Sunday, June 8, 2025
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एनएचआरसी लघु फिल्में मानवाधिकारों की ब्रांड एंबेसडर  

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नई दिल्ली : भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने आज नई दिल्ली में अपने परिसर में वर्ष 2024 में मानवाधिकारों पर अपनी लघु फिल्म प्रतियोगिता के सात विजेताओं को सम्मानित करने और पुरस्कार प्रदान करने के लिए एक समारोह आयोजित किया। भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यम ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आयोग का उद्देश्य मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देने और उनकी रक्षा करने के लिए जागरूकता पैदा करना है। मानवाधिकारों पर इसकी लघु फिल्म प्रतियोगिता पिछले एक दशक से इस उद्देश्य को बहुत प्रभावी ढंग से पूरा कर रही है। एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ) बिद्युत रंजन सारंगी और श्रीमती विजया भारती सयानी, महासचिव श्री भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने कहा कि वर्ष 2015 में इस प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र में केवल 40 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं। वर्ष 2024 में अपने दसवें साल में देश के विभिन्न भागों से 300 से अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि इस आयोजन ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लोगों के बीच मानवाधिकार जागरूकता ने कितनी लोकप्रियता हासिल की है, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में विभिन्न मानवाधिकारों पर फिल्में बनाने और लोगों को उनके बारे में जागरूक करने का विकल्प चुन रहे हैं, जिसे जानकर खुशी होती है।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यन ने सात पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि पुरस्कृत फिल्मों ने मानवाधिकारों के कई मुद्दों को छुआ है, जिनमें नदी जल प्रदूषण, पीने योग्य पानी का मूल्य, बाल विवाह और शिक्षा, वृद्ध व्यक्तियों के अधिकार, कुछ धार्मिक प्रथाओं के कारण अधिकारों का उल्लंघन, महिलाओं के अधिकार और घरेलू हिंसा शामिल हैं। उन्होंने सभी प्रतिभागियों की प्रशंसा की और उन्हें मानवाधिकारों का ब्रांड एंबेसडर बताया। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि अगले वर्ष वे मानवाधिकारों पर और अधिक फिल्में बनाएंगे और पुरस्कार जीतेंगे।

इससे पहले भारत के एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ) बिद्युत रंजन सारंगी ने अपने संबोधन में कहा कि सभी सातों फिल्मों में अलग-अलग संदेश हैं। उन्होंने कहा कि फिल्में लोगों के बीच मानवाधिकारों को प्रोत्साहन देने और उनकी रक्षा करने का एक प्रभावी माध्यम हैं। उन्होंने विशेष रूप से वृत्तचित्र दूध गंगा पर प्रकाश डाला, जो दर्शाती है कि प्रदूषण ने घाटी के परिदृश्य को कैसे बदल दिया है और इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

भारत के एनएचआरसी की सदस्य श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि विजेताओं ने कहानियों को जीवंत बनाने के लिए अथक परिश्रम किया है, ताकि रूढ़िवादिता को चुनौती दी जा सके, सामाजिक बाधाओं को तोड़ा जा सके और लोगों को सोचने, महसूस करने और कार्य करने के लिए सशक्त बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि उनका समर्पण केवल फिल्म निर्माण के बारे में नहीं है, बल्कि एक बेहतर दुनिया का समर्थन, साहस और प्रतिबद्धता के बारे में है। उनके द्वारा कैप्चर किया गया हर फ्रेम और दिया गया संदेश एक बड़े उद्देश्य की ओर योगदान देता है, जहाँ मानवीय गरिमा का सम्मान किया जाता है, आवाज़ सुनी जाती है और न्याय होता है।

इससे पहले, भारत के एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने अपने उद्घाटन भाषण में एनएचआरसी की लघु फिल्म प्रतियोगिता का अवलोकन प्रस्तुत किया, जो 2015 में शुरू हुई थी और प्रत्येक वर्ष गुणवत्ता वाली फिल्मों की प्रविष्टियों की संख्या में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में प्रतियोगिता के दसवें संस्करण के लिए कुल 303 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। प्रारंभिक जांच के बाद, 243 प्रविष्टियाँ पुरस्कारों के लिए चुनी गईं, जिनका निर्णय तीन दौर की कठोर निर्णायक प्रक्रिया द्वारा किया गया, जिसमें एनएचआरसी अध्यक्ष और सदस्यों की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अंतिम दौर में सात विजेताओं का फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि सभी पुरस्कृत फिल्में पिछले वर्षों की तरह आयोग की वेबसाइट पर अपलोड की जाएंगी। ये सरकारी विभागों, प्रशिक्षण और शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ नागरिक समाज द्वारा मानवाधिकार जागरूकता उद्देश्यों के लिए स्क्रीनिंग के लिए खुली हैं।

भारत के एनएचआरसी के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल वीरेंद्र सिंह ने पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा की। इंजीनियर अब्दुल रशीद भट की फिल्म ‘दूध गंगा-घाटी की मरती हुई जीवन रेखा’ को 2 लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार, एक ट्रॉफी और एक प्रमाण पत्र दिया गया। जम्मू-कश्मीर की वृत्तचित्र फिल्म इस बारे में चिंता व्यक्त करती है कि कैसे विभिन्न अपशिष्टों के मुक्त प्रवाह ने दूध गंगा नदी के प्राचीन जल को प्रदूषित किया है और घाटी में लोगों के समग्र हित के लिए इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। यह फिल्म अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में है और इसके उपशीर्षक अंग्रेजी में हैं।

दूसरा पुरस्कार 1.5 लाख रुपये, एक ट्रॉफी और एक प्रमाण पत्र आंध्र प्रदेश के कदारप्पा राजू की फिल्म ‘फाइट फॉर राइट्स’ को दिया गया। यह फिल्म बाल विवाह और शिक्षा के मुद्दे पर है। यह तेलुगु भाषा में है और इसके उपशीर्षक अंग्रेजी में हैं।

तीसरा पुरस्कार 1 लाख रुपये, एक ट्रॉफी और एक प्रमाण पत्र ‘जीओडी’ को तमिलनाडु के श्री आर. रविचंद्रन द्वारा दिया गया। मूक फिल्म में एक वृद्ध नायक के माध्यम से पीने योग्य पानी के मूल्य को दर्शाया गया है।

चार फिल्मों को ‘विशेष उल्लेख प्रमाणपत्र’ से सम्मानित किया गया, जिसमें प्रत्येक को 50,000 रुपये दिए गए। इनमें तेलंगाना के श्री हनीश उंद्रमटला की ‘अक्षराभ्यासम’; तमिलनाडु के श्री आर. सेल्वम की ‘विलायिला पट्टाथारी (एक सस्ता स्नातक)’; आंध्र प्रदेश के श्री मदका वेंकट सत्यनारायण की ‘लाइफ ऑफ सीता’ और आंध्र प्रदेश के श्री लोटला नवीन की ‘बी ए ह्यूमन’ शामिल हैं।पुरस्कार विजेताओं ने अपनी पुरस्कार विजेता लघु फिल्मों के निर्माण के पीछे के विचार भी साझा किए।

