होगा तभी वह काम कर सकेगा और धनार्जन कर सकेगा। स्वस्थ और आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्ति ही दोस्तों और रिशतेदारों की मदद कर सकता है । जो स्वयं लाचार होगा वो दूसरों के लिए क्या करेगा? निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि जीवन में पैसा और रिश्ते दोनों आवश्यक है और यद्यपि आज के समय में रिश्ते पैसे पर अधिक अवलंबित हैं क्योंकि दुनिया ने काफी भौतिक तरक्की कर ली है और इस दुनिया में हर कोई हर किसी से निस्वार्थ प्रेम नहीं करता।

राखी बख़्शी

किताब लिखने से पहले रिटायर्ड अफसरों को दस बार सोचना होगा

अगर कोई सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) अधिकारी अपने पूर्व संगठन के बारे में कुछ संवेदनशील लिखने की योजना बना रहे हैं तो अब उनके लिए नियम बदल गए हैं। सरकार ने ये बात संसद में कही। केंद्र ने पिछले महीने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 में संशोधन किया, जिसके तहत सुरक्षा और खुफिया संगठनों के सेवानिवृत्त अधिकारियों को संगठन के डोमेन से संबंधित कुछ भी प्रकाशित करने से रोकना है। नियम के तहत किसी भी कर्मचारी और उसके पदनाम के बारे में संदर्भ या जानकारी, और उस संगठन में काम करने के दौरान मिली जानकारी या अनुभव को संगठन के प्रमुख की पूर्व मंजूरी के बगैर प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। अगर कोई ऐसा करता है तो उसकी पेंशन रोकी जा सकती है।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में कहा कि संशोधन से पहले ये पूरी तरह अधिकारी पर निर्भर था कि वह तय करे कि प्रकाशित सामग्री निर्धारित निषिद्ध श्रेणी में आती है या नहीं, अगर अधिकारी को लगता था कि वो जो कुछ प्रकाशित करने जा रहा है वो निषिद्ध श्रेणी में नहीं आता है तो वो बगैर सरकारी अनुमति के उसे प्रकाशित कर सकता था।

सिंह ने कानून के बचाव में तर्क देते हुए कहा कि, आगे चलकर सरकार इस नतीजे पर पहुंची कि प्रकाशित सामग्री जो निषिद्ध श्रेणी में आती है उसके प्रकाशन से राष्ट्र की प्रतिष्ठा की क्षति पहुंचती है, ऐसा पहले हो भी चुका है. ऐसे हालात पर लगाम लगाने के लिए कानून में ये संशोधन किया गया है। कई सेवानिवृत्त अधिकारियों ने इस कानून के खिलाफ चिंता जाहिर करते हुए इसे अनुचित और भावनाओं पर पाबंदी लगाने वाला बताया।

कैप्टन का मिल ही गया साथ, सिद्धू पंजाब कांग्रेस के सरताज

लंबी आपसी खिंचतान के बाद आखिरकार पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच रस्साकसी थम गई। शुक्रवार को सुबह पहले कैप्टन ने सिद्धू को चाय पर आमंत्रित किया। बाद में प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने वाले सिद्धू के साथ मौके पर खड़े नजर आए। कैप्टन ने इस मौके पर कहा कि जब सिद्धू का जेएनएम हुआ तब उनका सेना में कमीशन हुआ था। सिद्धू ने भी कहा कि वो सबका आशीर्वाद लेकर पंजाब को प्रगति कि ओर ले जाएंगे। सभी मसलों को हल करेंगे।

उधर पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ 80 में से 58 विधायकों के खड़े होने की एक तस्वीर से साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पक्षधर बने रहे कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा, मनीष तिवारी, रवनीत बिट्टू, गुरजीत औजला व अन्य जनभावनाओं को पढ़ने में विफल रहे. जबकि सत्ता विरोधी लहर को भांपते हुए विधायकों ने पीसीसी अध्यक्ष के बदलाव का पूरी तरह स्वागत किया. जानकारों का कहना है कि पंजाब में सियासी समीकरण अचानक इस कदर बदले कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास भी आलाकमान का हुक्म बजाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।

