Sunday, June 8, 2025
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विशेष : मीडिया हाउस के सामने दीनहीन ‘मीडिया’

आनन्द अग्निहोत्री

तीन दिन से दैनिक भास्कर समूह और टीवी चैनल भारत समाचार के कार्यालयों में आयकर विभाग के छापे मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं। कार्यवाही अब भी जारी है। कहा जा रहा है कि सरकार विरोधी खबरें प्रकाशित करने पर यह छापेमारी की गयी है। वहीं कार्यवाही के बीच ही आयकर विभाग की ओर से बयान जारी कर कहा जा रहा है कि दोनों ही मीडिया कम्पनियों में करोड़ों रुपये की कर चोरी पकड़ी गयी है। सोशल मीडिया पर दोनों ही ओर से तरह-तरह की बातें प्रचारित की जा रही हैं। सत्यता क्या है, यह अभी दफन है लेकिन हमेशा दफन रहेगी, ऐसा भी नहीं है। जो भी सच्चाई होगी, वह सामने आयेगी ही। पहले यह जान लेना जरूरी है कि इस प्रोफेशनल दौर में मीडिया है क्या। नए मीडिया से क्या अपेक्षाएं की जा रही हैं।

मीडिया का नाम लेते ही हमारे सामने स्वाधीनता संग्राम के दिनों के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की तस्वीर भी सामने आ जाती है लेकिन वह एक ऐसा दौर था जब कलमकार के सामने एक मिशन था और वह था देश को फिरंगियों की गुलामी से मुक्ति दिलाना। इसके लिए वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे। ऐसा उन्होंने किया भी। यही कारण है कि उन दिनों के कलमकारों की छवि इतिहास में आदर्श के रूप में दर्ज है। समय सदा एक जैसा नहीं रहता। आजादी के बाद लोगों की सोच बदली, नजरिया बदला और नये परिदृश्य में काम शुरू हुआ। आजादी मिलने के कुछ दशकों बाद तक भी मीडिया का यही रुख बरकरार रहा जिसमें उसका मुख्य उद्देश्य शोषण से मुक्ति दिलाना, समाज सुधार, अन्याय के खिलाफ जंग, नैतिक शिक्षा को बढ़ावा देना आदि शामिल रहा। धीरे-धीरे हालात बदलते चले गये और कैसे मीडिया संस्थान मीडिया हाउस बन बैठे, पता ही नहीं चला। ऐसा भी समय था जब कलमकार एक ही संस्थान में जीवन गुजार देता था और अब समय मंकी जम्प का चल रहा है।

