Sunday, June 8, 2025
Home Blog Page 14

ससुर के चक्कर में छिना आकाश का ‘आनंद’

बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकालकर चौंकाया  

लखनऊ : बसपा सुप्रीमो मायावती अपने फैसलों को लेकर अकसर चर्चा में रहती हैं| ऐसे ही चौंकाने वाला फैसला लेते हुए उन्होने लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक अपने छोटे भाई आनंद के बेटे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया| जिससे सभी को लगा कि आने वाले समय में आकाश ही पार्टी की  बागडोर संभालेंगे| लेकिन एक साल के भीतर ही बहन जी ने अपने भतीजे को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर सभी को फिर से चौंका दिया है|    

आकाश आनंद अब बीएसपी से बाहर कर दिए गए हैं| वह कई सालों के मायावती के भतीजे के रूप में लोगों के बीच में जाने-पहचाने जाते थे लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ महीने पहले मायावती ने सभी को चौंकाते हुए 10 दिसंबर 2023 को आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था| उस समय वह पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक भी लेकिन अब उनको सभी पदों से हटा दिया गया है जिसके बाद  आकाश आनंद ने कहा कि  “मायावती जी द्वारा मुझे पार्टी के सभी पदों से मुक्त करने का फैसला मेरे लिए निजी तौर पर भावनात्मक है, लेकिन साथ ही अब एक बड़ी चुनौती भी है, परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है|” उनके इस बयान के बाद बहन मायावती ने उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया|

बसपा सुप्रीमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर  कहा कि पार्टी ने कल अपने ससुर डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में लगातार बने रहने के कारण आकाश आनंद को राष्ट्राय समन्वयक समेत सभी पदों से हटा दिया था. लेकिन उसने इस मामले में अपनी परिपक्वता नहीं दिखाई| वह आगे लिखती हैं कि इस मामले में आकाश ने अपनी लंबी-चौड़ी प्रतिक्रिया भी दी है जिसमें उनके पछतावे और राजनीतिक मैच्युरिटी की जगह उनके ससुर का स्वार्थी और अहंकारी असर दिखा| ऐसे में उन्हें उनके ससुर की तरह व्यवहार करने, पार्टी और आंदोलन के हित, में पार्टी से निष्कासित किया जाता है|  

डीआरडीओ, डीपीएसयू और निजी क्षेत्र मिलकर बनाएंगे ‘आत्मनिर्भर’ सेना  

नई दिल्ली : भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की क्षमताओं में वृद्धि के लिए अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह द्वारा 03 मार्च, 2025 को नई दिल्ली में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह को सौंपी गई। समिति ने प्रमुख रूप से महत्व दिए जाने वाले क्षेत्रों की पहचान की है। इस सिलसिले में अल्प, मध्यम और दीर्घ अवधि में कार्यान्वयन हेतु सिफारिशें की पेश की गई हैं, ताकि भारतीय वायु सेना के वांछित क्षमता संवर्धन लक्ष्यों को इष्टतम तरीके से प्राप्त किया जा सके।

इस रिपोर्ट में एयरोस्पेस क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र द्वारा डी.पी.एस.यू. और डी.आर.डी.ओ. के प्रयासों को पूरक बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है। रक्षा मंत्री ने समिति के कार्य की सराहना की है और निर्देश दिया है कि सिफारिशों का समयबद्ध तरीके से पालन किया जाए। माननीय रक्षा मंत्री के निर्देश पर इस समिति का गठन सभी मुद्दों की समग्र जांच करने तथा एक स्पष्ट कार्य योजना तैयार करने के उद्देश्य से किया गया था। रक्षा सचिव ने इसकी अध्यक्षता की, जिसमें वायु सेना के उप प्रमुख, सचिव (रक्षा उत्पादन), रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष, महानिदेशक अधिग्रहण सदस्य व वायु सेना के सदस्य सचिव शामिल थे।

एमआईटी से सीखी नमो दीदियों ने ड्रोन तकनीक बारीकियाँ

एमआईटी के प्रोफेसर जोनाथन फ्लेमिंग ने महिला सशक्तिकरण में भारत के प्रयासों की सराहना की

