Friday, June 6, 2025
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यूपी बनेगा नैनोमीटर चिप डिजाइन का केंद्र

नोएडा और बेंगलुरु में भारत के पहले 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन केंद्र का उद्घाटन किया

  • 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन भारत के सेमीकंडक्टर नवाचार में एक नई उपलब्धि है: केंद्रीय मंत्री वैष्णव

नई दिल्ली : केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे तथा सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज उत्तर प्रदेश के नोएडा और कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के दो नए अत्याधुनिक डिजाइन केंद्रों का उद्घाटन किया। श्री वैष्णव ने नए केंद्रों की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह भारत का पहला डिजाइन केंद्र है जो अत्याधुनिक 3 नैनोमीटर चिप डिजाइन पर काम कर रहा है। श्री वैष्णव ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो भारत को सेमीकंडक्टर नवाचार की वैश्विक श्रेणी में मजबूती से स्थापित करता है। उन्होंने कहा, “3 नैनोमीटर चिप पर डिजाइनिंग वास्तव में अगली पीढ़ी का कार्य है। हमने पहले 7 नैनोमीटर और 5 नैनोमीटर पर काम किया है, लेकिन यह एक नई सीमा को प्रदर्शित करता है।”

केंद्रीय मंत्री महोदय ने डिजाइन, निर्माण, एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग), उपकरण, रसायन और गैस आपूर्ति श्रृंखलाओं को शामिल करते हुए भारत की समग्र सेमीकंडक्टर रणनीति के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने दावोस जैसे वैश्विक मंचों पर उद्योग जगत के आत्मविश्वास की चर्चा की और एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च जैसी कंपनियों द्वारा पहले से किए जा रहे महत्वपूर्ण निवेशों का उल्लेख किया। मंत्री महोदय ने भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में बढ़ती तेज़ी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में इस प्रमुख सेमीकंडक्टर डिजाइन केंद्र का उद्घाटन एक अखिल भारतीय इकोसिस्टम विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश भर में उपलब्ध समृद्ध प्रतिभाओं का उपयोग करता है।

भारत सरकार सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को और मजबूत करने के लिए भारत में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन केंद्रों के विकास को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने इंजीनियरिंग विद्यार्थियों के बीच व्यावहारिक हार्डवेयर कौशल को बढ़ाने के उद्देश्य से एक नई सेमीकंडक्टर लर्निंग किट जारी करने की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि 270 से अधिक शैक्षणिक संस्थान जिन्हें पहले से ही भारत सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत उन्नत ईडीए (इलेक्ट्रॉनिक, डिज़ाइन, ऑटोमेशन) सॉफ़्टवेयर टूल मिल चुके हैं, उन्हें भी ये व्यावहारिक हार्डवेयर किट प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा, “सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर लर्निंग का यह एकीकरण वास्तव में उद्योग के लिए तैयार इंजीनियर बनाने का काम करेगा। हम न केवल बुनियादी ढाँचा बना रहे हैं बल्कि दीर्घकालिक प्रतिभा विकास में निवेश कर रहे हैं।” श्री वैष्णव ने सी-डैक और आईएसएम टीम की उनके कुशल निष्पादन के लिए प्रशंसा की और भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर नेता बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

श्री वैष्णव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी व्यापक आत्मनिर्भर भारत परिकल्पना के अंतर्गत सेमीकंडक्टर को एक रणनीतिक फोकस क्षेत्र के रूप में शामिल किया है। उन्होंने कहा, “केवल तीन वर्षों के भीतर, भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग एक नवजात अवस्था से एक उभरते वैश्विक केंद्र में बदल गया है, और अब दीर्घकालिक, सतत विकास के लिए तैयार है।” उन्होंने यह भी कहा, “स्मार्ट फोन, लैपटॉप, सर्वर, चिकित्सा उपकरण, रक्षा उपकरण, ऑटोमोबाइल और कई अन्य क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण के साथ, सेमीकंडक्टर की मांग तेजी से बढ़ने वाली है। इसलिए, सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास की यह गति समय के साथ अग्रसर है।”

अवसर पर रेनेसा इलेक्ट्रॉनिक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक, श्री हिदेतोशी शिबाता ने कहा कि भारत हमारी कंपनी के लिए एक रणनीतिक आधारशिला है, जिसमें अंतः स्थापित प्रणालियाँ, सॉफ्टवेयर और सिस्टम नवाचार में योगदान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिभा शक्ति और भारत-जापान साझा रणनीतिक हित वैश्विक सेमीकंडक्टर जीवनचक्र को नया स्वरूप देने में सहायता करेंगे।

रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में

रेनेसास एक एम्बेडेड सेमीकंडक्टर समाधान प्रदाता है जो अपने उद्देश्य ‘हमारे जीवन को आसान बनाना’ से प्रेरित है। बेजोड़ गुणवत्ता और सिस्टम-स्तरीय जानकारी के साथ एम्बेडेड प्रोसेसिंग में उद्योग के अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में, हम उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग, एम्बेडेड प्रोसेसिंग, एनालॉग और कनेक्टिविटी तथा पावर सहित व्यापक उत्पाद पोर्टफोलियो के आधार पर ऑटोमोटिव, औद्योगिक, बुनियादी ढांचे और इंटर्नेट ऑफ थिंग्स उद्योगों के लिए स्केलेबल और व्यापक सेमीकंडक्टर समाधान प्रदान करने के लिए विकसित हुए हैं। रेनेसास, एक विशिष्ट उत्पाद डिजाइनर, नोएडा, बेंगलुरु और हैदराबाद में सुविधाओं के साथ एक डिजाइन केंद्र स्थापित कर रहा है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग करेगा नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट का विस्तार  