सुप्रीम कोर्ट : गरीब और अमीरों के लिए अलग अलग कानून प्रणाली नहीं हो सकती

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में दो समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती हैं। एक अमीर लोगों के लिए जिन्हें खूब सारे संसाधन उपलब्ध हैं और वो राजनीतिक तौर पर भी ताकतवर हैं। दूसरा गरीब और छोटे लोग जो संसाधनों से वंचित हैं। न्यायालय ने ये भी कहा कि ‘जिला न्यायपालिका से औपनिवेशिक सोच’ को भी हटाना होगा, जिससे कि नागरिकों के विश्वास को बचाया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जब न्यायाधीश ‘सही के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें निशाना बनाया जाता है’।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या मामले में मध्य प्रदेश में बसपा (बहुजन समाज पार्टी) विधायक के पति को दी गई जमानत को खारिज करते हुए बृहस्पतिवार को ये अहम टिप्पणियां कीं. सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

न्यायालय ने कहा कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका लोकतंत्र का आधार है और इस पर किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए. न्यायालय ने कहा, ‘भारत में अमीर, संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों और न्याय तक पहुंच एवं संसाधनों से वंचित ‘छोटे लोगों’ के लिए दो अलग-अलग समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती’. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘दोहरी व्यवस्था की मौजूदगी कानून की वैधता को ही खत्म कर देगी. कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध होने का कर्तव्य सरकारी तंत्र का भी है.’

‘जिला न्यायपालिका पर ध्यान देना होगा’

पीठ ने कहा कि जिला न्यायपालिका नागरिकों के साथ संपर्क का पहला बिंदु है. पीठ ने कहा, ‘अगर न्यायपालिका में नागरिकों का विश्वास कायम रखना है तो जिला न्यायपालिका पर ध्यान देना होगा.’ शीर्ष अदालत ने कहा कि निचली अदालतों के न्यायाधीश भयावह परिस्थितियों, बुनियादी ढांचे की कमी, अपर्याप्त सुरक्षा के बीच काम करते हैं और न्यायाधीशों को सही के लिए खड़े होने पर निशाना बनाए जाने के कई उदाहरण हैं. पीठ ने कहा कि दुख की बात है कि स्थानांतरण और पदस्थापना के लिए उच्च न्यायालयों के प्रशासन की अधीनता भी उन्हें कमजोर बनाती है.

भारतीय क्रिकेटरों में ब्राह्मण- राजपूत बताने की होड

  • पूर्व भारतीय बल्लेबाज सुरेश रैना के ‘मैं भी ब्राह्मण हूं’ ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा ने लिखा ‘राजपूत बॉय’ फोरएवर

टीम इंडिया के खिलाड़ियों में आजकल अपनी जाति बताने की होड़ शुरू हो गई है। इसको कुछ लोग पसंद कर रहे हैं तो कुछ को खिलाड़ियों का उनकी जाति बताना अच्छा नहीं लग रहा है। ऐसे में पूर्व भारतीय बल्लेबाज सुरेश रैना का ‘मैं भी ब्राह्मण हूं’वाले बयान पर अभी विवाद थमा भी नहीं था कि टीम इंडिया के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा अपने एक ट्वीट को लेकर ट्रोल होने लगे। जडेजा इस वक्त इंग्लैंड दौरे पर हैं और उन्होंने वहां से एक ट्वीट शेयर किया. इसमें उन्होंने लिखा कि राजपूत बॉय फोरएवर. यानी हमेशा के लिए राजपूत. जय हिंद!. जडेजा का यह ट्वीट लोगों को पंसद नहीं आया और ट्विटर यूजर्स के निशाने पर आ गए. लोग उन्हें जातिवाद को बढ़ावा न देने की नसीहत देने लगे।

जडेजा के ट्वीट पर एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि सर आप लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं. आप से हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी. आपका रंग, रूप और धर्म मायने नहीं रखता. हम आपको हमेशा से प्यार करते रहे हैं. एक अन्य यूजर ने लिखा कि देश जातिवाद के चक्कर में बर्बाद हो रहा है. जड्डू से ऐसी पोस्ट की उम्मीद नहीं थी. ऊंचे मुकाम पर पहुंचने के बाद भी वो जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हैं. शर्मनाक!