संस्कार भारती अवध प्रांत की “विशेष साधारण सभा” की बैठक

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लखनऊ : संस्कार भारती, अवध प्रांत की “विशेष साधारण सभा” की बैठक विद्या भारती शोध संस्थान, निराला नगर, लखनऊ में आयोजित की गई । जिस में अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य श्री गिरीश चंद्र जी का पाथेय व मार्गदर्शन प्राप्त हुआ ,जिस में उन्होंने कहा की  संस्कार भारती संगठन  में कलाकारो को जोड़ने तथा पुरानी लुप्त होती कला को संरक्षित करने का कार्य किया जाए ।प्रान्त  महामंत्री अमित कुमार द्वारा  संस्कार भारती के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय डॉ. मैसूर मंजुनाथ जी का एवं अ0भा0 कार्यकारणी का  संक्षिप्त परिचय सभी से करवाया गया । संस्कार भारती अवध प्रांत की विशेष साधारण सभा का आयोजन प्रांतीय कार्यकारणी का विस्तार को लेकर आयोजित की गई थी, जिसमें प्रांत की नई कार्यकारिणी घोषणा कार्यकारी अध्यक्ष सीताराम कश्यप के द्वारा की गई । प्रांतीय अध्यक्ष श्रीमती अनुराधा गोएल जी ने कहा कि  आने वालो दिनों में संस्कार भारती, कला और कलाकारों के उन्नयन विकाश के लिए संयुक्त रूप से कार्य करेगी । माननीय क्षेत्र प्रमुख जी द्वारा पीपीटी के माध्यम से नवीन कार्य रचना की विस्तार से चर्चा की गई है जिस में सभी 5 विधाओ के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा की गयी बताया कि  केंद्र द्वारा ६४ कलाओं को पांच विभागों में समाहित किया गया जिसमे प्रमुख र्रूप से  दृश्य कला, मंचीय कला , साहित्य कला , लोक कला ,धरोहर कला है जिसमे प्रान्त में उक्तवत कलाओं के संयोजको को जिम्मेदारी दी गयी  क्रमशः दृश्य कला -विनीत पाण्डेय , मंचीय कला- विभा सिंह ,साहित्य कला – डा0 अशोक अग्निपथी, लोक कला – डा0 कुमुद सिंह , कला धरोहर – डा0 प्रभाकर जौहरी I

उपाध्यक्ष- श्रीमती पूनम श्रीवास्तव, श्री हरीश श्रीवास्तव , श्री शिव कुमार व्यास

सह महामंत्री – श्री चन्द्रभूषण सिंह,

मंत्री – श्री धर्मेंद्र सिंह , श्री  पुनीत स्वर्णकार

मातृशक्ति –  श्रीमती किरन श्रीवास्तव

सुरक्षा रणनीति को आकार देने में भारतीय सशस्त्र बलों की अहम भूमिका : सीडीएस

सिकंदराबाद : “आज के युद्धक्षेत्र में जीवित रहना सबसे योग्य होने के बारे में नहीं है, बल्कि उनके बारे में है जो अनुकूलन करते हैं, परिवर्तन करते हैं, खुद को स्थिति में लाते हैं और उभरते अवसरों का लाभ उठाते हैं।” चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट (सीडीएम), सिकंदराबाद में यह बात कही। उन्‍होंने 21वीं सदी के जटिल सुरक्षा परिदृश्य को नेविगेट करने की चुनौतियों पर उच्च रक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम एचडीएमसी-20 का अध्‍ययन कर रहे भावी रणनीतिक नेताओं को संबोधित किया।

इस अवसर पर जनरल अनिल चौहान ने समकालीन और उभरती सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने की आवश्‍यकता पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए तेजी से बदलती वैश्विक शक्ति गतिशीलता, गैर-पारंपरिक खतरों और तेज गति वाले एआई व्यवधानों की विशेषता वाली तकनीकी प्रगति के बीच अनुकूलनशीलता, लचीलापन और दूरदर्शी नेतृत्व बहुत महत्वपूर्ण है। सीडीएस ने समन्वित प्रतिक्रिया के लिए संपूर्ण राष्ट्र के दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया और देश की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को आकार देने में भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका को रेखांकित किया।

रक्षा सुधारों के वर्ष में राष्ट्रीय सुरक्षा वास्तुकला और परिवर्तन प्रबंधन पर भाषण में सीडीएस ने सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) के कामकाज और सशस्त्र बलों में संयुक्तता, एकीकरण और तालमेल को बढ़ावा देने की दिशा में परिवर्तनकारी अभियान के बारे में गहन जानकारी दी। उन्होंने सशस्त्र बलों के लिए विजन 2047, संयुक्त सिद्धांतों, रक्षा और सैन्य नीतियों के साथ-साथ एकीकृत क्षमता विकास योजना को अंतिम रूप देने के प्रयासों की जानकारी दी। इसके साथ ही उन्‍होंने डीएमए द्वारा शुरू की गई आत्मनिर्भरता पहलों पर विस्तार से चर्चा करते हुए परिवर्तन के वर्ष के रोडमैप का सूक्ष्म परिप्रेक्ष्य प्रदान किया।

जनरल चौहान ने मित्र देशों के अधिकारियों सहित संकाय सदस्यों और पाठ्यक्रम प्रतिभागियों के साथ बातचीत भी की। उन्‍होंने उभरते रणनीतिक माहौल में आगे रहने के लिए रक्षा प्रतिष्ठान के भीतर नवाचार, प्रयोग और सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व पर अंतर्दृष्टि प्रस्‍तुत की। सीडीएस का सीडीएम का दौरा रक्षा प्रबंधन शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के भविष्य को आकार देने में इसकी भूमिका का प्रमाण है।

तमिलनाडु में हत्या पर एनएचआरसी ने कलेक्टर को दिया नोटिस

तिरुनेलवेली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है जिसमें कहा गया है कि तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में चार लोगों के एक समूह ने दिनदहाड़े एक सेवानिवृत्त पुलिस उपनिरीक्षक की हत्या कर दी। कथित तौर पर, पीड़ित एक कार्यकर्ता था जो क्षेत्र में वक्फ भूमि के अतिक्रमण के खिलाफ कानूनी मामले लड़ रहा था और उसे कुछ लोगों से जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पुलिस उनके खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं कर रही थी क्योंकि वह उनके साथ मिली हुई थी।

आयोग ने पाया है कि यदि समाचार रिपोर्ट की सामग्री सत्य है, तो यह पीड़ित के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। इसलिए, आयोग ने पुलिस महानिदेशक और जिला कलेक्टर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। 19 मार्च, 2025 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मृतक के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस की निष्क्रियता और घोर लापरवाही के कारण उसकी हत्या हुई।

भारत का अपना सुरक्षित ब्राउज़र तैयार

कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद, एम. ई. आई. टी. वाई. ने भारतीय ब्राउज़र को आईओएस, एंड्रॉइड और विंडोज के अनुकूल बनाने का काम सौंपा

  • भारत एक “सेवा राष्ट्र” से “उत्पाद राष्ट्र” बनने की दिशा में प्रयास कर रहा है: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव

नई दिल्ली : विश्व खुशहाली दिवस के अवसर पर, भारत सरकार ने सुरक्षित और अभिनव डिजिटल समाधानों के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारत का आईटी क्षेत्र जो 282 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक राजस्व उत्पन्न करता है का ध्यान देशी हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर उत्पाद बनाने की ओर बढ़ रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एम. ई. आई. टी. वाई) ने आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत एक स्वदेशी वेब ब्राउज़र विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी चुनौती शुरू करके तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर एक दूरदर्शी छलांग लगाई। नवाचार को बढ़ावा देने और डिजिटल स्वतंत्रता को मजबूत करने के उद्देश्य से इस ऐतिहासिक पहल का संचालन सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक), बैंगलोर द्वारा किया गया था।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय वेब ब्राउज़र विकास चुनौती आईडब्ल्यूबीडीसी के विजेताओं की घोषणा की। 20 मार्च 2025 को एम. ई. आई. टी. वाई  द्वारा आयोजित एक समारोह में, उन्होंने उन प्रतिभागियों पर बहुत गर्व व्यक्त किया जिन्होंने उत्कृष्ट नवाचारों, उल्लेखनीय रचनात्मकता, विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया और भारतीय आवश्यकताओं के अनुरूप एक विश्वसनीय वेब ब्राउज़र के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की। ये विकास आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने और भारत के डिजिटल भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम आगे हैं।