नई दिल्ली : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट द्वारा ब्लैकस्टोन समूह और/या सत्व समूह से संबंधित कुछ संस्थाओं के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है।प्रस्तावित संयोजन में नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट द्वारा अपने प्रबंधक, नॉलेज रियल्टी ऑफिस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले ट्रिनिटी ऑफिस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) (अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी) के माध्यम से कुछ संस्थाओं का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अधिग्रहण शामिल है, जिनमें से कुछ ब्लैकस्टोन समूह से संबंधित हैं, कुछ सत्व समूह से संबंधित हैं और शेष ब्लैकस्टोन और सत्व समूह (लक्ष्य संस्थाएं) द्वारा संयुक्त रूप से नियंत्रित हैं। ऐसे अधिग्रहण के बदले में, लक्ष्य संस्थाओं के मौजूदा शेयरधारकों को अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी की इकाइयाँ जारी की जाएंगी। अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी को भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के प्रावधानों के तहत एक अंशदायी, निर्धारक और अपरिवर्तनीय ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है, जो 10 अक्टूबर 2024 के ट्रस्ट डीड के अनुसार, सेबी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) विनियम, 2014 के अनुसार, किराए या आय पैदा करने वाली रियल एस्टेट परिसंपत्तियों और संबंधित आय पैदा करने वाली परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियो के स्वामित्व और/या संचालन के व्यवसाय में संलग्न है। अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी को 18 अक्टूबर 2024 को आरईआईटी विनियमों के तहत एक रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट के रूप में सेबी के साथ पंजीकृत किया गया था।लक्ष्य संस्थाएं भारत में वाणिज्यिक रियल एस्टेट और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में कार्यरत हैं।

आतंकवाद का रास्ता छोड़ना ही पाकिस्तान के लिए एकमात्र विकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश

आतंक के खिलाफ भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को पहली बार संबोधित किया| उन्होने अपने सम्बोधन मेन पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाही स्थगित कि है| भारत की नजरें पाकिस्तान की हर गतिविधि पर है| पीएम ने कहा कि देश न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग को बर्दाश्त नहीं करेगा| देश के नागरिकों कि हर खतरे से रक्षा की जाएगी|

भारत के पाकिस्तान के सैन्य और आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की बात कही| पीएम ने कहा कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता है| पाकिस्तान को आतंकवाद का रास्ता छोडना ही होगा| यही एकमात्र विकल्प है| उन्होने कहा कि बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया। पीएम ने कहा कि “मैं उनकी वीरता को, उनके साहस को, उनके पराक्रम को, आज समर्पित करता हूं- हमारे देश की हर माता को, देश की हर बहन को, और देश की हर बेटी को, ये पराक्रम समर्पित करता हूं।“  

पीएम ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया था। छुट्टियां मना रहे निर्दोष-मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने, बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत विभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी। इस आतंकी हमले के बाद सारा राष्ट्र, हर नागरिक, हर समाज, हर वर्ग, हर राजनीतिक दल, एक स्वर में, आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठ खड़ा हुआ। हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को पूरी छूट दे दी। और आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।

 ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ये सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह, पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है। भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया। आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, Nation First की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं, परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।

जब पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर भारत की मिसाइलों ने हमला बोला, भारत के ड्रोन्स ने हमला बोला, तो आतंकी संगठनों की इमारतें ही नहीं, बल्कि उनका हौसला भी थर्रा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकाने, एक प्रकार से ग्लोबल टैररिज्म की यूनिवर्सटीज रही हैं। दुनिया में कहीं पर भी जो बड़े आतंकी हमले हुए हैं, चाहे नाइन इलेवन हो, चाहे लंदन ट्यूब बॉम्बिंग्स हो, या फिर भारत में दशकों में जो बड़े-बड़े आतंकी हमले हुए हैं, उनके तार कहीं ना कहीं आतंक के इन्हीं ठिकानों से जुड़ते रहे हैं। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। आतंक के बहुत सारे आका, बीते ढाई-तीन दशकों से खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे थे, जो भारत के खिलाफ साजिशें करते थे, उन्हें भारत ने एक झटके में खत्म कर दिया।

पीएम ने कहा कि भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान घोर निराशा में घिर गया था, हताशा में घिर गया था, बौखला गया था, और इसी बौखलाहट में उसने एक और दुस्साहस किया। आतंक पर भारत की कार्रवाई का साथ देने के बजाय पाकिस्तान ने भारत पर ही हमला करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूलों-कॉलेजों को, गुरुद्वारों को, मंदिरों को, सामान्य नागरिकों के घरों को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन इसमें भी पाकिस्तान खुद बेनकाब हो गया।

दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुंचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

इसलिए, भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा। पाकिस्तान, दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था, इसलिए, जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूं, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।

भारत की तीनों सेनाएं, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है। 

पहला- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाही करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा। 

तीसरा- हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने, पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।

युद्ध के मैदान पर हमने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने रेगिस्तानों और पहाड़ों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया, और साथ ही, न्यू एज वॉरफेयर में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इस ऑपरेशन के दौरान, हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। आज दुनिया देख रही है, 21वीं सदी के वॉरफेयर में मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट्स, इसका समय आ चुका है।

हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हम सभी का एकजुट रहना, हमारी एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। टैररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, ये एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।

पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे है, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है। भारत का मत एकदम स्पष्ट है, टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते। और, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता। उन्होने कहा कि “ मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।“  

कला, संगीत, अध्यात्म, दर्शन के संसाधनों का संग्रह होगा भारत बोध केंद्र

नई दिल्ली : इंडिया हैबिटेट सेंटर (आईएचसी) ने आज अपने हैबिटेट लाइब्रेरी और रिसोर्स सेंटर में एक नए अतिरिक्त भाग का उद्घाटन किया – भारत बोध केंद्र, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत के बारे में जागरूकता और प्रशंसा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समर्पित एक खंड है। भारत बोध केंद्र में भारतीय कला, संगीत, आध्यात्मिकता, इतिहास, दर्शन और अन्य संबंधित क्षेत्रों पर पुस्तकों और संसाधनों का एक संग्रह उपलब्ध होगा। आईएचसी सदस्यों के लिए सुलभ, इस पहल की कल्पना भारत की कालातीत परंपराओं और विकसित हो रहे सांस्कृतिक प्रवचन के बारे में अन्वेषण और सीखने के लिए एक शांत स्थान के रूप में की गई है।