नई दिल्ली : प्रोफेसर जोनाथन फ्लेमिंग, एमआईटी स्लोअन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, अमेरिका के वरिष्ठ व्याख्याता ने महिला सशक्तिकरण में भारत सरकार के प्रयासों और उल्लेखनीय उपलब्धियों की सराहना की है। आज नई दिल्ली में आईसीएआर पूसा परिसर में नमो ड्रोन दीदियों के साथ बातचीत करते हुए, श्री फ्लेमिंग ने कहा कि वह यह देखकर बहुत उत्साहित हैं कि भारत किस प्रकार से महिला सशक्तिकरण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है और ऐसा पहल न केवल भारत के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए, बल्कि अन्य देशों के लिए भी प्रेरणादायक है और वे इस अवधारणा से सीख सकते हैं। प्रोफेसर फ्लेमिंग नवीनतम प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा महिलाओं को मिल रहे प्रशिक्षण एवं लाभ प्रक्रिया से बहुत प्रभावित हुए।

ड्रोन दीदियों ने प्रोफेसर फ्लेमिंग को भारत सरकार के प्रयासों के बारे में जानकारी दी कि किस प्रकार से उन्हें ड्रोन तकनीक का उपयोग करने और ड्रोन दीदियां बनने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। प्रोफेसर फ्लेमिंग के साथ बातचीत करते हुए, ड्रोन दीदियों ने बताया कि ड्रोन का उपयोग कैसे उन्हें सघन फसलों में उर्वरक एवं कीटनाशक छिड़कने में सहायता प्रदान करता है, जहां मैनुअल छिड़काव करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। उन्होंने यह भी बताया कि वे ड्रोन दीदी कहलाने में गर्वान्वित महसूस करती हैं और इससे उनकी वित्तीय स्थिति में भी बहुत सुधार हुआ है। ड्रोन दीदियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक महान दूरदर्शी व्यक्ति हैं और वह उनके लिए एक महान योजना लेकर आए हैं।

प्रोफेसर जोनाथन ने आईआरएआई के ड्रोन रोबोटिक और मशीन लर्निंग केंद्र का भी दौरा किया, जहां उन्होंने संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार के ड्रोनों का अवलोकन किया जहां उन्हें बताया गया कि वे तकनीक का उपयोग कर किस प्रकार से पारंपरिक कृषि में बदलाव ला रहे हैं। डॉ. रवि साहू, प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी विभाग, आईआरएआई, नई दिल्ली ने प्रोफेसर जोनाथन को भारत की ड्रोन यात्रा के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की और बताया कि भारत कैसे स्वदेशी ज्ञान एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी को कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए एकीकृत कर रहा है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक प्रणाली का आधार है। प्रोफेसर जोनाथन ने इस तकनीकी विकास में बहुत दिलचस्पी व्यक्त की और कहा कि भारत न केवल वर्तमान कृषि प्रणाली में परिवर्तन ला रहा है बल्कि भविष्य में भी निवेश कर रहा है।

श्री रमन वाधवा, उप निदेशक, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने आगंतुक प्रोफेसर को नमो ड्रोन दीदी योजना के बारे में जानकारी प्रदान की। चार नमो दीदियों अर्थात् सुश्री गीता, सुश्री सीता, सुश्री प्रियंका और सुश्री हेमलता ने अमेरिकी प्रोफेसर के समक्ष आईएआरआई परिसर के खेतों में ड्रोन द्वारा छिड़काव का लाइव प्रदर्शन किया। बाद में मीडिया से बात करते हुए, प्रोफेसर जोनाथन फ्लेमिंग ने कहा कि अमेरिका में ड्रोन प्रोत्साहन योजना के लाभार्थी 100 प्रतिशत पुरुष हैं, जबकि भारत में यह पूरी तरह से विपरीत है क्योंकि सभी लाभार्थी महिलाएं हैं, जो यह दर्शाता है कि भारत प्रौद्योगिकी का उपयोग महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किस प्रकार से कर रहा है। उन्होंने कहा कि “मैं भारत में प्राप्त अपने अद्भुत अनुभवों के साथ अपनी सरकार के लिए बहुत सारे सकारात्मक संदेश लेकर अपने देश वापस जा रहा हूं।”

 पुस्तक मेला : माध्यम बदल जाये पर किताबों का महत्व कम नहीं होगा

लखनऊ । रवीन्द्रालय चारबाग लान में आज से नौ मार्च तक चलने वाला लखनऊ पुस्तक मेला प्रारम्भ हो गया। मेले का उदघाटन यूपी मेट्रो रेल कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशीलकुमार ने किया। बाल साहित्य थीम पर आधारित मेले में साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों का सिलसिला भी प्रारम्भ हो गया। सांस्कृतिक गतिविधियों में आज रतन सिस्टर्स ईशा-मीशा की कथक संरचना मेरे रघुवर का प्रदर्शन विशिष्ट रहा।