श्री अश्विनी वैष्णव ने भारत सरकार के व्यापक दृष्टिकोण पर बल दिया कि भारत को सेवा राष्ट्र से “उत्पाद राष्ट्र” में बदलना है, जो प्रौद्योगिकी, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर समाधानों में आत्मनिर्भर है। इस दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में, स्वदेशी वेब ब्राउज़र विकसित करने के लिए आईडब्ल्यूबीडीसी की शुरुआत की गई, जिसमें स्टार्टअप, छात्रों और शोधकर्ताओं की उत्साही भागीदारी प्राप्त हुई, जो भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता में योगदान देने के लिए उत्सुक हैं। श्री वैष्णव ने नवाचार से बड़े पैमाने पर उत्पादीकरण की यात्रा में तेजी लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिससे घरेलू डिजिटल समाधानों को व्यापक रूप से अपनाया जा सके और स्टार्टअप और उद्योग को प्रतिस्पर्धी सुरक्षित और स्केलेबल तकनीक विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके जो भारत की आत्मनिर्भरता में योगदान दे।

वेब ब्राउज़र इंटरनेट के प्राथमिक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जो वेब सर्फिंग, ईमेल, ई-ऑफिस और ऑनलाइन लेनदेन जैसी गतिविधियों को सक्षम बनाता है। स्वदेशी भारतीय ब्राउज़र के कई फायदे हैं। सबसे पहले, यह बढ़ी हुई डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जिसमें उपयोगकर्ता डेटा देश की सीमाओं के भीतर रखा जाता है। इससे संवेदनशील जानकारी पर बेहतर नियंत्रण होता है। दूसरा, यह भारत के डेटा सुरक्षा अधिनियम का अनुपालन करता है, जिससे गोपनीयता सुनिश्चित होती है और डेटा सुरक्षा के उच्चतम मानकों का पालन होता है। इसके अतिरिक्त भारतीय नागरिकों द्वारा उत्पन्न सभी डेटा भारत में ही रहेंगे, इससे देश की डिजिटल संप्रभुता बढ़ेगी। इसके अलावा, ब्राउज़र आईओएस, एंड्रॉइड और विंडोज सहित सभी प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म के साथ संगत होगा, इससे सभी डिवाइस में व्यापक पहुँच और उपयोगिता सुनिश्चित होगी।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के अपने वेब ब्राउज़र का विकास संपूर्ण भारतीय डिजिटल स्टैक के निर्माण की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम है। ज़ोहो कॉरपोरेशन विजेता के रूप में उभरा, टीम पिंग- एक स्टार्टअप प्रथम रनर-अप और टीम अजना एक स्टार्टअप द्वितीय रनर-अप रही। उनके उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देते हुए विजेता, प्रथम रनर-अप और द्वितीय रनर-अप को क्रमशः ₹1 करोड़, ₹75 लाख और ₹50 लाख का पुरस्कार दिया गया। विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म में ब्राउज़रों के डिज़ाइन के लिए “जियो विश्वकर्मा” का विशेष उल्लेख किया गया। केंद्रीय मंत्री ने टियर 2 और टियर 3 शहरों से विजेताओं पर भी अपनी संतुष्टि व्यक्त की और कहा की भारत के छोटे शहरों में महत्वपूर्ण प्रतिभा और क्षमता को उजागर किया।

इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव श्री एस. कृष्णन ने स्वदेशी वेब ब्राउजर के महत्व और इसकी विशेषताओं के बारे में बताया। श्री अभिषेक सिंह, अतिरिक्त सचिव, श्री भुवनेश कुमार, अतिरिक्त सचिव, श्री ई. मगेश, महानिदेशक सी-डैक, श्री अरविंद कुमार, सीसीए, श्रीमती सुनीता वर्मा, वैज्ञानिक ‘जी’ और जीसी (आरएंडडी) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, सी-डैक और उद्योगों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

अपने स्वयं के सर्टिफिकेट ट्रस्ट-स्टोर के साथ, ये स्वदेशी ब्राउजर भारतीय उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करेंगे और भरोसेमंद डिजिटल इंटरैक्शन के लिए एक नया मानक स्थापित करेंगे।

भारतीय वेब ब्राउज़र डेवलपमेंट चैलेंज

भारतीय वेब ब्राउज़र डेवलपमेंट चैलेंज (https://iwbdc.in) को वेब ब्राउज़िंग में एक परिवर्तनकारी यात्रा के लिए मंच तैयार करते हुए शुरू किया गया था। तीन प्रगतिशील चरणों- विचार, प्रोटोटाइप और उत्पादीकरण में संरचित- इस चुनौती में ब्राउज़र को कई महत्वपूर्ण विशेषताओं के साथ डिज़ाइन करना आवश्यक था, जिसमें सीसीए इंडिया रूट प्रमाणपत्र के साथ एक समर्पित ट्रस्ट स्टोर, ब्राउज़र के भीतर डिजिटल साइनिंग, बच्चों के अनुकूल ब्राउज़िंग, अभिभावक नियंत्रण, सभी आधिकारिक भारतीय भाषाओं के साथ सहज संगतता, वेब3 समर्थन और अत्याधुनिक ब्राउज़र क्षमताएँ शामिल थीं। प्रतियोगिता को स्टार्टअप, उद्योग के नेताओं और शिक्षाविदों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिसने भारत की अपार प्रतिभा और डिजिटल संप्रभुता को प्रदर्शित किया। चुनौती के लिए उल्लेखनीय 434 टीमों ने पंजीकरण कराया, जो एक कठोर और प्रतिस्पर्धी यात्रा पर निकल पड़े। जैसे-जैसे चुनौती सामने आई, आठ उत्कृष्ट टीमें अंतिम चरण में पहुँचीं, जहाँ उनके नवाचारों का मूल्यांकन एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल द्वारा किया गया।

श्रीलाल शुक्ल जन्मशती उत्सव : अभिनेता पंकज त्रिपाठी और अशोक पाठक के पाठ ने मन मोहा

लखनऊ। प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की जन्मशती उत्सव का भव्य आयोजन लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमती नगर में संपन्न हुआ। इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) के भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस महोत्सव का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल महामहिम मनोज सिन्हा द्वारा किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, सहकारिता मंत्री जे.पी.एस. राठौर, इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी और प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी सहित कई गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे।

चित्र और पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10:30 बजे से हुई, जब महामहिम मनोज सिन्हा ने चित्र और पुस्तक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस दौरान जनप्रिय अभिनेता पंकज त्रिपाठी और उभरते कलाकार अशोक पाठक ने ‘राग दरबारी’ के अंशों का सजीव पाठ कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनकी प्रस्तुति ने श्रीलाल शुक्ल की अनमोल कृति के किरदारों को जीवंत कर दिया।

साहित्यिक चर्चा और व्याख्यान

दूसरा सत्र 11:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक चला, जिसका शीर्षक था ‘श्रीलाल शुक्ल : कुछ रंग, कुछ राग’। इस सत्र में वरिष्ठ लेखक महेंद्र भीष्म ने उनकी साहित्यिक यात्रा को रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया। सहकारिता मंत्री जे.पी.एस. राठौर और कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी अपने विचार रखे और साहित्य से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। महामहिम मनोज सिन्हा ने श्रीलाल शुक्ल के हिंदी साहित्य में योगदान को सराहा और उनके लेखन के सामाजिक प्रभाव पर प्रकाश डाला।

‘राग दरबारी’ की प्रासंगिकता पर परिचर्चा

दोपहर 2:30 बजे से 3:30 बजे तक ‘राग दरबारी : कल, आज और कल’ विषय पर गहन चर्चा हुई। इस सत्र में प्रसिद्ध किस्सागो हिमांशु वाजपेई, साहित्यकार डॉ. जय प्रकाश कर्दम और संपादक आशुतोष शुक्ल ने आधुनिक समाज में ‘राग दरबारी’ की प्रासंगिकता पर विचार रखे। इफको के अध्यक्ष दिलीप संघानी ने इस सत्र की अध्यक्षता की।

फिल्म और स्मृतियों का संगम

तीसरा सत्र 3:30 बजे से 4:30 बजे तक चला, जिसमें कवि और फिल्मकार देवी प्रसाद मिश्र द्वारा निर्मित श्रीलाल शुक्ल के जीवन पर आधारित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद 4:30 बजे से 5:30 बजे तक ‘स्मृतियों के आईने में श्रीलाल शुक्ल’ सत्र आयोजित हुआ, जिसमें वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना, लेखक वंदना मिश्र, कथाकार शिवमूर्ति, रेडियो प्रोड्यूसर अनामिका श्रीवास्तव और युवा लेखक उत्कर्ष शुक्ल ने अपने विचार रखे। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी भी इस चर्चा में शामिल हुए।