केंद्र का उद्घाटन केंद्रीय ऊर्जा और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज शाम आईएचसी में आयोजित एक समारोह में किया। कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने आईएचसी में संचालित गतिविधियों, विशेष रूप से इसकी हरित पहलों की सराहना की और सतत जीवन के बारे में जागरूकता बढ़ाने में इसकी भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने केंद्र को इस तरह की और पहल करने के लिए प्रोत्साहित किया और सुझाव दिया कि वह संस्थानों को गोद ले ताकि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं को लागू करने में उनकी मदद कर सकें। उद्घाटन के बाद, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव और आईएचसी के अध्यक्ष श्री कटिकिथला श्रीनिवास और आईएचसी के निदेशक प्रो. के. जी. सुरेश ने माननीय मंत्री को 9 एकड़ में फैले आईएचसी परिसर का भ्रमण कराया, जिसमें इसकी विशिष्ट वास्तुकला डिजाइन, पर्यावरण के अनुकूल विशेषताएं और सांस्कृतिक और बौद्धिक जुड़ाव के लिए एक जीवंत केंद्र के रूप में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर हुडको के सीएमडी श्री संजय कुलश्रेष्ठ, एनएचबी के एमडी श्री संजय शुक्ला और मंत्रालय तथा आईएचसी के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

जम्मू-कश्मीर से गुजरात तक तकनीकी-वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी

श्रीनगर और लेह में महत्वपूर्ण आईएमडी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी

 नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़ और राजस्थान तथा गुजरात के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में स्थित तकनीकी और वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा, श्रीनगर और लेह में महत्वपूर्ण आईएमडी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, डॉ जितेंद्र सिंह ने मौजूदा सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर देश भर में तकनीकी और वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिक और तकनीकी विभागों के प्रमुखों के साथ आज एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक बुलाई।

बैठक में विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लद्दाख और भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में अनुसंधान और वैज्ञानिक सुविधाओं की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा पर धयान केंद्रित किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विशेष रूप से सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम)-जम्मू, सीएसआईआर-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ)-चंडीगढ़, डीबीटी-बायोटेक रिसर्च इनोवेशन काउंसिल (ब्रिक)-राष्ट्रीय कृषि-खाद्य और जैव विनिर्माण संस्थान (एनएबीआई)-मोहाली, श्रीनगर और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की इकाईओं तथा लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों में पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान केद्रों की तैयारिओं और सुरक्षा तंत्र की समीक्षा की।

इन संस्थानों के रणनीतिक महत्व को देखते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि मौसम पूर्वानुमान, आपदा तैयारी और महत्वपूर्ण अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष रूप से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक सुविधाएं राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के प्रमुख स्तंभ है।

सभी वैज्ञानिक संस्थानों को मौजूदा स्थिति के मद्देनजर अपने सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करने और उन्हें बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। निर्बाध समन्वय और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों को संबंधित जिला प्रशासन को तुरंत सूचित करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, प्रत्येक संस्थान को आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार और प्रसारित करने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा की कर्मचारी और स्थानीय अधिकारी दोनों अच्छी तरह से तैयार हैं। अपने गृह राज्यों में वापस लौट चुके छात्रों और शोधकर्ताओं को नुकसान से बचाने के लिए, सभी आगामी परीक्षाएँ और शोध प्रस्ताव कॉल को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएमडी के महानिदेशक को श्रीनगर, लेह और अन्य प्रमुख स्थानों पर अपने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और डेटा केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था को तुरंत मजबूत करने का भी निर्देश दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बाहरी सुरक्षा के अलावा आंतरिक तत्परता और नागरिक समन्वय पर भी ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिय। केंद्रीय मंत्री ने संस्थानों के लिए आंतरिक सुरक्षा प्रोटोकॉल तथा क्या करें और क्या न करें की भी समीक्षा की।

समीक्षा बैठक में स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों के निदेशकों द्वारा प्रस्तुत सुझाव और स्थितिजन्य रिपोर्ट प्रस्तुत की गईं। रिपोर्ट्स में मनोबल बढ़ाने वाले उपाय और जिला प्रशासन के साथ समन्वय का महत्व को रेखांकित किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक निकायों और स्थानीय अधिकारियों के बीच निरंतर संपर्क की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, हमारे वैज्ञानिक संस्थान राष्ट्रीय लचीलेपन की रीढ़ हैं। ऐसे समय में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सुरक्षित और अच्छी तरह से समन्वित हों साथ ही हर संभावित घटना के लिए तैयार हों।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने तैयारी की आवश्यकता के अनुरूप कर्मचारियों, संकाय और छात्र स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए रक्तदान शिविर आयोजित करने का भी निर्देश दिया। केंद्रीय मंत्री ने परिसरों और अनुसंधान केंद्रों में आत्मरक्षा, आपातकालीन निकासी रणनीतियों और नियमित मॉक ड्रिल पर संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करने को भी कहा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. अभय करंदीकर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले, सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ.एन.कलैसेल्वी,आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संयुक्त सचिव सेंथिल पांडियन और स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों के निदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी हाइब्रिड मोड के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी वैज्ञानिक विभागों को विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी सुविधाओं की एक व्यापक सूची तैयार करने और उचित सुरक्षा के लिए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करने का निर्देश देकर बैठक का समापन किया।

भारत की संप्रभुता की रक्षा में कोई भी सीमा बाधक नहीं बन सकती: राजनाथ

रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार भारत को अभूतपूर्व शक्ति प्रदान कर रहा है

  • भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र और सबसे बड़ा रक्षा निर्यातक बनाने के लिए हमारे उपकरणों को वैश्विक भरोसे के स्‍तर तक विकसित करने की आवश्यकता