उदघाटन करते हुए मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने कहा कि किताबों का महत्व कभी कम नहीं हो सकता, माध्यम जरूर बदल सकता है। आज जरूरत है किताबों को डिजिटल में लाने की। कुछ प्रकाशकों ने यह काम शुरू भी कर दिया है। उन्होंने 60 से पार लोगों के लिए किताबें और मीडिया सामग्री तैयार करने का आह्वान करते हुए कहा कि मेट्रो के दरवाजे केवल पुस्तक मेलों ही नहीं, हर प्रतिभा, हर कलाकार के लिये प्रदर्शनात्मक आयोजनों  और फोटो शूट, डाक्यूमेंट्री फिल्म आदि के लिये खुले हैं। अतिथि राजेन्द्र अग्रवाल ने बच्चों से मोबाइल लेकर उन्हें किताबें पकड़ाने की गुजारिश की। खेल संगठनों से जुड़े टीपी हवेलिया ने बाबा फतेह सिंह जैसे शहीद वीर बालकों का जिक्र किया। इससे पहले ज्योति किरन रतन के संचालन में चले समारोह में संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने 2003 से राष्ट्रीय और 2014 से लखनऊ पुस्तक मेले की शुरुआत का जिक्र करते हुए बताया कि अप्रैल में लखनऊ मेट्रो रेल के बच्चों के लिये विशेषई भी आयोजन करेंगे। आभार मेला निदेशक आकर्ष चंदेल ने व्यक्त किया।

भारत और यूरोपीय संघ मिलकर प्रौद्योगिकी में करेंगे क्रांति

0

नई दिल्ली : विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग पर भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) की बैठक 27 फरवरी 2025 को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय, विज्ञान भवन एनेक्सी, नई दिल्ली में आयोजित की गई। यह बैठक कॉलेज ऑफ कमिशनर्स के साथ यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष महामहिम सुश्री उर्सुला वॉन डेर लेयेन की दो दिवसीय भारत यात्रा के मद्देनजर आयोजित की जा रही विभिन्न क्षेत्रीय बैठकों का हिस्सा थी। बैठक की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद और यूरोपीय संघ की स्टार्टअप, अनुसंधान और नवाचार आयुक्त सुश्री एकातेरिना ज़हरिवा ने की।

भारत की ओर से, इस बैठक में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश एस. गोखले, वैज्ञानिक ‘एच’, डीबीटी डॉ. संजय मिश्रा, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय के सलाहकार डॉ. मोनोरंजन मोहंती, डीएसटी के अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रमुख डॉ. प्रवीण कुमार एस,  डॉ. अपर्णा शुक्ला, वैज्ञानिक ‘ई’, एमओईएस और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के डॉ. हफ्सा अहमद, वैज्ञानिक ‘डी’ ने भाग लिया। यूरोपीय आयोग से सुश्री ज़हरिवा के साथ अनुसंधान और नवाचार महानिदेशालय के महानिदेशक श्री मार्क लेमेत्रे, अंतरराष्ट्रीय सहयोग इकाई के प्रमुख सुश्री निएनके बुइसमैन, आयुक्त ज़हरिवा की कैबिनेट के उप प्रमुख सुश्री सोफी अलेक्जेंड्रोवा, आयुक्त ज़हरिवा की कैबिनेट के सदस्य श्री इवान डिमोव, प्रथम परामर्शदाता और अनुसंधान और नवाचार अनुभाग के प्रमुख श्री पियरिक फ़िलोन-आशिदा, भारत के लिए ईयू प्रतिनिधिमंडल तथा भारत में यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल अनुसंधान एवं नवाचार अनुभाग के नीति अधिकारी डॉ. विवेक धाम शामिल हुए। इस बैठक का उद्देश्य भारत-यूरोपीय संघ अनुसंधान साझेदारी को मजबूत करना और स्वच्छ ऊर्जा, पानी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन अनुसंधान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देना है।

चर्चा के दौरान, दोनों पक्षों ने लंबे समय से चले आ रहे भारत-ईयू विज्ञान और प्रौद्योगिकी समझौते को स्वीकार किया, जिस पर मूल रूप से 2001 में हस्ताक्षर किए गए थे और 2015 और 2020 में नवीनीकृत किया गया था, जो अब 2025-2030 तक विस्तार के लिए निर्धारित है। इस साझेदारी ने जल संसाधन प्रबंधन, स्मार्ट ग्रिड, स्वच्छ ऊर्जा, वैक्सीन विकास और जलवायु परिवर्तन और ध्रुवीय अनुसंधान में अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बैठक में अपशिष्ट जल उपचार, वैक्सीन नवाचार और गहरे समुद्र में खोज में महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर बल दिया गया, जो दोनों क्षेत्रों के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों के रूप में उभरे हैं।