इसमें असहज जैसा कुछ भी नहीं है। जैसे-जैसे लोग प्रोफेशनल होते गये, मीडिया भी बदलता गया। मिशन से वह भी प्रोफेशन में आ गया। मीडिया हाउस का मैनेजमेंट ही प्रोफेशनल हुआ हो, ऐसा भी नहीं है। कलम के धनी कहे जाने वर्ग में भी यह बदलाव परिलक्षित हुआ। ऐसे भी पत्रकार हैं जो प्रिंट या इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रवेश करते हैं और देखते ही देखते किसी समाचार पत्र या न्यूज चैनल के मालिक बन बैठते हैं। आखिर कहां से आता है इतना पैसा उनके पास? दूसरी खास बात यह कि इस दौर में कोई समाचार पत्र निकालना या न्यूज चैनल खोलना सामान्य वर्ग के लिए तो कतई सम्भव नहीं है। सिर्फ पूंजीपति ही इस क्षेत्र में रिस्क ले सकते हैं। कारण यह कि इस तकनीकी युग में समाचार पत्र में इस्तेमाल की जाने वाली प्रिंटिंग मशीन और इसके सहायक उपकरण ही करोड़ों रुपये में हासिल हो सकते हैं। अगर न्यूज चैनल खोलना है तो उसके लिए भी सैटेलाइट हासिल करना, बड़े-बड़े कैमरे जुटाना बेहद महंगा है। अगर कोई यह हासिल भी कर ले तो इस व्यावसायिक युग में समाचार पत्र या न्यूज चैनल को कायम रखना बड़ी टेढ़ी खीर है। आज के दौर में जब किसी की जेब से 10 रुपये हासिल करना भी कठिन है, फिर इन समाचार पत्र या चैनल मालिकों को तो अपना खर्च उठाने के लिए हर महीने लाखों रुपये जुटाने होते हैं। इसके लिए मार्केटिंग के तरह-तरह के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं। अन्य तरह के कारोबार भी करने पड़ते हैं। सरकारी और मल्टीनेशनल कम्पनियों के विज्ञापन हासिल करने के लिए दिल्ली, सूबों की राजधानियों एवं व्यावसायिक शहरों में अपने प्रतिनिधि बैठाने पड़ते हैं। वैध-अवैध कमीशन का भुगतान करना पड़ता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मीडिया हाउसों के ये दलाल ही असली कर्ता-धर्ता होते हैं। इन्हें ही सम्पादक और ब्यूरो चीफ जैसे पदों से नवाजा जाता है। इन बड़े पदों तक वे ही लोग पहुंच पाते हैं जिनका सरकार और व्यावसायिक कम्पनियों में रसूख हो। कलम तो आज निचले पायदान पर चली गयी। कलमकारों को इनके इशारे पर ही कलम चलानी पड़ती है। जो सच्चे कलमकार हैं, वे जीवन भर कलम घिसते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद भी इस जुगाड़ में लगे रहते हैं कि कैसे उनके जीवन यापन का साधन कायम रहे।

अब जो लोग इस व्यवसाय में करोड़ों रुपये लगाते हैं तो क्या उनसे यह अपेक्षा की जा सकती है कि वे मात्र समाजसेवा करेंगे। ऐसा सोचना ही गलत है। स्वयं को मीडिया हाउस में स्थापित रखने के लिए तरह-तरह के जतन करने वाले अगर व्यावसायिक कम्पनियों की तरह मुनाफा कमाने की सोचते हैं तो क्या अनुचित करते हैं? आज आरोप लगाया जाता है कि मीडिया बिक चुका है। सरकार ने मीडिया खरीद लिया है। एक समय तो मीडिया-राडिया का जुमला सिर चढ़कर बोल रहा था। मीडिया से जुड़े बड़े लोगों से यही सवाल किया जाता था कि आप मीडिया से हैं या राडिया से। मीडिया का मतलब पत्रकारिता से था और राडिया का अर्थ दलाली से था। दरअसल कभी सुर्खियों में रहीं नीरा राडिया वस्तुत: दलाली से सम्बंधित थीं। उनके नाम पर ही राडिया शब्द सामने आया था। मीडिया हाउस कोई भी हो, धनोपार्जन सभी का पहला उद्देश्य है। अब चाहे यह नम्बर एक के रास्ते आये या नम्बर दो के। कुछ मीडिया हाउस कथित सरकारी इमदाद पर चलते हैं तो कुछ को विपक्षी राजनीतिक दल मदद देते हैं और कुछ की फंडिंग विदेशों तक से होती है। साफ है कि मीडिया हाउस उसकी सेवा पहले करेंगे जो फंड उपलब्ध कराते हैं। इनसे निष्पक्षता की उम्मीद करना तो बेमानी ही है।

दैनिक भास्कर या भारत समाचार जैसी मीडिया कम्पनियों पर आयकर के छापे पहली बार पड़े हों, ऐसा भी नहीं है। राजीव गांधी शासन को याद कीजिये जब बोफोर्स घोटाले को लेकर इंडियन एक्सप्रेस समूह पर आयकर और सीबीआई ने छापेमारी की थी। लम्बे समय तक यह विवाद चला और अंतत: नतीजा दोनों पक्षों में समझौते के रूप में सामने आया। इसी तरह एक समय मुलायम सरकार ने भी उत्तर प्रदेश के कुछ समाचार पत्रों के खिलाफ हल्लाबोल अभियान चलाया। कुछ अन्य प्रदेशों में भी स्थानीय समाचार पत्रों पर कार्यवाहियां की गयीं लेकिन सभी का रिजल्ट समझौता ही निकला। सच तो यह है कि सरकार और मीडिया हाउस दोनों अन्योन्याश्रित हैं। एक के बिना दूसरे का काम नहीं चल सकता। इन दोनों पक्षों के बीच से मीडिया और उसका पुराना स्वरूप तो तिरोहित ही हो गया है।