‘राग दरबारी’ पर आधारित नाट्य प्रस्तुति

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में शाम 6 बजे से 7 बजे तक ‘कहानी शिवपाल गंज की’ नामक नाटक का मंचन किया गया, जो श्रीलाल शुक्ल की कालजयी रचना ‘राग दरबारी’ पर आधारित था। इस नाट्य प्रस्तुति को दर्पण नाट्य मंच, लखनऊ के कलाकारों ने जीवंत किया, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। अंत में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया।

समापन और धन्यवाद ज्ञापन

इस भव्य आयोजन के समापन पर इफको के मुख्य प्रबंधक (भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रकोष्ठ) डॉ. नलिन विकास ने सभी अतिथियों, साहित्य प्रेमियों और दर्शकों का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस आयोजन ने साहित्य प्रेमियों के मन में एक नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार किया, जिससे श्रीलाल शुक्ल की साहित्यिक विरासत और भी सशक्त हुई।

आसान नहीं है अंतरिक्ष यात्री बनना

नौ महीने चौदह दिन बाद सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से वापसी

लेखक : पीयूष त्रिपाठी

भारत की बेटी सुनीता विलियम्स आखिरकार नौ महिने चौदह दिन बाद बुधवार 19 मार्च 2025 को अंतरिक्ष से धरती पर वापस लौट आईं। अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स का यह तीसरा अंतरिक्ष दौरा था । 19 सितंबर 1965 में अमेरिका के ओहायो के यूक्लिड में रहने वाले गुजराती मूल के चिकित्सक दीपक पंड्या और स्लोवेनियाई मूल की बोनी पांड्या के घर जन्मी  सुनीता पांड्या ने 1987 में यू-एस नेवल एकेडमी से फिजिकल सांईंस  में बीएससी की डिग्री हासिल की । इसके बाद सुनीता ने 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलाजी से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की । उनकी शादी माइकल जे. विलियम्स से हुई है जो एक अमेरिकी नौसेना अधिकारी और पायलट हैं । सुनीता विलियम्स ने अपने करियर की शुरुआत अमेरिकी नौसेना में एक अधिकारी के रूप में की । वह एक कुशल हेलीकॉप्टर पायलट हैं और बाद में नासा में अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुनी गईं। 1998 में उन्हें नासा के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना गया और पहली बार वह 9 दिसंबर 2006 को अंतरिक्ष शटल डिस्कवरी (STS-116) के जरिए ISS यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचीं और वहां 195 दिन तक रहीं जो कि उस समय एक महिला के लिए सबसे लम्बे समय तक अंतरिक्ष में रहने का रिकार्ड था।

 इस दौरान सुनीता विलियम्स ने चार स्पेसवॉक किए, जो उस समय किसी महिला द्वारा सबसे अधिक बार किया गया अंतरिक्ष भ्रमण था ।

दूसरी बार वह 14 जुलाई, 2012 को सोयूज TMA-05M से ISS गईं। इस मिशन में वह ISS की कमांडर थीं जो उनके करियर की एक बड़ी उपलब्धि थी। इस बार उन्होंने कुल  127 दिन अंतरिक्ष में बिताए और तीन अतिरिक्त स्पेसवॉक किए। यह सुनीता विलियम्स की तीसरी अंतरिक्ष यात्रा थी जो 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर मिशन के जरिए शुरू हुई थी । इस बार सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष में गई तो केवल आठ दिन के लिए थीं  लेकिन  स्टारलाईनर में खराबी आने के कारण वह और उनके सहयोगी बुच लगभग साढ़े नौ महिने तक ISS पर ही फंसे रहे और भारतीय समय अनुसार 19 मार्च 2025 को तड़के साढ़े तीन बजे  सुनीता विलियम्स , बुच विल्मोर सहित चार अंतरिक्ष यात्री एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स के ड्रैगन क्रू अंतरिक्ष यान के जरिए फ्लोरिडा के समुद्र में उतरे । सबसे पहले सुनीता सहित सभी अंतरिक्ष यात्रियों को रिकवरी शिप पर ले जाया गया जहां उनके स्वास्थ्य की जांच की गई ।

अंतरिक्ष में रहने के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की जीवन शैली पर बहुत प्रभाव पड़ता है और उनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। अंतरिक्ष यात्री की जीवनशैली स्पेस क्राफ्ट में धरती की जीवनशैली से बहुत अलग होती है। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी , सीमित स्थान और विशेष पर्यावरण के कारण उनकी दिनचर्या और सेहत पर कई प्रभाव पड़ते हैं। अंतरिक्ष स्टेशन जैसे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर अंतरिक्ष यात्री आमतौर पर 24 घंटे के चक्र का ही पालन करते हैं, जो पृथ्वी के समय पर आधारित होता है। हालांकि अंतरिक्ष में सूर्योदय और सूर्यास्त हर 90 मिनट में होते हैं । यानी अंतरिक्ष में चौबीस घंटे में 16 बार दिन और सोलह बार रात होती है। इससे अंतरिक्ष में जाने वालों की नींद का पैटर्न प्रभावित होता है। यहां धरती की तरह सोने के लिए बिस्तर नहीं होता है और वह एक विशेष स्लीपिंग बैग में सोते हैं, जो उन्हें दीवार से बांधे रखता है ताकि वह हवा में तैरने न लग जाएं।

जैसे हम लोग धरती पर थाली में रखकर गर्मागर्म भोजन करते हैं  अंतरिक्ष यात्रियों का भोजन उससे अलग होता है । यह भोजन ज्यादातर डिहाइड्रेटेड यानी कम पानी वाला या वैक्यूम-पैक होता है। अंतरिक्ष में धरती की तुलना में ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण पानी बूंदों में तैर सकता है इसलिए इसे विशेष पाउच से पिया जाता है। अंतरिक्ष यात्री संतुलित आहार लेते हैं जिसमें  प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन शामिल होते हैं लेकिन  ताजा फल-सब्जियां सीमित ही होती हैं।

माइक्रोग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण में कमी के कारण अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं । इससे बचने के लिए अंतरिक्ष यात्री रोजाना दो से ढाई घंटे व्यायाम करते हैं। इसके लिए ट्रेडमिल, साइकिल और रेसिस्टेंस मशीनें होती हैं, जो उन्हें बांधकर रखती हैं। सुनीता विलियम्स को भी अंतरिक्ष में रहने के दौरान ट्रेडमिल पर वॉक करते हुए देखा गया था। अंतरिक्ष यात्री नहाने के लिए पानी का प्रयोग नहीं करते बल्कि वह गीले तौलिये और नो-रिंस शैम्पू का उपयोग करते हैं। स्पेस स्टेशन के शौचालय भी विशेष रूप से डिज़ाइन किए जाते हैं जो हवा के दबाव से अपशिष्ट को खींचते हैं।

अंतरिक्ष यात्री कम से कम दो वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ही अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं । यह वहां वैज्ञानिक प्रयोग, उपकरणों की मरम्मत और अंतरिक्ष स्टेशन के रखरखाव जैसे कार्यों में व्यस्त रहते हैं। वह लगातार पृथ्वी पर स्थित मिशन कंट्रोल के संपर्क में रहते हैं और मिशन कंट्रोल के समन्वय से ही अंतरिक्ष में कार्य करते हैं।

गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण सबसे ज्यादा प्रभाव अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों और मांसपेशियों पर पड़ता है । माइक्रोग्रैविटी के कारण हड्डियों का घनत्व 1-2% प्रति माह कम हो सकता है, और मांसपेशियां भी कमजोर होती हैं। इससे बचने के लिए ही अंतरिक्ष यात्रियों को नियमित रूप से व्यायाम करना पड़ता है हालाँकि इससे हड्डियों का घनत्व कम होना पूरी तरह से रुक नहीं पाता है। गुरुत्वाकर्षण की कमी से अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर में रक्त का प्रवाह भी बदल जाता है, जिससे हृदय को कम मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। पृथ्वी पर लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को चक्कर या कमजोरी महसूस हो सकती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब अंतरिक्ष यात्री वापस धरती पर लौटते हैं तो उनकी स्थिति एक नवजात बच्चे जैसी होती है और उन्हें सामान्य होने में कुछ समय लगता है । धरती पर लौटने के बाद उनके लिए तुरंत अपने पैरों पर चलना कठिन होता है । इसे बेबी फीट कहा जाता है । हृदय के साथ-साथ अंतरिक्ष यात्रियों के गुर्दे और और आँखें भी प्रभावित होती हैं। कुछ अंतरिक्ष यात्रियों में “स्पेसफ्लाइट-एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम” देखा गया है, जिसमें सिर के ऊपरी हिस्से में तरल पदार्थ जमा होने से आंखों पर दबाव पड़ता है और दृष्टि प्रभावित होती है।

धरती की तुलना में अंतरिक्ष में रेडिएशन का स्तर भी ऊंचा होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी व्यक्ति के शरीर में  जितना रेडियशन पांच हजार एक्सरे करने के बाद पहुंचेगा उतनी ही मात्रा का

 रेडियशन अंतरिक्ष में एक ऐस्ट्रोनॉट को प्रभावित करता है।  इससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है ।

सीमित स्थान, अकेलापन, और पृथ्वी से दूरी के कारण अंतरिक्ष यात्री तनाव, चिंता या अवसाद से प्रभावित हो सकते हैं। अंतरिक्ष यात्री इसके लिए मनोवैज्ञानिक सहायता और मनोरंजन साधनों जैसे फिल्में, किताबों आदि का सहारा लेते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों की जीवनशैली अत्यधिक अनुशासित और तकनीक-निर्भर होती है। सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं, जैसे बेहतर व्यायाम उपकरण और रेडिएशन से सुरक्षा। पृथ्वी पर लौटने के बाद भी उनकी सेहत की निगरानी की जाती है ताकि वे सामान्य जीवन में वापस ढल सकें।

शायद इसीलिए अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उम्मीदवारों का चयन बहुत सख्त मापदंडों पर किया जाता है। सर्वप्रथम उम्मीदवार के पास आमतौर पर विज्ञान, इंजीनियरिंग, गणित या चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में स्नातक या उच्च डिग्री होनी चाहिए। नासा जैसी एजेंसियां सेना के ऐसे पायलटों को प्राथमिकता देती हैं जिनके पास उड़ान का अनुभव हो।

तकनीकी या विशेष शिक्षा के साथ-साथ उम्मीदवार का शारीरिक स्वास्थ्य भी उच्च स्तर का होना चाहिए । जैसे उसका विजन यानी दृष्टि अच्छी होनी चाहिए । रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर सामान्य होने के साथ-साथ ऊंचाई और वजन का भी संतुलन होना चाहिए। जैसा कि पहले भी बताया गया है कि अंतरिक्ष यात्री का मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है, क्योंकि अंतरिक्ष में तनाव और अकेलेपन का सामना करना पड़ता है। हजारों आवेदकों में से कुछ ही इन मापदंडों पर खरे उतरते हैं । इन्हीं मापदंडों के आधार पर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा हर कुछ साल में 10से 20 अंतरिक्ष यात्रियों का चयन करती है। चयन के बाद अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए लंबा और गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। यह आमतौर पर 2-3 साल तक चलता है और इसमें कई पहलू शामिल होते हैं जैसे अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष यान के सिस्टम, और मिशन के उद्देश्यों की जानकारी दी जाती है। 

भाषा प्रशिक्षण भी होता है जैसे अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में जाने वालों को रूसी भाषा का भी प्रशिक्षण दिया जाता है ।

भारहीनता  यानी जीरो ग्रैविटी का अनुभव विशेष विमानों जैसे “वॉमिट कॉमेट”  और पानी के अंदर प्रशिक्षण न्यूट्रल बॉयेंसी लैब  के जरिए दिया जाता है । स्कूबा डाइविंग  के साथ साथ ठंडे इलाकों में कैसे जीवित रहें इस बात का भी प्रशिक्षण भी दिया जाता है ताकि अंतरिक्ष यात्री आपात स्थिति के लिए तैयार रहें । 

अंतरिक्ष यात्रियों को तकनीकी प्रशिक्षण के अंतर्गत अंतरिक्ष यान और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के उपकरणों को चलाने और ठीक करने की ट्रेनिंग भी दी जाती है ।

प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण अंग है सिमुलेशन की ट्रेनिंग यानी अंतरिक्ष जैसी स्थितियों और वहां की संभावित परिस्थितियों का प्रशिक्षण ।

मिशन के हर पहलू का सिमुलेशन किया जाता है, जैसे लॉन्च, अंतरिक्ष में रहना, और पृथ्वी पर वापसी।  आपातकालीन स्थिति जैसे आग या दबाव में कमी से  निपटने की ट्रेनिंग भी होती है। गौरतलब है कि फरवरी 2003 में

 भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला जब कोलम्बिया यान से धरती पर वापस आ रही थीं तो उनके यान में आग लग गई थी जिसमें सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई थी । अंतरिक्ष यात्री एक टीम के रूप में काम करते हैं, इसलिए सहयोग और संचार कौशल पर विशेष बल दिया जाता है। इस तरह से देखा जाए तो अंतरिक्ष में रहना धरती की अपेक्षा बहुत ही चुनौतीपूर्ण है इसीलिए चयन प्रक्रिया भी इतनी जटिल होती है । कल्पना चावला के बाद सुनीता भारत की दूसरी बेटी हैं जो अंतरिक्ष में गईं। नौ माह का लंबा अंतराल बीतने के कारण भारत में जगह -जगह धरती पर उनकी सकुशल वापसी के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जा रही थी । जब सुनीता विलियम्स सकुशल वापस लौट आईं तो सभी ने चैन की सांस ली । अंतरिक्ष में तमाम शोध करने के साथ ही सुनीता अपने साथ अंतरिक्ष से खींची गई महाकुम्भ-2025 की तस्वीरें भी लाई हैं जो कि दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन था । धरती से चार सौ किलोमीटर दूर अंतर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से वापस लौटने में सुनीता विलियम्स और उनके साथियों को सत्रह घंटे का समय लगा। भारत को अपनी इस बेटी पर हमेशा गर्व रहेगा।

स्वदेशी एआई मॉडल के लिए 67 प्रस्तावों के साथ एआई मिशन को गति

डिजिटल इंडिया भाषिणी पहल ने एआई-संचालित स्थानीय भाषा की पहुँच को बढ़ावा दिया

नई दिल्ली : भारत सरकार ‘एआई फॉर ऑल’ की अवधारणा पर बल देती है, जो प्रौद्योगिकी के उपयोग को लोकतांत्रिक बनाने के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के साथ संरेखित है। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एआई समाज के सभी क्षेत्रों को लाभान्वित करे, नवाचार और विकास को बढ़ावा दे। यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दिया |

उन्होने कहा कि भारत को प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कौशल की राजधानी माना जाता है। एआई में सबसे विश्वसनीय रैंकिंग भारत को एआई कौशल, एआई क्षमताओं और एआई का उपयोग करने की नीतियों वाले शीर्ष देशों में रखती है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने 42 संकेतकों के आधार पर वैश्विक और राष्ट्रीय एआई जीवंतता रैंकिंग में अमेरिका, चीन और ब्रिटेन के साथ भारत को शीर्ष चार देशों में स्थान दिया है। डेवलपर्स के समुदाय जीआईटीहब ने सभी परियोजनाओं में 24% की वैश्विक हिस्सेदारी के साथ भारत को शीर्ष स्थान दिया है।

सरकार विभिन्न क्षेत्रों में हमारे लोगों की भलाई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही, सरकार एआई द्वारा उत्पन्न जोखिमों और एआई को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए सुरक्षा उपाय करने की आवश्यकता से अवगत है।