भारत का तेजी से बढ़ता इनोवेशन इकोसिस्टम स्टार्टअप और यूनिकॉर्न निर्माण में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। इनोवेशन इकोसिस्टम स्टार्टअप को सहयोग के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में मान्यता दी गई। चर्चा नवीकरणीय ऊर्जा, बायोफार्मास्यूटिकल्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बायोमैन्युफैक्चरिंग और जैव प्रौद्योगिकी आदि में भारत की उभरती विशेषज्ञता पर भी केंद्रित रही।

जहान-ए-खुसरो  में  खुशबू  हिंदुस्तान की मिट्टी की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सूफी संगीत समारोह, जहान-ए-खुसरो 2025 में भाग लिया

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली स्थित सुंदर नर्सरी में आयोजित सूफी संगीत समारोह, जहान-ए-खुसरो 2025 में भाग लिया। जहान-ए-खुसरो में सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हजरत अमीर खुसरो की समृद्ध विरासत की मौजूदगी में खुशी महसूस करना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि वसंत का मौसम, जिसके खुसरो दीवाने थे, वह सिर्फ मौसम ही नहीं है, बल्कि आज दिल्ली में जहान-ए-खुसरो की आबोहवा में भी मौजूद है।

श्री मोदी ने देश की कला और संस्कृति के लिए जहां-ए-खुसरो जैसे आयोजनों की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि ये महत्व और सुकून, दोनों प्रदान करते हैं। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि इस आयोजन ने, जो अब 25 वर्ष पूरे कर रहा है, लोगों के जेहन में एक अहम जगह बना ली है। उन्होंने इसे एक बड़ी उपलब्धि के रूप में निरूपित किया। प्रधानमंत्री ने डॉ. कर्ण सिंह, मुजफ्फर अली, मीरा अली और अन्य सहयोगियों को उनके योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने रूमी फाउंडेशन और जहान-ए-खुसरो से जुड़े सभी लोगों को भविष्य में इस सफलता को जारी रखने की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने रमज़ान के मुबारक महीने के करीब होने पर सभी उपस्थित लोगों और देश के नागरिकों को रमज़ान की शुभकामनाएं भी दीं। श्री मोदी ने महामहिम प्रिंस करीम आगा खान के योगदानों को याद किया, जिनका सुंदर नर्सरी को आगे बढ़ाने का प्रयास लाखों कला प्रेमियों के लिए एक वरदान बन गया है।

प्रधानमंत्री ने गुजरात की सूफी परंपरा में सरखेज रोजा की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि, अतीत में, इस स्थल की स्थिति खराब हो गई थी, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने इसके जीर्णोद्धार पर ध्यान केन्द्रित किया। प्रधानमंत्री ने उस समय को भी याद किया जब सरखेज रोजा में भव्य कृष्ण उत्सव समारोह का आयोजन किया जाता था और उसमें अच्छी संख्या में लोग शामिल होते थे। उन्होंने कहा कि आज भी वातावरण में कृष्ण भक्ति का रस मौजूद है। श्री मोदी ने कहा, “मैं सरखेज रोजा में आयोजित वार्षिक सूफी संगीत समारोह में नियमित रूप से भाग लेता था।“ उन्होंने जोर देकर कहा, “सूफी संगीत एक ऐसी साझी विरासत है, जो जीवन के सभी क्षेत्र से जुड़े लोगों को एकजुट करता है। नजर-ए-कृष्णा की प्रस्तुति ने भी इसी साझी सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि जहान-ए-खुसरो के इस आयोजन में एक अनूठी खुशबू है और यह खुशबू  हिंदुस्तान की मिट्टी की है। उन्होंने इस तथ्य को याद किया कि कैसे हजरत अमीर खुसरो ने हिंदुस्तान की तुलना जन्नत से की थी और देश को सभ्यता का ऐसा बगीचा बताया था जहां संस्कृति का हर पहलू फला-फूला है। श्री मोदी ने कहा, “भारत की मिट्टी का मिजाज ही कुछ खास है और जब सूफी परंपरा यहां पहुंची, तो उसे इस भूमि से एक रिश्ता महसूस हुआ। बाबा फरीद की रूहानी बातें, हज़रत निज़ामुद्दीन की महफिल से प्रज्वलित हुआ प्रेम और हजरत अमीर खुसरो के छंदों से पैदा हुए नए रत्न सामूहिक रूप से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के सार हैं।”