वास्तविक मीडिया के हित के लिए सरकार ने कानून बना तो रखे हैं लेकिन व्यावहारिक रूप से इनका पालन नहीं होता। मसलन पत्रकारों को सुविधाएं देने की सरकार जो घोषणाएं करती है, उसमें भी एक शर्त जुड़ी होती है कि सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए। मान्यता की भी एक सीमा है। 90 प्रतिशत पत्रकार तो मान्यताविहीन ही होते हैं। जो वेतन आयोग गठित किये जाते हैं, उनकी रिपोर्ट लागू नहीं होतीं। वास्तविक मीडिया तो अपने को ठगा सा देखता है। आज जो लोग मीडिया हाउसों पर छापों को लेकर इसे लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमला बता रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि असल मीडिया तो मीडिया हाउसों के सामने दीन-हीन है, उनके रहमो-करम पर जिंदा है। यही मीडिया और मीडिया हाउस में अंतर है। मीडिया की आलोचना करने वाले वर्ग को इस तथ्य के बारे में अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।

शिल्पा को पता है राज का “राज”

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फिल्म एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी को अपने पति राज कुंदरा के राज पता हैं इसीलिए वो राज को देखते ही भड़क गई थीं। विगत 23 जुलाई की शाम को जब पुलिसवाले राज कुंद्रा को लेकर उनके घर पहुंचे थे, तो उनको देखते ही शिल्पा शेट्टी भड़क गईं और जोर-जोर से चिल्लाने लगी थी। उन्होंने परिवार की बदनामी की बात भी स्वीकार की। कुंदरा के बिजनेस के बारे में उनको जानकारी भी हो सकती है हालांकि पोर्नोग्राफ़ी के केस में शिल्पा शेट्टी का कोई रोल नहीं है। अब तक इस केस में उनकी संलिप्तता नहीं मिली है।

पोर्नोग्राफी केस में राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। शर्लीन चोपड़ा को डर है कि कहीं उनकी गिरफ्तारी न हो जाए तो दूसरी ओर शिल्पा शेट्टी से भी क्राइम ब्रांच की टीम ने 23 जुलाई को 6 घंटे की कड़ी पूछताछ की थी। इसी पूछताछ को लेकर अब नया खुलासा हुआ है। क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक, 23 जुलाई की शाम को जब पुलिसवाले राज कुंद्रा को लेकर उनके घर पहुंचे थे, तो उनको देखते ही शिल्पा शेट्टी भड़क गईं और जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

एक्ट्रेस ने कई पुलिसवालों के सामने चिल्लाते हुए राज से कहा कि इस केस ने पर‍िवार की बदनामी कर दी है। उनके हाथ से कई एंडोर्समेंट और बिजनेस डील्स निकल गए हैं। उन्होंने राज से कहा कि उन्हें अपने ऐप या जो भी उनका बिजनेस था उसके बारे में शिल्पा को बताना चाहिए था। इसके बाद शिल्पा शेट्टी जोर-जोर से रोने लगी। यह भी जानकारी सामने आ रही है कि शिल्पा को रोता देख राज कुंद्रा की आंखों में पानी आ गया था।

बाद में राज कुंद्रा ने शिल्पा को समझाने की कोशिश भी की। वे बार-बार खुद को बेगुनाह बता रहे थे और कह रहे थे कि उनके खिलाफ बने इस केस का कोई आधार नहीं है। राज ने शिल्पा से कहा कि उन्होंने पोर्न नहीं बल्क‍ि एराटिका मूवीज बनाई हैं।