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज 08 मई, 2025 को राष्‍ट्रीय गुणवत्‍ता सम्‍मेलन को सम्‍बोधित करते हुए कहा कि हमारे अजेय और पेशेवर रूप से प्रशिक्षित सशस्त्र बल के उच्च गुणवत्तापूर्ण उपकरणों से लैस होने से ऑपरेशन सिंदूर सफलतापूर्वक संचालित किया जा सका। रक्षा मंत्री ने किसी भी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान पहुंचाए बिना तथा न्यूनतम क्षति के साथ सशस्त्र बलों द्वारा इस अभियान को सटीकता के साथ अंजाम देने की सराहना की तथा इसे सोच से परे तथा राष्ट्र के लिए गर्व का विषय बताया।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान और पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर में नौ आतंकी शिविर नष्ट किए गए और बड़ी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया गया। उन्‍होंने कहा कि यह दर्शाता है कि राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में ‘गुणवत्ता’ कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत ने हमेशा बेहद संयम बरतते हुए एक जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका निभाई है और वह बातचीत के जरिए मुद्दों को सुलझाने में विश्वास रखता है। पर अगर कोई उसके संयम का फायदा उठाने की कोशिश करता है, तो उसे ‘कठोर कार्रवाई’ का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने देश को आश्वस्त किया कि भारत की संप्रभुता की रक्षा में सरकार के लिए कोई भी सीमा बाधक नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि हम भविष्य में भी ऐसी किसी दायित्‍वपूर्ण जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं। सम्मेलन के विषय ‘एकीकृत दृष्टिकोण और प्रौद्योगिकी सक्षम प्रक्रियाओं के माध्यम से गुणवत्ता आश्वासन में तेजी लाना’ पर अपने विचार रखते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया भर में रक्षा क्षेत्र के उपकरणों की विध्वंसकारी मारक क्षमता और नए बदलावों को देखते हुए गुणवत्ता मूल्यांकन में तेजी लाना समय की मांग है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रक्षा संप्रभुता के दृष्टिकोण के अनुरूप रक्षा मंत्री ने 2014 से ही रक्षा उत्पादन क्षेत्र के सशक्तिकरण पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि रक्षा संप्रभुता का अर्थ है कि जब तक कोई देश अपनी रक्षा आवश्‍यकताओं में सक्षम और आत्मनिर्भर नहीं होता, तब तक उसकी स्‍वतंत्रता सम्‍पूर्ण नहीं मानी जा सकती। उन्‍होंने कहा कि अगर हम विदेश से हथियार और अन्य रक्षा उपकरण खरीदते हैं, तो हम अपनी सुरक्षा को आउटसोर्स कर रहे हैं और इसे किसी और के भरोसे छोड़ रहे हैं। हमारी सरकार ने इस पर गंभीरता से विचार कर आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए निर्णायक कदम उठाया है और यही विस्तारित रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र भारत को अभूतपूर्व शक्ति प्रदान कर रहा है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रात्‍मक उत्‍पादन पर समान जोर दिया जा रहा है और इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) का निगमीकरण भी शामिल है। रक्षा मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की प्रगति का उद्देश्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धी निजी रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना रहा है, जो गुणवत्ता द्वारा भारत की सुरक्षा सुदृढ़ करेगा। उन्होंने कहा कि आज विश्व में, एक मजबूत ब्रांड उत्पाद से ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। जो ब्रांड लगातार गुणवत्ता और विश्वसनीयता आश्‍वस्‍त कराता है, वही सफल होता है। श्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर उपस्थित सशस्त्र बलों, सरकारी क्यूए एजेंसियों, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों, निजी उद्योग, शोध संस्थानों, शिक्षाविदों और सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम प्रतिनिधियों से विश्व में अग्रणी अत्याधुनिक ब्रांड इंडिया स्थापित करने का आह्वान किया। ​​उन्होंने कहा कि ब्रांड इंडिया का मतलब है कि अगर किसी भारतीय कंपनी ने कुछ वादा किया है, तो वह निश्चित रूप से पूरा ही होगा।  हमारी अद्वितीय विक्रय प्रस्ताव (यूनिक सेलिंग प्रोपोजिशन) होनी चाहिए कि जब भी किसी को अन्यत्र गुणवत्ता का संदेह हो तो वह पूरे विश्वास के साथ सामान लेने भारत ही आए।

वैश्विक व्यवस्था में हो रहे व्‍यापक बदलावों के बारे में रक्षा मंत्री ने कहा कि जब विकसित देश पुनः शस्त्रीकरण की ओर बढ़ेंगे तो हथियारों और उपकरणों की मांग बढ़ेगी। उन्होंने स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 2024 में विश्व सैन्य व्यय 2,718 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि समन्वित प्रयासों से भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र ब्रांड इंडिया दर्शन के साथ वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में रक्षा निर्यात लगभग 24,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया। अब हमारा लक्ष्य 2029 तक इस आंकड़े को बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये पहुंचाना है। उन्‍होंने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र और दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा निर्यातक बनाना हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें अपने रक्षा उपकरणों की गुणवत्ता के बारे में वैश्विक भरोसा हासिल करना होगा।

श्री राजनाथ सिंह ने गुणवत्ता सुधार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की, पर आज के प्रौद्योगिकी-संचालित युग में वास्तविक समय की गुणवत्ता निगरानी के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और मशीन लर्निंग जैसे उपकरणों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वैश्विक प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल बिठाने के लिए मानकों और परीक्षण प्रोटोकॉल को उन्‍नत बनाने का भी आह्वान किया। श्री सिंह ने कहा कि हमें समयबद्ध गुणवत्ता आश्वासन मंजूरी पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है ताकि अवांछित देरी न हो। रक्षा मंत्री ने कहा कि गुणवत्ता मूल्यांकन एजेंसियों को हमेशा अपनी कमियों पर नज़र रखनी चाहिए और आधुनिकीकरण तथा परीक्षण बुनियादी ढांचे के माध्यम से उन्हें दूर करने पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशिष्ट  प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरंतर अंतर विश्लेषण का कदम भी आवश्यक है।