महाराष्ट्र सरकार ने सूचित किया है कि मेटा का एआई मॉडल सूचनात्मक चैटबॉट है जो वर्तमान में अपने प्रारंभिक चरण में है।

माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 मार्च 2024 को इंडिया   एआई मिशन को मंजूरी दी है, जो देश के विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित मजबूत और समावेशी एआई पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने की रणनीतिक पहल है। यह मिशन सात आधारभूत स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करके भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अग्रणी वैश्विक देश के रूप में स्थापित करने की दृष्टि से प्रेरित है: इंडियाएआई कंप्यूट, इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्‍स, इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग, इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर, इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म, इंडियाएआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव और सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई।

इंडियाएआई मिशन के प्रमुख स्तंभों में से एक इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (आईएआईसी) है, जिसके तहत इंडियाएआई ने 30 जनवरी, 2025 को भारतीय डेटासेट पर प्रशिक्षित अत्याधुनिक आधारभूत एआई मॉडल बनाने के बारे में  सहयोग करने के लिए स्टार्टअप, शोधकर्ताओं और उद्यमियों से प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए कॉल फॉर प्रपोजल लॉन्च किया। इस पहल का उद्देश्य स्वदेशी एआई मॉडल स्थापित करना है जो भारतीय संदर्भ में अद्वितीय चुनौतियों से निपटने और अवसरों का लाभ उठाते हुए वैश्विक मानकों के अनुरूप हों।

पहले महीने में, इंडियाएआई मिशन को 15 फरवरी 2025 तक कुल 67 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनका उद्देश्य भारत के आधारभूत मॉडल का निर्माण करना है, जिसमें स्थापित स्टार्टअप और शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों की नई टीमों का योगदान है। 22 बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) और बड़े मल्टीमॉडल मॉडल (एलएमएम) पर केंद्रित हैं, जबकि शेष 45 डोमेन-विशिष्ट मॉडल (एसएलएम) पर केंद्रित हैं। अधिकांश एसएलएम स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और वित्तीय सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों को लक्षित करते हैं। वित्तीय सहायता के साथ-साथ, इन प्रस्तावों को प्रस्तुत करने वाली टीमों द्वारा विभिन्न प्रकार के जीपीयू की मांग की गई है।

इसके अलावा, भारत सरकार ने इलेक्‍ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय के माध्यम से डिजिटल इंडिया भाषिणी पहल को लागू किया। इसका लक्ष्‍य मराठी सहित सभी 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं के लिए भाषिणी मंच (https://bhashini.gov.in) के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित भाषा प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करना, आवाज आधारित पहुंच प्रदान करना और भारतीय भाषाओं में सामग्री के निर्माण में सहायता करना है। डिजिटल इंडिया भाषिणी का उद्देश्य विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों के लिए स्पीच-टू-स्पीच मशीन अनुवाद प्रणाली का निर्माण करना और एकीकृत भाषा इंटरफेस (यूएलआई) विकसित करना है। इस पहल ने नागरिकों को अपनी स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाओं तक पहुँचने में सक्षम बनाया, जिससे डिजिटल समावेशन और पहुंच में और वृद्धि हुई, जैसा कि एसडीजी 10 (देशों के भीतर और उनके बीच असमानता को कम करना) में अनुशंसित है। यह प्लेटफॉर्म वर्तमान में 350 से अधिक एआई-आधारित भाषा मॉडल होस्ट करता है, जिसमें स्वचालित वाक् पहचान (एएसआर), मशीन अनुवाद (एमटी), टेक्स्ट-टू-स्पीच (टीटीएस), ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर), और लिप्यंतरण तथा पाठ्य भाषा पहचान जैसी अन्य सेवाएं शामिल हैं, जो 17 से अधिक भाषा सेवाओं को कवर करती हैं।

इसके अतिरिक्त, मेटा के सहयोग से इंडियाएआई ने आईआईटी जोधपुर में सृजनात्मक एआई, सृजन केंद्र की स्थापना की घोषणा की है, साथ ही भारत में ओपन सोर्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की उन्नति के लिए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के सहयोग से “युवएआई इनिशिएटिव फॉर स्किलिंग एंड कैपेसिटी बिल्डिंग” की शुरुआत की है। यह साझेदारी स्वदेशी एआई एप्लिकेशंस के विकास, एआई में कौशल विकास को आगे बढ़ाने, तकनीकी संप्रभुता सुनिश्चित करने के भारत के एआई मिशन में योगदान देने के उद्देश्य से अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ावा देने और भारत के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए एआई समाधान बनाने के दृष्टिकोण को सक्षम करेगी। शिक्षा, क्षमता निर्माण और नीति परामर्श के माध्यम से, भारत सरकार अगली पीढ़ी के शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और चिकित्सकों को जेनएआई प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदार विकास और तैनाती के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों से सशक्त बनाएगी।

भारत सरकार डेटा विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे उभरते क्षेत्रों में पेशेवरों की बढ़ती मांग को पूरा करने पर ध्‍यान दे रही है, एआई और साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण को मौजूदा कौशल विकास कार्यक्रमों में एकीकृत करने के लिए भारत सरकार की कुछ पहलें इस प्रकार हैं:

इलेक्‍ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय CERT-In के माध्यम से सरकारी, सार्वजनिक और निजी संगठनों में साइबर सुरक्षा कार्यबल को नवीनतम कौशल के साथ आगे बढ़ाने के लिए उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर संयुक्त साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है। प्रतिभागियों को नवीनतम खतरे के परिदृश्य और सर्वोत्तम प्रथाओं को समझने में मदद करने के लिए उद्योग के विशेषज्ञों के साथ एआई-संचालित साइबर सुरक्षा खतरों के क्षेत्र में तकनीकी प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। साथ ही, CERT-In ने अक्टूबर 2024 में कार्यरत पेशेवरों, विद्यार्थी डेवलपर्स, फ्रीलांसरों और उद्यमियों के लिए उद्योग भागीदारों द्वारा आयोजित जनरल एआई एक्सचेंज हैकथॉन में विशेषज्ञ सहायता प्रदान की। इलेक्‍ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, ऑगमेंटेड/वर्चुअल रियलिटी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा एनालिटिक्स, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग/3डी प्रिंटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, सोशल एंड मोबाइल, साइबर सुरक्षा और ब्लॉकचेन जैसी नई/उभरती प्रौद्योगिकियों में रोजगार के लिए आईटी मैनपावर के री-स्किलिंग/अप-स्किलिंग के लिए ‘फ्यूचरस्किल्स प्राइम’ कार्यक्रम शुरू किया है।

इलेक्‍ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय ने 2014 में विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य देश में पीएचडी की संख्या बढ़ाना था, ताकि इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) और आईटी/आईटी सक्षम सेवाओं (आईटी/आईटीईएस) के ज्ञान-गहन क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा की जा सके। इस योजना के तहत, उन पूर्णकालिक और अंशकालिक पीएचडी उम्मीदवारों और युवा संकाय को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जो अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास कर रहे हैं। यह योजना संस्थानों को बुनियादी ढाँचा सहायता भी प्रदान करती है।

इंडियाएआईफ्यूचरस्किल्स पिलर के माध्यम से इलेक्‍ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय का लक्ष्य डेटा और एआई में मूलभूत पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए टियर 2 और टियर 3 शहरों में डेटा और एआई लैब्स की स्थापना करते हुए एआई डोमेन में स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी विद्वानों की संख्या में वृद्धि करना है। इस पहल के हिस्से के रूप में, एआईसीटीई, एनबीए, एनएएसी या यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त निजी या केंद्र द्वारा वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों (सीएफटीआई) में प्रासंगिक स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने वाले विद्यार्थियों को इंडियाएआई फेलोशिप प्रदान की जाती है। अब तक 150 स्नातक विद्यार्थी, 48 स्नातकोत्तर विद्यार्थी और 3 पीएचडी विद्वानों को फेलोशिप के लिए चुना गया है। इसके अतिरिक्त, इंडियाएआई ने एनआईईएलआईटी के दिल्ली केंद्र और आईसीआईटी, नागालैंड में डेटा लैब्स की स्थापना की है, जिसमें टियर 2 और टियर 3 शहरों में एनआईईएलआईटी के सहयोग से 27 और लैब स्थापित करने की योजना है। इनका विवरण अनुलग्‍नक I में दिया गया है। यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर में दी