शिल्पा ने माना कीवो कुछ बिजनेसेस में राज की पार्टनर थीं ।

राज से बात करने के बाद शिल्पा ने अपने पर्सनल लॉयर के सामने पुलिस के सवालों का जवाब दिया। उनसे लगातार पांच घंटे तक पूछताछ हुई। इसमें उनकी पर्सनल लाइफ से लेकर बैंक एकाउंट्स की डिटेल की जानकारी भी ली गई। वे बार-बार यही कहती रहीं कि उन्हें राज के बिजनेस के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे सिर्फ राज के कुछ बिजनेस में लिखित में पार्टनर थीं और बिजनेस कैसे करना है यह सब राज देखा करते थे। शिल्पा ने बताया कि वे ज्यादातर समय घर को देखने और अपने शो या फिल्मों की शूटिंग में व्यस्त रहती थीं।

पुण्यतिथि पर विशेष : हर रोल में हिट थे डॉ. कलाम

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देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ ए पी जी अबुल कलाम न सिर्फ बच्चों के बीच लोकप्रिय थे बल्कि एक स्वनामधन्य रक्षा वैज्ञानिक और सभी के चहेते राष्ट्रपति थे। भारत की प्रक्षेपास्त्र प्रोद्योगिकी को विकसित करने का श्रेय उन्हीं को है। विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉ कलाम ने साइकिल पर अखबार बेचकर अपने जीवन की सुदृढ़ शुरुवात की और भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन होते हुए राष्ट्रपति भवन तक की दूरी तय की । एक साधारण परिवार में जन्म लेने वाले डॉ कलाम का व्यक्तित्व और कृतित्व हर भारतीय के लिए प्रेरणादायी और अनुकरणीय रहा है। आज यानि 27 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर समूचा देश उनको नमन कर रहा है। आज ही के दिन 2015 में उनकी मृत्यु हुई थी ।

साल 2002 उनकी जिंदगी में टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इस साल तत्कालीन राष्ट्रपति के. आर. नारायणन का कार्यकाल खत्म हो रहा था। उस वक्त वाजपेयी सरकार के पास इतना बहुमत नहीं था कि वह अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनवा सकें। ऐसे में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने अब्दुल कलाम साहब का नाम प्रस्तावित किया । इसे वाजपेयी सरकार ने हाथों- हाथ लिया। कांग्रेस पार्टी के सामने मुश्किल स्थिति पैदा हो गई । अपने आप को गैर संप्रदायी बताने वाली पार्टी मुस्लिम समुदाय के एक बेहद योग्य एवं लोकप्रिय व्यक्ति की राष्ट्रपति पद की दावेदारी को खारिज करने का जोखिम नहीं उठा सकती थी। लेफ्ट पार्टियों ने भी कलाम साहब की उम्मीदवारी का समर्थन किया। इस तरह से वो देश के 11वें राष्ट्रपति बन गए।

कलाम साहब देश के पहले और इकलौते गैर राजनीतिक राष्ट्रपति थे। शायद इसलिए उन्हें जनता का भरपूर प्यार मिला. उनकी सादगी के किस्से काफी चर्चित रहे। वो डॉ राजेन्द्र प्रसाद के बाद दूसरे लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाने लगे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के उन राष्ट्रपतियों में से रहे, जिन्हें जनता का सबसे ज्यादा प्यार मिला। जब वो वैज्ञानिक थे, तब भी देशसेवा में उनके योगदान के लिए जनता ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया और जब वो राष्ट्रपति बने तो सर्वोच्च पद पर आसीन एक सादगी पसंद शख्स की जनता कायल हो गई।

एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था. एक मछुआरे परिवार में जन्मे कलाम साहब का बचपन बेहद अभावों में बीता. गणित और भौतिक विज्ञान उनके फेवरेट सब्जेक्ट थे। पढ़ाई से उन्हें खासा लगाव था और शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा। अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने अखबार तक बेचा।

मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से उन्होंने एयरोनॉटिकल साइंस की पढ़ाई की। 1962 में उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो में नौकरी शुरू की. उनके निर्देशन में भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान यानी पीएसएवी-3 बनाया और 1980 में पहला उपग्रह ‘रोहिणी’ अंतरिक्ष में स्थापित किया गया।