भारत की संसद में जासूसी की गूंज, इज़राइल कराएगा जांच

भारत में संसद के मानसून सत्र में अब तक केवल कथित रूप से नेताओं और मीडिया की जासूसी का मुद्दा ही गूंज रहा है। विपक्ष ने सरकार पर जासूसी का आरोप लगाते हुए अब तक संसद नहीं चलने दी है। आपको जानकार हैरानी होगी कि केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 17 मीडिया संस्थानों ने मिलकर पेगासस प्रोजेक्ट का खुलासा किया है, जिसमे दावा किया गया है कि दुनियाभर के 50 हजार फोन को टैप किया गया है। भारत में भी 300 लोगों के फोन को टैप किए जाने का दावा किया गया है।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत में सियासी पारा काफी बढ़ गया है और विपक्ष लगातार सरकार को इस मसले पर घेर रहा है और इसकी जांच की मांग कर रहा है। हालांकि भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि यह रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार है और इसमे कोई तथ्य नहीं है। लेकिन अब पूरे मामले की इजराइल जांच करने की योजना बना रहा है।

बता दें कि पेगासस एनएसओ कंपनी का स्पाइवेयर है जिसका इस्तेमाल फोन को टैप करने के लिए किया जाता है। यह इजराइल की कंपनी है। कंपनी का दावा है कि हम यह स्पाइवेयर सिर्फ देश की सरकार को देते हैं जिसका इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए किया जाता है। लेकिन जिस तरह के सनसनीखेज आरोप लगे हैं उसके बाद माना जा रहा है कि इजराइल वरिष्ठ मंत्रियों की टीम का गठन इन आरोपों की जांच के लिए करने जा रहा है।

ब्रिटेन, अमेरिका के बाद भारत में करोना की तीसरी लहर की आहट

ब्रिटेन, अमेरिका और रूस समेत कई बड़े देशों में कोरोना के बढ़ते आंकड़े भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाले हैं। भारत में करीब 68 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिली है, इसके बावजूद कोरोना के आंकड़ों का 40 हजार के आसपास रुक जाना किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि कोरोना के आंकड़े जिस तरह से स्थिर हो गए हैं, उसे देखने के बाद संभावना है कि आंकड़ों में बहुत जल्दा बढ़ोत्तडरी देखने को मिले।

देश में अब कोरोना की तीसरी लहर के आने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में लोगों की लापरवाही इस लहर को भी दूसरी लहर की तरह ही खतरनाक बना सकती है। ज्‍यादा भीड़भाड़ कोरोना को और भी ज्‍यादा बढ़ा सकती है. अगर लोग कुछ दिन और कोरोना गाइडलाइन का पालन करें तो कोरोना की तीसरी लहर से बचा जा सकता है. सीरो सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 40 करोड़ लोग कोरोना संक्रमण से बचे हुए हैं और उन्‍होंने अभी तक टीका भी नहीं लगवाया है।

कोरोना की दूसरी लहर के बाद किए गए सीरो सर्वे में देश के 68 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई है। इसमें वो लोग भी शामिल हैं, जिन्‍हें टीका लगाया जा चुका है. इसके बावजूद देश के 13 राज्‍यों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्‍या में बढ़ोत्‍तरी दर्ज की जा रही है. केरल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा के अलावा पूर्वोत्तर के कई राज्यों में जिस तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं वह डराने वाले हैं।  

राजस्थान से मेघालय तक भूकंप से कांपी धरती

देश का उत्तर और पूर्वी भाग भूकंप के झटकों से कांप रहा है। राजस्थान से लेकर मेघालय तक बीते दिन से अब तक भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बीकानेर में आज फिर भूकंपन हुआ। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, इस भूकंप की रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 4.8 थी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के सेंटर द्वारा बताया गया कि, भूकंप आज सुबह 7:42 बजे आया, जो हालांकि बीकानेर शहर से दूर था। इससे एक दिन पहले इससे भी ज्यादा तीव्रता का भूकंप आया था।

भूकंप मापने वाले राष्ट्रीय केंद्र के अपडेट्स में बताया गया कि, बुधवार सुबह राजस्थान में बीकानेर के पास 5.3 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप का केंद्र बीकानेर से 343 किमी पश्चिम-उत्तर-पश्चिम में था। न्यूज एजेंसी मुताबिक , मानसूनी बारिश के दिनों राजस्थान में बीते रोज जो भूकंप आया, वह सतह से 110 किमी की गहराई से उत्पन्न हुआ था।

उधर बीते रोज मेघालय के पश्चिम गारो हिल्स में भी भूकंपन हुआ। स्थानीय लोगों ने रात तकरीबन 2:10 बजे झटके महसूस किए। रिक्टर स्केल पर जिसकी तीव्रता 4.1 दर्ज की गई। वहीं, लद्दाख के लेह में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके सुबह 4:57 बजे लगे, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.6 थी।