2047: भारत में जलवायु-लचीले भविष्य का निर्माण का लक्ष्य

अनुकूलन चुनौतियों का समाधान करते हुए विकास को निरंतर बनाए रखना एवं कल्याण में तेजी लाना बहुत महत्वपूर्ण है: श्री सुमन बेरी, उपाध्यक्ष (नीति आयोग)

नई दिल्ली : लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली साउथ एशिया इंस्टीट्यूट और सलाटा इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिलिटी, हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी), भारत सरकार के सहयोग से, ‘भारत 2047: जलवायु-लचीले भविष्य का निर्माण’ नामक एक संगोष्ठी का आयोजन कर रहे हैं। इस चार दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन आज 19 मार्च 2025 को भारत मंडपम, नई दिल्ली में शुरू हुआ, जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, उद्योग विशेषज्ञों, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और अन्य संबंधित हितधारकों की बैठक हुई, जिसका उद्देश्य भारत की जलवायु अनुकूलन एवं लचीलापन प्राथमिकताओं पर चर्चा करना और देश को 2047 तक विकसित भारत बनाना है।

पहले दिन, उद्घाटन सत्र का आयोजन श्री सुमन बेरी, उपाध्यक्ष, नीति आयोग और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में प्रधानमंत्री के सलाहकार श्री तरुण कपूर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष श्री जेम्स एच. स्टॉक तथा लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक श्री तरुण खन्ना शामिल हुए।

अपने संबोधन में, श्री सुमन बेरी ने भारत-केंद्रित अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अनुकूलन चुनौतियों का सामना करते हुए विकास की निरंतरता एवं कल्याण में तेजी लाने के महत्व को उजागर किया। उन्होंने कार्यक्रम डिजाइन में लचीलापन की आवश्यकता की बात की, विशेष रूप से शासन में, जहां अब तक बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रीत नहीं किया गया है। उन्होंने लोगों और समुदायों को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा, उन्होंने दक्षिण एशिया में केस स्टडीज का दस्तावेजीकरण करने और बौद्धिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया।

श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने सभी क्षेत्रों में मजबूत अनुकूलन की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “भारत ने वैश्विक दक्षिण के लिए जलवायु आवश्यकता की निरंतर वकालत की है और यह सुनिश्चित किया है कि अंतरराष्ट्रीय जलवायु नीतियां निष्पक्ष एवं समावेशी हों। जैसे-जैसे हम आगे कदम बढ़ा रहे हैं, अनुकूलन प्रयासों को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि सबसे कमजोर समुदायों को उन संसाधनों एवं प्रौद्योगिकियों तक पहुंच प्राप्त हो जिनके लिए उन्हें लचीलापन की आवश्यकता है। हालांकि भारत ने महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों एवं उत्सर्जन तीव्रता में कमी लाने की प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हुए शमन में महत्वपूर्ण प्रगति प्राप्त की है।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से आजीविका, पारिस्थितिकी तंत्र और अवसंरचना सुरक्षा के लिए अनुकूलन एवं लचीलापन आवश्यक है।

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मंत्री ने अनुकूलन पहलों का समर्थन करने में जलवायु वित्त की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बल देकर कहा कि वित्तीय संसाधनों को कमजोर समुदायों की आवश्यकताओं को पूरा करने एवं प्रभावी अनुकूलन उपायों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने अनुकूलन प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक वित्त के पूरक के रूप में मिश्रित वित्त, जोखिम-शेयरिंग संरचना और निजी क्षेत्र की ज्यादा भागीदारी सहित नवीन वित्तपोषण तंत्र की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा, मंत्री ने यह भी कहा कि अनुकूलन निवेशों का सीधा लाभ जलवायु परिवर्तन के लिए काम कर रहे किसानों, छोटे व्यवसायों और तटीय समुदायों को होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरित बांड, जलवायु-प्रतिरोधी अवसंरचना निधि और रियायती वित्तपोषण जैसे वित्तीय उपकरणों को मजबूत करके, भारत एक स्थायी एवं समान जलवायु वित्त पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने का लक्ष्य रखता है। भारत का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई को विश्वास, पारदर्शिता एवं समान विकास पर आधारित होना चाहिए। मंत्री ने निष्कर्ष निकाला कि हमें सभी लोगों के लिए जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करने, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में नवाचार को तेज करने और विकेंद्रीकृत शासन एवं पारिस्थितिकी-आधारित समाधानों के माध्यम से स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग को बढ़ाना चाहिए।

सभा को संबोधित करते हुए, श्री तरुण कपूर ने व्यावहारिक जलवायु परिवर्तन समाधानों पर बल दिया जो व्यक्तियों के लिए संसाधन प्रवाह एवं सस्ती खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। उन्होंने आवश्यकतानुसार पूर्वानुमान, प्रौद्योगिकी और ज्ञान प्रदान करने के महत्व पर बल दिया। पहले, अपने स्वागत भाषण में, श्री तन्मय कुमार, सचिव पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने संगोष्ठी के लिए रूपरेखा तय करते हुए, अनुकूलन से संबंधित कार्यान्वयन योग्य समाधानों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि “यह संगोष्ठी केवल चुनौतियों की पहचान करने के लिए नहीं है, बल्कि यह विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, अकादमिक, वैज्ञानिकों, नागरिक समाज और समुदायों का एक साथ लाने के लिए है जिससे अनुकूलन रणनीतियों को विकसित किया जा सके जो अनुसंधान आधारित, स्थानीय आवश्यकताओं के प्रति उत्तरदायी, लागत प्रभावी एवं दीर्घकालिक लचीलापन के लिए मापणीय हों।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की अनुकूलन रणनीति वैज्ञानिक साक्ष्य, अंतर-क्षेत्रीय एकीकरण एवं मजबूत संस्थागत संरचना पर बनाई जाएगी।

एक वीडियो संबोधन में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्यक्ष श्री एलन एम. गार्बर ने हार्वर्ड को भारत से जोड़ने वाले केंद्र के रूप में लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली साउथ एशिया इंस्टीट्यूट की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु एवं स्थिरता के लिए सलाटा संस्थान का परिचय दिया, जिसका उद्देश्य सतत एवं प्रभावी जलवायु समाधान विकसित करना है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष श्री जेम्स एच. स्टॉक ने जलवायु समाधानों पर काम करने वाली अंतःविषय टीमों के साथ शिक्षण एवं अनुसंधान के विश्वविद्यालय के मिशन पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए स्थानीय भागीदारों से सीखने पर बल दिया। श्री तरुण खन्ना, लक्ष्मी मित्तल एंड फैमिली साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक, ने पारंपरिक ज्ञान एवं उन्नत ज्ञान प्रणालियों के समन्वय के महत्व की बात की।

संगोष्ठी के चार दिनों में, चार प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी जो भारत की अनुकूलन प्राथमिकताओं पर केंद्रीत हैं, जिसमें जलवायु विज्ञान एवं कृषि तथा जल सुरक्षा पर इसके प्रभाव, जलवायु परिवर्तन से संबंधित स्वास्थ्य जोखिम, श्रम उत्पादकता एवं कार्यबल का अनुकूलन, निर्मित वातावरण में लचीलापन शामिल हैं। उच्च स्तरीय पूर्ण सत्रों में विशेषज्ञ गोलमेज बैठकें और तकनीकी सत्रों के माध्यम से क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों का पता लगाएंगे तथा नीतियों एवं कार्यक्रमों में अनुकूलन को मुख्यधारा में लाने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं की पहचान करेंगे।