प्रधानमंत्री ने भारत में सूफी परंपरा की विशिष्ट पहचान पर जोर दिया, जहां सूफी संतों ने कुरान की शिक्षाओं को वैदिक सिद्धांतों और भक्ति संगीत के साथ मिश्रित किया। उन्होंने अपने सूफी गीतों के माध्यम से विविधता में एकता को व्यक्त करने के लिए हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की प्रशंसा की। श्री मोदी ने कहा, “जहान-ए-खुसरो अब इस समृद्ध एवं समावेशी परंपरा की आधुनिक पहचान बन गया है।”

श्री मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि किसी भी देश की सभ्यता और संस्कृति को स्वर उसके संगीत और गीतों से मिलते हैं। उन्होंने कहा, “जब सूफी और शास्त्रीय संगीत परंपराओं का मिलन हुआ, तो उन्होंने प्रेम और भक्ति की नई अभिव्यक्तियों को जन्म दिया, जो हजरत खुसरो की कव्वालियों, बाबा फरीद के छंदों, बुल्ला शाह, मीर, कबीर, रहीम और रस खान की कविताओं में स्पष्ट है। इन संतों और मनीषियों ने भक्ति को एक नया आयाम दिया।”

श्री मोदी ने कहा कि आप चाहे सूरदास, रहीम, रस खान को पढ़ें या हजरत खुसरो को सुनें, ये सभी अभिव्यक्तयां उसी आध्यात्मिक प्रेम की ओर ले जाती हैं, जहां इंसानी बंदिशें टूट जाती हैं, और इंसान एवं भगवान का मिलन महसूस होता है। श्री मोदी ने कहा, “रस खान, मुस्लिम होने के बावजूद, भगवान कृष्ण के एक समर्पित अनुयायी थे, जो प्रेम और भक्ति की सार्वभौमिक प्रकृति को दर्शाता है, जैसा कि उनकी कविता में व्यक्त किया गया है। इस कार्यक्रम में पेश की गई भव्य प्रस्तुति ने भी आध्यात्मिक प्रेम की इसी गहरी भावना को दर्शाया।”

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सूफी परंपरा ने न केवल इंसानों की रूहानी दूरियों को कम किया है बल्कि विभिन्न राष्ट्रों के बीच की दूरियों को भी कम किया है। उन्होंने 2015 में अफगान संसद की अपनी यात्रा को याद किया, जहां उन्होंने रूमी के बारे में भावनात्मक रूप से बात की थी, जिनका जन्म आठ शताब्दी पहले अफगानिस्तान के बल्ख में हुआ था। श्री मोदी ने रूमी के उस विचार को साझा किया जो भौगोलिक सीमाओं से परे है: “मैं न तो पूरब का हूं और न ही पश्चिम का, न मैं समुद्र या जमीन से निकला हूं, मेरी कोई जगह नहीं है, मैं हर जगह हूं।” प्रधानमंत्री ने इस दर्शन को भारत की प्राचीन मान्यता “वसुधैव कुटुंबकम” (दुनिया एक परिवार है) से जोड़ा और अपने वैश्विक कार्यक्रमों के दौरान ऐसे विचारों से ताकत हासिल की। श्री मोदी ने ईरान में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान मिर्ज़ा ग़ालिब के एक शेर को पढ़ने को भी याद किया, जो भारत के सार्वभौमिक और समावेशी मूल्यों को दर्शाता है।