रक्षा उत्पादन विभाग के गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (डीजीक्‍यूए) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में परम्‍परागत क्‍यूए मॉडल से भविष्योन्‍मुखी, डेटा-संचालित और स्वचालित प्रणालियों में परिवर्तित करने की आवश्यकता रेखांकित की गई। विशेषज्ञों ने प्रमाणन समयसीमा में तेजी लाने, निरीक्षणों को सुव्यवस्थित करने और रक्षा उत्पादन में वास्तविक समय गुणवत्ता निगरानी शामिल करने के लिए हितधारकों के बीच निर्बाध सहयोग का आह्वान किया। रक्षा उत्पादन सचिव श्री संजीव कुमार ने भारत को एक प्रमुख रक्षा निर्यातक राष्‍ट्र बनाने में नवोन्‍मेष और उद्योग के सहयोग की भूमिका का उल्‍लेख किया। पारदर्शी और संवादमूलक खुले सत्र बैठक में उन्होंने रक्षा उद्योग के प्रतिनिधियों और उपयोगकर्ता एजेंसियों के सवालों पर जानकारी दी। उन्‍होंने मंत्रालय के क्‍यूए प्रणालियों को सरल, डिजिटल और आधुनिक बनाने का संकल्प दोहराया।

यमुना की सफाई के लिए धन से अधिक सटीक योजना की जरूरत : सुनीता नारायण

दिल्ली-एनसीआर में यमुना की सफाई के एजेंडा को रीसेट करें : सीएसई

  • यमुना नदी और उसकी सफाई पर ब्रीफिंग पेपर जारी हुआ

नई दिल्ली: 2017 से 2022 के बीच के चार सालों में दिल्ली सरकार ने यमुना की सफाई पर 6,856 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। दिल्ली में अब कुल 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जो उत्पन्न सीवेज के 80 प्रतिशत से अधिक हिस्से को उपचारित करने में सक्षम हैं। दिल्ली का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा सीवर लाइनों से जुड़ा हुआ है।

इन सबके बावजूद यमुना  प्रदूषित और अस्वच्छ क्यों बनी हुई है? सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा आज यहां एक प्रेस ब्रीफिंग में जारी एक नए आकलन में इस गुत्थी को सुलझाने और एक कारगर कार्ययोजना पेश करने का प्रयास किया गया है ।

इस आकलन रिपोर्ट का शीर्षक है यमुना: दी एजेंडा फॉर क्लीनिंग द रिवर। रिपोर्ट कहती है: “दिल्ली में पड़ने वाला यमुना का 22 किलोमीटर लंबा हिस्सा यूं तो नदी की कुल लंबाई का बमुश्किल दो प्रतिशत है लेकिन यह पूरी नदी में प्रदूषण के 80 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। लगभग नौ महीने तक नदी में पानी न के बराबर होता है – नदी में होता है दिल्ली के 22 नालों से निकलने वाला मल और कचरा । वजीराबाद में दिल्ली में प्रवेश करने के बाद यमुना का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।” 

 प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा: “यमुना की सफाई की समस्या कोई नई नहीं है; पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में बहुत पैसे खर्च हुए हैं, कई योजनाएं शुरू की गई हैं और उन्हें क्रियान्वित किया गया है। नदी की सफाई का एजेंडा महत्वपूर्ण है क्योंकि ‘मृत यमुना’ न केवल दिल्ली शहर और हमारे लिए शर्म की बात है – बल्कि इससे दिल्ली के साथ-साथ नीचे (डाउनस्ट्रीम) के शहरों को  स्वच्छ जल उपलब्ध कराने का भार भी बढ़ जाता है।” 

नारायण ने आगे कहा: “हमें यह समझना चाहिए कि यमुना की सफाई के लिए केवल पैसे पर्याप्त नहीं हैं । इसके लिए एक ऐसी योजना की आवश्यकता होगी जो हमारा मार्गदर्शन करे और एक अलग तरीके से सोचने और कार्य करने में सक्षम बनाये।

यमुना प्रदूषित क्यों है?

  सीएसई की रिपोर्ट इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कुछ प्रमुख कारणों की पहचान करती है।  

· अपशिष्ट जल उत्पादन से संबंधित डेटा का अभाव: नारायण कहती हैं – “हमें नहीं पता कि दिल्ली में कितना अपशिष्ट जल उत्पन्न होता है” । ऐसा इसलिए क्योंकि नियमित जनगणना न होने के कारण दिल्ली की आबादी या निवासियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले ‘अनौपचारिक’ पानी (भूजल और टैंकरों द्वारा आपूर्ति किया जाने वाला पानी) की मात्रा को लेकर कोई स्पष्ट डेटा नहीं है। अपशिष्ट जल उत्पादन पर विश्वसनीय डेटा के बिना किसी भी हस्तक्षेप की योजना बनाना असंभव है।

शहर का एक बड़ा हिस्सा अपने माल मूत्र की सफाई के लिए डिस्लजिंग टैंकरों पर निर्भर हैं। ये टैंकर इस अपशिष्ट को सीधा नदी या नालों में बहा देते हैं।:

·  मौजूदा योजना में जीपीएस पर विनियमन के माध्यम से टैंकरों से 100% अवरोधन को प्राथमिकता नहीं दी गई है और यह सुनिश्चित नहीं किया गया है कि इस अपशिष्ट को उपचार और पुन: उपयोग के लिए एसटीपी में ले जाया जाए।

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· दिल्ली के नालों में उपचारित और अनुपचारित सीवेज का मिश्रण: दिल्ली में 22 ऐसे नाले हैं जिनका काम उपचारित, स्वच्छ पानी को वापस यमुना में ले जाना है  लेकिन अनुपचारित सीवेज भी बिना सीवर वाली कॉलोनियों या मल और अपशिष्ट जल ले जाने वाले टैंकरों के माध्यम से इन्हीं नालों में बहता है ।नतीजतन, अपशिष्ट जल के उपचार का पूरा प्रयास बेकार हो जाता है।

हमने अब तक इसके बारे में क्या किया है?