इसमें जलवायु लचीलापन एवं शासन का अंतर्संबंध महत्वपूर्ण क्षेत्र बने हुए है, जिसमें यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है कि अनुकूलन उपायों को सभी स्तरों पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जाए। संस्थागत क्षमता को मजबूत करना एवं हितधारकों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना नीतियों को ठोस बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जो समुदायों, अर्थव्यवस्था एवं पारिस्थितिकी तंत्र को जलवायु जोखिमों से सुरक्षित रखते हैं। इस संगोष्ठी से प्राप्त अंतर्दृष्टियां भारत की पहली राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (एनएपी) में भी अपना योगदान दे सकती हैं, जो प्रक्रिया के अंतर्गत है, जिसके लिए मंत्रालय द्वारा 18 मार्च, 2025 को राष्ट्रीय स्तर के हितधारक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। विचार-विमर्श से साक्ष्य-आधारित नीतिगत अनुशंसाओं को आकार देने में मदद मिलेगी, जो जलवायु अनुकूलन को विकास योजना, आजीविका सुरक्षा, महत्वपूर्ण अवसंरचना एवं आर्थिक स्थिरता में एकीकृत करेगी।

ऑनलाइन पोर्नोग्राफी के खिलाफ कसा शिकंजा

नए आईटी नियमों के अंतर्गत हानिकारक ऑनलाइन सामग्री को शीघ्रता से हटाना अनिवार्य है

नई दिल्ली : केंद्र सरकार साइबर अपराधियों के खिलाफ शिकंजा कस दिया है| इसके साथ ऑनलाइन पोर्नोग्राफ़ी दिखाना भी भारी पड़ेगा| केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (“आईटी अधिनियम”) अश्लील सामग्री और यौन कृत्यों के चित्रण वाली सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए दंड का प्रावधान करता है। आईटी अधिनियम में यौन कृत्यों के चित्रण में बच्‍चों को दर्शाने वाली सामग्री के इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशन या प्रसारण के लिए भी कठोर दंड का प्रावधान है। यह जानकारी श्री अश्विनी वैष्णव ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (“आईटी नियम, 2021”) सोशल मीडिया मध्यस्थों सहित मध्यस्थों को यथोचित परिश्रम करने का दायित्व सौंपता है और यदि वे इस तरह का यथोचित परिश्रम करने में विफल रहते हैं, तो वे अपने द्वारा होस्ट की गई तीसरे पक्ष की जानकारी या डेटा या संचार लिंक के लिए कानून के अंतर्गत अपनी जवाबदेही से छूट खो देते हैं। इस तरह के यथोचित परिश्रम में यह भी शामिल है कि यदि कोई महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ मुख्य रूप से मैसेजिंग की प्रकृति में सेवाएं प्रदान कर रहा है, तो बलात्कार, यौन कृत्यों के चित्रण या बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित अपराध की रोकथाम, पता लगाने, जांच, अभियोजन या सजा के उद्देश्यों के लिए उसको अपने कंप्यूटर संसाधन पर सूचना के पहले स्रोत की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए।

उन्होने कहा कि इस तरह के यथोचित परिश्रम में यह भी शामिल है कि मध्यस्थ 24 घंटे के भीतर ऐसी किसी भी सामग्री को हटा देंगे, जो प्रथम दृष्टया किसी व्यक्ति के निजी हिस्‍से को उद्घाटित करती है, ऐसे व्यक्ति को पूर्णत: या आंशिक नग्न प्रदर्शित करती है या ऐसे व्यक्ति को किसी यौन क्रिया या व्‍यवहार में दर्शित या चित्रित करती है। इसके अलावा, नियम एक या एक से अधिक शिकायत अपील समिति(यों) की स्थापना का प्रावधान करते हैं, ताकि उपयोगकर्ता ऐसी शिकायतों पर सोशल मीडिया मध्यस्थ के शिकायत अधिकारियों द्वारा लिए गए निर्णयों के खिलाफ अपील कर सकें।

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) चलचित्र अधिनियम 1952 और चलचित्र (प्रमाणन) नियम 1983 के प्रावधानों के अनुसार, अच्छा और स्वस्थ मनोरंजन सुनिश्चित करने के लिए वयस्क फिल्मों सहित फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को नियंत्रित करता है। उनके द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, नाबालिगों के लिए प्रदर्शन हेतु अनुपयुक्त मानी जाने वाली फिल्‍मों को केवल वयस्क दर्शकों के लिए प्रदर्शन हेतु प्रमाणित किया जाएगा।

इसके अलावा, क्यूरेटेड सामग्री के ऑनलाइन प्रकाशकों के लिए, आईटी नियम, 2021 क्यूरेटेड सामग्री के ऑनलाइन प्रकाशकों, जिन्हें आमतौर पर ओटीटी प्लेटफॉर्म के रूप में जाना जाता है, के लिए आचार संहिता निर्धारित करते हैं। इस संहिता के अंतर्गत ओटीटी प्लेटफॉर्म को निर्दिष्ट आयु-उपयुक्त श्रेणियों में सामग्री को वर्गीकृत करना, आयु-अनुचित सामग्री तक बच्चों की पहुंच को प्रतिबंधित करना और “वयस्क” के रूप में वर्गीकृत सामग्री के लिए आयु सत्यापन तंत्र को लागू करना आवश्यक है।

ऐसे साइबर अपराधों से समन्वित तरीके से निपटने के तंत्र को और मजबूती प्रदान करने के लिए सरकार ने निम्नलिखित उपायों सहित कई अन्य उपाय भी किए हैं:

गृह मंत्रालय नागरिकों को सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाने के लिए एक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) संचालित करता है, जिसमें बच्चों के साथ होने वाले साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। मंत्रालय ने बच्चों के साथ होने वाले साइबर अपराधों सहित सभी प्रकार के साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) की भी स्थापना की है।

गृह मंत्रालय ने महिलाओं एवं बच्चों के प्रति साइबर अपराध निवारण योजना के अंतर्गत क्षमता निर्माण के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान की है, जिसमें साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों, लोक अभियोजकों एवं न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए सहायता शामिल है।

सरकार ने इंटरपोल के लिए भारत की राष्ट्रीय नोडल एजेंसी केंद्रीय अन्‍वेषण ब्यूरो के माध्यम से प्राप्त इंटरपोल की सूचियों के आधार पर समय-समय पर बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) वाली वेबसाइटों को ब्लॉक किया है।

सरकार ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को एक आदेश जारी किया है, जिसमें उन्हें इंटरनेट वॉच फाउंडेशन, यूके या प्रोजेक्ट अरैक्निड, कनाडा की सीएसएएम वेबसाइटों/वेबपेजों की सूची को गतिशील आधार पर लागू करने और ऐसे वेब पेजों या वेबसाइटों तक पहुंच को अवरुद्ध करने का निर्देश दिया गया है।

दूरसंचार विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) से अनुरोध किया है कि वे अपने ग्राहकों के बीच अभिभावकीय नियंत्रण फिल्टर के उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाएं, और अंतर्राष्ट्रीय लंबी दूरी के लाइसेंस वाले आईएसपी को सीएसएएम युक्त कुछ वेबसाइटों को ब्लॉक करने का निर्देश भी दिया है।

साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए गृह मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं जिनमें ट्विटर हैंडल @cyberDost, रेडियो अभियानों और किशोरों/छात्रों के लिए एक पुस्तिका का प्रकाशन के माध्यम से साइबर अपराध के संबंध में संदेशों का प्रसार शामिल है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी), गृह मंत्रालय (एमएचए) और नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी), अमेरिका के बीच यौन कृत्यों के चित्रण में बच्‍चों को दर्शाने वाली और बाल यौन शोषण से संबंधित ऑनलाइन सामग्री पर एनसीएमईसी से टिपलाइन रिपोर्ट साझा करने के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। एनसीएमईसी से प्राप्त टिपलाइन्स को आगे की कार्रवाई करने के लिए राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ऑनलाइन साझा किया जा रहा है। यह जानकारी केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।