श्री मोदी ने हजरत अमीर खुसरो के बारे में बात की, जो ‘तूती-ए-हिंद’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि खुसरो ने अपनी रचनाओं में भारत की महानता एवं आकर्षण की प्रशंसा की, जैसा कि उनकी पुस्तक नुह-सिप्हर में देखने को मिलता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि खुसरो ने भारत को उस दौर की दुनिया के सभी बड़े देशों से महान बताया और वह संस्कृत को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ भाषा मानते थे। श्री मोदी ने स्वीकार किया कि खुसरो भारत के मनीषियों को बड़े-बड़े विद्वानों से भी महान मानते थे। श्री मोदी ने कहा, “’खुसरो को इस बात पर भी गर्व था कि कैसे भारत का शून्य, गणित, विज्ञान और दर्शन का ज्ञान दुनिया के बाकी हिस्सों में फैल गया, खासकर कैसे भारतीय गणित अरबों तक पहुंचा और ‘हिंदसा’ के नाम से जाना जाने लगा। प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि और उसके बाद हुई तबाही के बावजूद, हजरत खुसरो के लेखन ने भारत के समृद्ध अतीत को संरक्षित करने और इसकी विरासत को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री ने जहान-ए-खुसरो के प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया, जो 25 वर्षों से भारत की सांस्कृतिक विरासत को सफलतापूर्वक बढ़ावा दे रहा है और उसे समृद्ध कर रहा है। श्री मोदी ने स्वीकार किया कि इस पहल को एक चौथाई सदी तक बनाए रखना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस उत्सव का आनंद लेने के अवसर के लिए आभार व्यक्त करते हुए और इस कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों के प्रति अपनी हार्दिक सराहना व्यक्त करते हुए अपना  संबोधन समाप्त किया।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री देश की विविध कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रबल समर्थक रहे हैं। इसके अनुरूप, उन्होंने जहान-ए-खुसरो में भाग लिया जो सूफी संगीत, कविता और नृत्य को समर्पित एक अंतरराष्ट्रीय समारोह है। यह समारोह अमीर खुसरो की विरासत का उत्सव मनाने के लिए दुनिया भर के कलाकारों को एक साथ ला रहा है। रूमी फाउंडेशन द्वारा आयोजित तथा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं कलाकार मुजफ्फर अली द्वारा 2001 में शुरू किया गया यह समारोह इस वर्ष अपनी 25वीं वर्षगांठ मनाएगा और 28 फरवरी से 2 मार्च के दौरान आयोजित किया जा रहा है।

यूक्रेन को लेकर यूरोप- अमेरिका आमने सामने

न्यूयार्क : यूक्रेन को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अब की नीति से यू टर्न ले लिया है| अब अमेरिका जेलेन्स्की की जगह रूसी राष्ट्रपति पुतिन की ओर खड़ा नजर आ रहा है| अभी तक जहां यूक्रेन- रूस युद्ध में अमेरिका ने खुलकर यूक्रेन की सहायता की| वहीं ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने मदद से अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं|

अमेरिका दौरे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ओवल ऑफिस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की तीखी बहस हुई है| इस दौरान जेलेंस्की थोड़े परेशान दिखे|  इस घटना ने रूसी अधिकारियों को खुश किया होगा और  यूक्रेन का समर्थन करने वालों को निराश किया होगा| ट्रंप और जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद कई देश अब जेलेंस्की के समर्थन में आ गए हैं| इनमें स्लोवेनिया, बेल्जियम, आयरलैंड, ऑस्ट्रिया, कनाडा, रोमानिया, क्रोएशिया, फिनलैंड, एस्तोनिया, लातविया, नीदरलैंड, फ्रांस, लक्समबर्ग, पुर्तगाल, स्वीडन, जर्मनी, नॉर्वे, चेक रिपब्लिक, लिथुआनिया, मोलदोवा, स्पेन, पोलैंड, यूके, ईयू ब्लॉक शामिल हैं| इसके साथ इटली ने शिखर सम्मेलन का आह्वान किया| जिसके बाद ज़्यादातर देश दो पालों में बंटे नजर आ रहे हैं| लोगों का मानना है कि  भविष्य में रूसी आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन की सुरक्षा के आश्वासन के बिना कोई शांति समझौता नहीं किया जा सकता|

यूको बैंक जी डी बिड़ला स्‍मृति व्‍याख्‍यानमाला में विकसित भारत की चर्चा

0

लखनऊ : यूको बैंक अंचल कार्यालय लखनऊ द्वारा संकल्‍प राजभाषा कार्ययोजना 2024-25 के अंतर्गत नराकास लखनऊ के तत्‍वावधान में  ‘यूको बैंक जी डी बिड़ला स्‍मृति व्‍याख्‍यानमाला किया गया। व्‍याख्‍यानमाला का विषय ‘विकसित भारत @ 2047’ था। मुख्‍य अतिथि के रूप में श्री अरंविंद मोहन, कला संकायाध्‍यक्ष लखनऊ विश्‍वविद्यालय ने विस्‍तार से इस विषय पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्‍वती वंदना एवं दीप प्रज्‍जवलन के साथ किया गया।

गणमान्‍य अतिथियों में प्रो०(डॉ०) अरविंद मोहन, कला संकायाध्‍यक्ष लखनऊ विश्‍वविद्यालय एवं प्रो०(डॉ०) योगेन्‍द्र प्रताप, हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्‍वविद्यालय उपस्थित थे। मुख्‍य अतिथि प्रो०(डॉ) अरविंद मोहन ने भारतीय अर्थवयवस्‍था के विकास के विभिन्‍न चरणों का वर्णन करते हुए विकसित भारत @2047 के लिए भारतीय अर्थव्‍यवसथा के लिए आवश्‍यक कारकों पर बात करते हुए ग्रामीण विकास और मानव संसाधन के विकास को आवश्‍यक बताया । उन्‍होंने बिना रोज़गार सृजन के विकास पर चिंता व्‍यक्‍त की । उन्‍होंने कहा कि महिलाओं को इस देश की जितनी आवश्‍यकता है उससे कहीं अधिक महिलाओं की आवश्‍यकता इस देश को है।