 केंद्र और दिल्ली सरकार ही नहीं बल्कि अदालत भी इस समस्या का समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जोकि एक अच्छी बात है। आधिकारिक कार्रवाइयों के बारे में जानकारी कुछ इस प्रकार है:

हमने अब तक इस बारे में क्या किया है?

केंद्र और दिल्ली की सरकारों और अदालतों ने इस समस्या का समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित किया है और यह सराहनीय है। आधिकारिक कार्रवाई के बारे में यहाँ जानकारी दी गई है:

· सीवेज उपचार क्षमता और उपयोग में वृद्धि: दिल्ली के 37 एसटीपी उत्पन्न सीवेज के 84 प्रतिशत से अधिक का उपचार कर सकते हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार उत्पन्न सीवेज का लगभग 80 प्रतिशत तक उपचार किया जा रहा है। अब मुख्य उद्देश्य मौजूदा एसटीपी की क्षमता में सुधार करने और भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए नए संयंत्र बनाना है। दावा है कि जून 2025 तक दिल्ली उत्पन सीवेज का 100 प्रतिशत उपचार करेगी।

· सख्त निर्वहन मानदंड: दिल्ली में एसटीपी के चालू होने के बाद से और अधिक कड़े मानक पेश किए गए हैं: नया मानक 10 मिलीग्राम/लीटर है, जबकि राष्ट्रीय मानक 30 मिलीग्राम/लीटर है।  2024 की डीपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 37 एसटीपी में से 23 अपशिष्ट जल निकासी मानक को पूरा नहीं करते हैं। इसका मतलब है कि मौजूदा संयंत्रों को अपग्रेड और नवीनीकृत करना होगा जिसमें अलग से खर्च होगा।

· नालियों में प्रवाह को रोकने के लिए इंटरसेप्टर सीवर: दिल्ली सरकार की इंटरसेप्टर सीवर परियोजना का लक्ष्य शहर के नालों से प्रतिदिन 1,000 मिलियन लीटर सीवेज को रोकना और उसे उपचार के लिए भेजना है।

· अनधिकृत कॉलोनियों में सीवेज पाइपलाइन: डीपीसीसी का कहना है कि 1,000 से अधिक सीवरेज लाइनें बिछाई गई हैं और कई जगहों पर काम अभी चालू है।

· औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करना: दिल्ली में 28 “स्वीकृत” औद्योगिक क्षेत्र हैं – इनमें से 17 के अपशिष्टों को सामान्य अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में उपचारित किया जाता है। लेकिन सीएसई रिपोर्ट कहती है कि उपचार की गुणवत्ता चिंताजनक है। साथ यह भी स्पष्ट नहीं है कि उपचारित अपशिष्ट को कहां छोड़ा जाता है।  

लेकिन इस पूरी  कार्रवाइ के बावजूद यमुना बदस्तूर प्रदूषित होती जा रही है। डीपीसीसी के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली (पल्ला) पहुंचने के कुछ किलोमीटर के भीतर ही नदी मृत हो जाती है। आईएसबीटी पर नदी में बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) शून्य है। इतने सालों और इतनी सारी योजनाओं और निवेश के बाद भी नदी की गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं हुआ है। सीएसई के अनुसार स्थिति की समीक्षा और योजनाओं के पुनर्निर्धारण की आवश्यकता है।

हम और क्या कर सकते हैं?

सीएसई रिपोर्ट निम्नलिखित पांच-सूत्री कार्य एजेंडा की सिफारिश करती है:

· प्राथमिकता 1:सुनिश्चित करें कि बिना सीवर वाले क्षेत्रों से उत्पन्न मल कीचड़ / फीकल स्लज को एकत्र किया जाए और उसका उपचार किया जाए: ऐसे क्षेत्र जो सीवर लाइनों से नहीं जुड़े हैं उन्हें डिस्लजिंग/अपसाधन टैंकरों द्वारा साफ किया जाता है और यह स्वच्छ यमुना के एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए। राज्य को महंगी सीवेज पाइपलाइनों के निर्माण और नवीनीकरण में निवेश करने की आवश्यकता नहीं है । टैंकरों के माध्यम से मल कीचड़ प्रबंधन की रणनीति तेज और  लागत प्रभावी भी है।  मुख्य कदम यह सुनिश्चित करना है कि सभी डिस्लजिंग टैंकर पंजीकृत हों और उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके ताकि सारे अपशिष्ट को उपचार संयंत्र तक ले जाया जा सके।

·           प्राथमिकता 2: यह सुनिश्चित करें कि उपचारित पानी वैसी नालियों में न बहाया जाए जहां वह अनुपचारित अपशिष्ट जल के साथ मिल जाता हो। चूंकि एसटीपी नदी के पास स्थित नहीं हैं इसलिएइन संयंत्रों द्वारा उपचारित अपशिष्ट जल को उन्हीं नालियों में बहा दिया जाता है जो पहले से ही अनुपचारित अपशिष्ट जल से प्रदूषित हैं। यह ‘मिश्रण’ प्रदूषण नियंत्रण को अप्रभावी करता है और उपचार पर खर्च किया गया पैसा बेकार चला जाता है। प्रत्येक एसटीपी को न केवल जल के उपचार बल्कि उपचारित अपशिष्ट को बहाने तक कि  योजना बनानी चाहिए।

· प्राथमिकता 3: उपचारित अपशिष्ट जल का पूरा उपयोग सुनिश्चित करें ताकि वह प्रदूषण  भार में वृद्धि न करे: वर्तमान में केवल 331-473 एमएलडी का ही पुनः उपयोग किया जाता है। यह उपचारित अपशिष्ट जल का 10-14 प्रतिशत है।  प्रत्येक एसटीपी को न केवल उपचार के लिए बल्कि यह भी योजना बनाने की आवश्यकता है कि वह अपने उपचारित अपशिष्ट जल को किस प्रकार से बहा रहा है। अन्यथा हमारी सारी मेहनत बेकार जाएगी।