यूको बैंक लखनऊ अंचल के अंचल प्रमुख श्री आशुतोष सिंह ने विकसित भारत के लिए आवश्‍यकताओं पर प्रकाश डाला एवे अन्‍य विकसित देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाओं की विशेषताओं को तुलनात्‍मक रूप से प्रस्‍तुत किया।  प्रो०(डॉ०)योगेनद्र प्रताप सिंह ने इस अवसर पर यूको बैंक की राजभाषा हिंदी में किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

यूको बैंक अंचल कार्यालय द्वारा इस अवसर पर ‘यूको राजभाषा सम्‍मान” भी दिया गया। लखनऊ विश्‍व विद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग की परास्‍नातक हिंदी परीक्षा  में सर्वाधिक अंक पाने वाली दो छात्राओं सुश्री मानसी श्रीवास्‍तव एवं सुश्री अंजली कुश्‍वाहा को ‘यूको राजभाषा  सम्‍मान’ दिया गया।  सम्‍मान स्वरूप  5000/- का ड्राफ्ट और  स्‍मृति चिहृन प्रदान किया गया।

यूको बैंक द्वारा नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति (बैंक) लखनऊ के तत्‍वावधान में आयोजित समाचार वाचन प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। प्रतियोगिता में नराकास लखनऊ के सदस्‍य कार्यालयों एवं बैंकों के प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर अंचल कार्यालय लखनऊ  द्वारा आयोजित विभिन्‍न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्‍कृत किया । कार्यक्रम में यूको बैंक की शाखाओं एवं अंचल कार्यालय के स्‍टाफ सदस्‍य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ शिल्‍पी शुक्‍ला वरिष्‍ठ प्रबंधक राजभाषा द्वारा किया गया ।

 ‘लुक ईस्ट’ नीति ‘एक्ट ईस्ट’ अरुणाचल प्रदेश में अभूतपूर्व विकास  

0

उपराष्ट्रपति ने कामले जिले में प्रथम संयुक्त मेगा न्योकुम युल्लो समारोह में भाग लिया

 अरुणाचल प्रदेश : भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज कहा है, “कई दशक पहले भारत सरकार ने ‘लुक ईस्ट’ नीति शुरू की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘एक्ट ईस्ट’ में बदल दिया है क्योंकि केवल देखना ही काफी नहीं है; कार्रवाई भी ज़रूरी है। जब कार्रवाई की जाती है, तो हम उल्लेखनीय बदलाव देखते हैं। चाहे हवाई यात्रा हो, हवाई अड्डे हों, रेलवे और सड़क संपर्क हो या फिर 4जी नेटवर्क की उपलब्धता हो – ये सभी अरुणाचल प्रदेश में प्रगति के संकेतक हैं।”

अरुणाचल प्रदेश के कामले जिले के काम्पोरिजो सर्कल में मुख्य अतिथि के रूप में प्रथम संयुक्त मेगा न्योकुम युल्लो समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश में 50,000 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता है। एक मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए 10 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होती है, जिसका अर्थ है कि अरुणाचल प्रदेश में 5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है। किरेन जी में निश्चित रूप से कोई जादू है। उन्होंने प्रधानमंत्री को यह विश्वास दिलाने में सफलता प्राप्त की और आप सभी से इस अवसर का लाभ उठाने, सहयोग करने और हमारी संस्कृति को संरक्षित करने का आग्रह किया। ऐसे परिदृश्य में, मैं यहां आकर वास्तव में काफी प्रसन्न महसूस कर रहा हूं।”

उपराष्ट्रपति ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कहा, “भारत के इतिहास में पहली बार बौद्ध समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है, और एक बौद्ध नेता को कैबिनेट मंत्री का पद भी दिया गया है। इस ऐतिहासिक घटनाक्रम ने संपूर्ण विश्व को मजबूत संदेश दिया है।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह प्रगति इस तथ्य की पुष्टि करती है कि भारत अद्वितीय राष्ट्र है, और हमें राष्ट्रवाद से ओतप्रोत रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “किसी भी परिस्थिति में हम राष्ट्रीय हित, राष्ट्र के प्रति समर्पण या उसकी सेवा करने के अपने संकल्प से समझौता नहीं कर सकते।”

उपराष्ट्रपति ने भारत की सांस्कृतिक एकता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “कोई दूसरा देश भारत जैसा नहीं है। आज आप न्योकुम युल्लो मना रहे हैं, तो होली, बैसाखी, लोहड़ी, बिहू, पोंगल और नवान्न जैसे त्यौहार भी पूरे देश में मनाए जाएंगे। हम भारत में कहीं भी हों, हमारे विचार और परंपराएं एक ही हैं।”

उन्होंने यह भी कहा, “आज भारत मजबूत राष्ट्र है। कोई भी हम पर बुरी नज़र नहीं डाल सकता। हमारे प्रधानमंत्री दुनिया के सबसे प्रमुख नेताओं में से हैं और आप सभी भाग्यशाली हैं कि जिस व्यक्ति पर आपने भरोसा किया है, उसने प्रधानमंत्री का भी विश्वास जीता है। 140 करोड़ लोगों के देश में, जहां पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में दो दर्जन से अधिक मंत्री हैं, किरेन जी का बार-बार मंत्रिमंडल में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि अरुणाचल प्रदेश में हर स्थिति और परिस्थिति में निरंतर विकास हो रहा है।”

उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के योगदान की सराहना करते हुए कहा, “किरेन रिजिजू जी केंद्र में वरिष्ठ और प्रभावशाली मंत्री हैं। वे चार बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं। और इसीलिए मैं कहता हूं कि किरेन जी, आपने फ्रंटियर हाईवे का सपना देखा था। आपका वह सपना सच होगा। मैं जानता हूं कि अरुणाचल प्रदेश के लिए आपके पास किस तरह का दृष्टिकोण है और आपने कितने महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।”

उपराष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश की अपनी पिछली यात्रा को याद करते हुए कहा, “मैं जब पहली बार अरुणाचल प्रदेश आया था तब राज्य की स्थापना का उत्सव मनाया जा रहा था। मैं भारत की आपकी गौरवशाली जनजातियों को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था।”

भारत सरकार के केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री किरेन रिजिजू, श्री रोटम तेबिन, विधायक, 25-रागा, श्री ताना शोरेन, अध्यक्ष, न्यीशी एलीट सोसाइटी, श्री एचके शल्ला, अध्यक्ष, तानी सुपुन डुकुन, श्री गुची संजय, अध्यक्ष, प्रथम संयुक्त मेगा न्योकुम युलो उत्सव समिति, बोसिमला, श्री रब कारा दानी, सहायक महासचिव, केंद्रीय न्योकुम समिति और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

ट्रंप ने गरीब अवैध प्रवासियों को निकालकर अमीरों के लिए खोला अमेरिका का दरवाजा

न्यूयार्क : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने फैसले को लेकर लगातार चर्चा में रहते हैं। ट्रम्प ने पहले   गरीब अवैध प्रवासियों को हथकड़ी लगातार भारत समेत उनके देशों में भेजा।  अब अमीरों को अमेरिका में बसाने के लिए ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा स्कीम जारी की है। फिलहाल दुनियाभर के अमीरों के लिए 35 साल पुराने ईबी-5 वीजा की जगह “गोल्ड कार्ड” वीजा प्लान पेश किया गया। इस नए वीजा प्लान में 5 मिलियन डॉलर निवेश करने वाले को अमेरिका में नागरिकता पाने का मौका मिलेगा। ट्रंप के इस कदम से अमेरिकी ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे भारतीय नागरिकों में चिंता बढ़ गई है। मौजूदा ईबी-5 वीजा के तहत विदेशी निवेशकों को ऐसे व्यवसाय में लगभग 1 मिलियन डॉलर का निवेश करना होता है जो कम से कम 10 नौकरियां पैदा करता हो। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि “ट्रम्प गोल्ड कार्ड” दो सप्ताह में EB-5 वीजा की जगह ले लेगा। EB-5 को 1990 में कांग्रेस द्वारा विदेशी निवेश उत्पन्न करने के लिए बनाया गया था। EB-5 की संख्या सीमित है लेकिन गोल्ड कार्ड को लेकर ऐसी कोई लिमिट तय नहीं की गई है। मिली जानकारी के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप  10 मिलियन “गोल्ड कार्ड” बेच सकते हैं। भारत के सबसे अमीर लोगों के लिए गोल्ड कार्ड वीजा गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह EB-5 निवेशक वीजा या H-1B से ग्रीन कार्ड प्रक्रिया की तुलना में अमेरिकी निवास के लिए बहुत तेज और आसान मार्ग प्रदान करता है।