· प्राथमिकता 4: उपचारित जल के पुनः उपयोग के आधार पर एसटीपी के उन्नयन की योजना: दिल्ली के अपशिष्ट जल मानक देश के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक कड़े हैं  लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें यमुना जैसी नदी में निर्वहन के लिए बनाया किया गया है जिसके जल की असिमिलेटिव अथवा घोलने की क्षमता शून्य है। मानकों को पूरा करने के लिए मौजूदा एसटीपी को नवीनीकृत करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है। मानकों को जल के पुनः उपयोग को ध्यान में रखकर बनाया जाना चाहिए।

· प्राथमिकता 5: दो नालों – नजफगढ़ और शाहदरा – के लिए योजना को फिर से तैयार करना।  ये दो नाले नदी में प्रदूषण के भार का 84 प्रतिशत योगदान करते हैं: इंटरसेप्टर ड्रेन योजना इन दो नालों के लिए काम नहीं कर रही है। लगातार  निवेश के बावजूद नदी में प्रदूषण बढ़ रहा है। दिल्ली सरकार को उन कुछ नालों पर फिर से काम करने और ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है जो नदी के प्रदूषण के लिए मुख्यतः जिम्मेदार हैं।

जातीय जनगणना का फैसला भारत की राजनीति में एक नया इतिहास लिखेगा

लखनऊ : माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा जाति जनगणना कराये जाने के ऐतिहासिक फैसले पर बुधवार को राजधानी लखनऊ के सहकारिता भवन में संगोष्ठी एवं आभार सभा सम्पन्न हुई। जिसमें मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद एवं भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण रहे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री व भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री नरेंद्र कश्यप ने की। कार्यक्रम को पूर्व सांसद व भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री संगम लाल गुप्ता ने भी संबोधित किया। भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश महामंत्री, विधान परिषद सदस्य श्री रामचंद्र प्रधान द्वारा संचालन किया गया।

भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जातीय जनगणना कराये जाने का फैसला लेकर भारत की राजनीति में एक नया इतिहास लिखने का काम किया है। जातीय जनगणना कराने से विशेष कर भारत के अन्य पिछड़े एवं अति पिछड़े वर्ग के लोगों को अपनी संख्या की पहचान होगी और संख्या के अनुपात में संवैधानिक अधिकारों को पाने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री जी के इस ऐतिहासिक फैसले का ओबीसी मोर्चा एवं ओबीसी समाज हृदय से आभार एवं धन्यवाद व्यक्त करता है।

श्री लक्ष्मण ने कहा कि देश इस बात को जानता है कि अन्तिम रूप से जातीय जनगणना आजादी के पूर्व वर्ष 1931 में हुई थी। 94 वर्ष का लम्बा अन्तराल ऐसा गुजरा जिसमें अधिकांश समय में कांग्रेस पार्टी या गैर भाजपा दलों की सरकारे देश में रही है। लेकिन अफसोस कि गैर भाजपाई किसी भी सरकार ने जातीय जनगणना कराने का कभी साहस नहीं जुटाया और आज उनकी पार्टी के नेता राहुल गांधी, अखिलेश यादव तथा तेजस्वी यादव जैसे अनेको पिछड़ा वर्ग विरोधी सोच रखने वाले, आज मोदी जी के जातीय जनगणना कराने के फैसले का श्रेय लेने की होड़ में खड़े हो गये हैं। अच्छा होता कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसे सभी गैर भाजपाई दलों के नेता भारत के पिछड़े वर्ग के लोगों से माफी मांगते।

पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा में आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना पर कैबिनेट में विचार किया जाएगा। इसके पश्चात एक समिति का भी गठन किया गया जिसमें अधिकांश राजनैतिक दलों ने जातिगत आधार पर जनगणना की संस्तुति की। लेकिन तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने 2011 की जनगणना जातिगत आधार पर कराने का विरोध किया और कहा कि जातियों की गिनती जनगणना में नही बल्कि अलग से कराई जाएगी। इसके बावजूद कांग्रेस की सरकार ने जाति जनगणना की जगह एक सर्वे करवाया जिस पर 4893.60 करोड़ रूपए खर्च किए गए। लेकिन जातिगत आकड़े प्रकाशित नही हुए क्योंकि इस सर्वे में 8.19 करोड़ गलतियां पाई गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस-सपा सहित इंडी गठबंधन के तमाम घटक दल जाति आधारित जनगणना के सदैव विरोध में रहे।

भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री श्री नरेंद्र कश्यप ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की जातीय जनगणना के फैसले से आज पिछड़े वर्ग के लोगों में जश्न का माहौल है, लोग खुशियां मना रहे हैं, लड्डू बांट रहे हैं तथा ढोल-बैण्ड बाजे बजाकर प्रधानमंत्री जी के फैसले का स्वागत कर रहे हैं। क्योंकि जातीय जनगणना होने से सामाजिक न्याय एवं संवैधानिक अधिकारों को पाने के नये अवसर मिलने वाले हैं। ओबीसी समाज के लोगों को शिक्षा, अर्थ व्यवस्था एवं राजनीति में भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। मोदी जी ने साबित किया है कि वह जो कहते हैं, करके भी दिखाते हैं। भाजपा की विचारधारा अन्योदय से सर्वाेदय तक जाने की है। जो जातीय जनगणना के फैसले से सही प्रतीत हो रही है।

श्री नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि देश में गांधी परिवार से 03 प्रधानमंत्री बने हैं जिनमें पं0 जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इन्दिरा गांधी के अलावा राजीव गांधी। क्या कभी गांधी परिवार ने ओबीसी समाज के लोगों के इस दर्द को समझा? गांधी परिवार तो हमेशा आरक्षण का विरोधी रहा है, ओबीसी समाज का विरोधी रहा है, दलितो का विरोधी रहा है। गांधी परिवार की यह आरक्षण विरोधी नियत देश के सामने उस समय उजागर हो गयी थी जब 1955 के काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को पं0 जवाहरलाल नेहरू ने लागू नहीं होने दिया और 1980 में बी.पी. मण्डल आयोग की रिपोर्ट का तो खुलकर संसद एवं सड़क पर गांधी परिवार ने विरोध किया और सच तो यह भी है कि यदि 1990 में भाजपा के समर्थन से बी.पी. सिंह की सरकार नहीं बनी होती तो देश को कभी ओबीसी के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण भी नहीं मिला होता। कांग्रेस पार्टी की नियत यदि ओबीसी समाज के लिए ठीक होती तो इस समाज को आरक्षण का लाभ आजादी के तुरन्त बाद ही मिल जाता। आज ओबीसी समाज भारत की मुख्यधारा से जुड़ा होता तथा बराबरी का स्थान व सम्मान पा चुका होता।

श्री नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सही मायनों में देश की 140 करोड़ जनता को अपना मानते  है, जिन्होंने ‘‘सबका साथ सबका विकास‘‘ की अवधारणा पर सबको आगे बढ़ाने का काम किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ओबीसी समाज के दर्द व मर्म को समझा। आज भारत के अन्दर ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा मिला। ओबीसी के चेयरमैन को कैबनेट मंत्री का दर्जा मिलना, नीट परीक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना, केन्द्रीय एवं सैनिक विद्यालयों में 27 प्रतिशत रिजर्वेशन मिलना, क्रीमिलेयर आय सीमा को 8 लाख तक बढ़ाना तथा केन्द्रीय कैबनेट में 27 प्रतिशत पिछड़े सांसदों को मंत्री बनाना जैसे महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश में जातिगत जनगणना कराए जाने को लेकर घोषणा की थी, जिसको लेकर अब भारतीय जनता पार्टी एक अभियान के रूप में शुरू कर चुकी है। श्री कश्यप ने कहा कि ओबीसी मोर्चा, उ0प्र0 जहॉ एक तरफ जातीय जनगणना का फैसला लेने वाले देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी का आभार व्यक्त करेगा वहीं कांग्रेस, सपा एवं गैर भाजपाई दलों जिनकी सोच, मानसिकता एवं एजेण्डा पिछड़ा विरोधी रहा है, उसका पर्दाफाश भी करेगा।

भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री संगम लाल गुप्ता ने जातिगत जनगणना कराने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ओबीसी मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी देश भर में स्वागत समारोह जनसभा तथा अन्य समारोह व रैली करेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने जातिगत जनगणना कराने के फैसले के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेताओं को बेचैन कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने ऐसा फैसला लिया है कि विपक्ष देखता रह गया और उसके पास इसका स्वागत करने और समर्थन देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

ओबीसी मोर्चा के प्रदेश महामंत्री एमएलसी रामचंद्र प्रधान ने कहा है कि जातिगत जनगणना होने से भारत और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के कोने कोने में रहने वाले पिछड़ों को बहुत लाभ मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि जब प्रत्येक राज्य सरकार के पास पिछड़ों का स्पष्ट आंकड़ा होगा ,तो उनके लिए तमाम तरीके की नौकरी, रोजगार, शिक्षा ,व्यवसाय और निजी क्षेत्र में भी विकल्प खोजे जाएंगे। साथ ही उनके उत्थान ,विकास और शिक्षा पर भी जोर दिया जाएगा।

कार्यक्रम में भाजपा विधायक रामरतन कुशवाहा, लखनऊ भाजपा जिलाध्यक्ष विजय मौर्या, प्रदेश महामंत्री ओबीसी मोर्चा संजय भाई पटेल, ऋषि चौरसिया, नीरज गुप्ता, विजय गुप्ता सहित कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

ऑपरेशन सिंदूर : पाकिस्तान के अंदर छिपे आतंकियों का खात्मा, ठिकाने नेस्तनाबूत   

एक्शन की जानकारी नारी शक्ति सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और व्योमीका सिंह ने दी|

नई दिल्ली : धैर्य, साहस, सटीक योजना और सही निशाना… भारत की सेना ने पहलगाम हमले के बाद आखिरकर पाकिस्तान को अपनी शक्ति से परिचित कराया| भारत ने ऑपरेशन सिंदूर का ऐलान कर पाकिस्तान के भीतर घुसकर नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया| भारतीय सेना के प्रहार से हाफिज सईद के ठिकाने और मसूद अजहर के मदरसे नेस्तनाबूत कर दिया| भारतीय सेना ने मंगलवार- बुधवार की रात पौने दो बजे ऑपरेशन सिंदूर के तहत पीओके और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आतंकवादियों के लॉन्चिंग पैड को टारगेट कर हमला किया| इसमें सैकड़ों आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है| भारत ने पाकिस्तान और पीओके में लश्कर के 3 और जैश के 4 लॉन्चिंग पैड तबाह कर दिये| सबसे बड़ी बात यह है भारत के इस एक्शन की जानकारी नारी शक्ति सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और व्योमीका सिंह ने दी| पूरे मामले को लेकर देश हाई एलर्ट के मोड पर है|  

आपरेशन सिंदूर के लांच के बाद देश में गर्ब की अनुभूति है| पहलगाम में शहीद कानपुर के बेटे शुभम द्विवेदी की पत्नी ने कहा कि वो अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद देती हैं| उन्होने कहा कि‘मेरे पूरे परिवार को उन पर भरोसा था कि देश जवाब देगा| जिस तरह से पाकिस्तान को जवाब दिया, उसने हमारे भरोसे को कायम रखा है. यही मेरे पति को सच्ची श्रद्धांजलि है. मेरे पति आज जहां भी होंगे, उन्हें शांति मिलेगी| ’

सूत्रों के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुना है भारत ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए. इधर, सेना की कार्रवाई के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘ हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है. #ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम में हमारे निर्दोष भाइयों की क्रूर हत्या का भारत का जवाब है. मोदी सरकार भारत और उसके लोगों पर किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध है. भारत आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है| ’