अंतरिक्ष अनुसंधान और मिसाइल टेक्नोलॉजी पर कलाम साहब ने खूब काम किया। उस दौर में मिसाइलों का होना उस देश की ताकत और आत्मरक्षा का पर्याय माना जाने लगा था लेकिन दुनिया के ताकतवर देश अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी को भारत जैसे देश के साथ साझा नहीं कर रहे थे. भारत सरकार ने अपना स्वदेशी मिसाइल कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया. इंटीग्रेटेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की जिम्मेदारी कलाम साहब को सौंपी गई।

1992 से 1999 तक अब्दुल कलाम रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार रहे और इसी दौरान ही पोखरण में परमाणु परीक्षण हुआ. इसमें कलाम साहब की भूमिका बेहद खास थी। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के चलते उन्हें 1997 तक भारत रत्न समेत सभी नागरिक सम्मान मिल चुके थे।

मिसाइलमैंन के रूप में प्रसिद्ध डॉ कलाम का देश को रक्षा प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में बेहद महत्वपूर्ण योगदान है। एक राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल भी निसंदेह उपलब्धियों भरा रहा । उनके इस योगदान के लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।

ममता की निगाहें केंद्र पर, 2024 में होंगी मोदी के सामने

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी केंद्र कि राजनीति में उड़ान भरने की तैयारी कर रही हैं। उनकी इच्छा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका निभाने की है। विपक्ष मोदी के मुक़ाबले दीदी को प्रोजेक्ट कर सकता है। पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने वाली ममता बनर्जी का विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद यह पहला दिल्ली दौरा है। संसद के मानसून सत्र के दौरान दिल्ली दौरे पर पहुंचीं ममता बनर्जी अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से भी मुलाकात कर सकती हैं। साथ ही वह किसान आंदोलन को भी हवा देने के लिए धरना स्थल जा सकती हैं।

तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि 30 जुलाई तक दौरे के दौरान ममता बनर्जी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगी जबकि वो संसद भी जा सकती हैं, जहां मॉनसून सत्र चल रहा है। हालांकि, उनका यह दौरा कोरोना नियमों पर ही निर्भर रहेगा।

तृणमूल कांग्रेस की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार, ममता बनर्जी मंगलवार को शाम चार बजे प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगी। हालांकि, ममता की पहली मुलाकात आज दोपहर 2 बजे कांग्रेस नेता कमलनाथ से हैं। 3 बजे वह आनंद शर्मा से मिलेंगी और इसके बाद शाम साढ़े 6 बजे वह फिर से कांग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी से मुलाकात करेंगी।  बनर्जी के दिल्ली दौरे पर निशाना साधते हुए भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फर्जी टीकाकरण शिविर मामला, चुनाव बाद हिंसा और अन्य मुद्दों को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही हैं और इससे बचने के लिए वह कुछ दिन के लिए राज्य से बाहर रहना चाहती हैं। उन्होंने दावा किया कि विपक्षी दलों को एकजुट करने का बनर्जी का प्रयास सफल नहीं होगा।

लेजर डिवाइस करेगी दुनियाँ को करोना मुक्त

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करोना ने पूरी दुनियाँ का जीना हराम कर दिया है लेकिन आने वाले समय में करोना को आसानी से खत्म किया जा सकेगा। करोना के नए- नए वैरिएंट  से निपटने के लिए इटली के वैज्ञानिकों ने रास्ता निकाल लिया है। यहाँ  अब एक ऐसी डिवाइस बनाई गई है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि ये कोरोना वायरस को मार सकती है। यह लेजर डिवाइस चार दीवारी के भीतर मौजूद कोरोना वायरस कणों को मार सकती है।

इस डिवाइस को संयुक्‍त राष्‍ट्र के वैज्ञानिकों ने इटली की टेक कंपनी के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर बनाया है। उत्तरी इटली के शहर ट्रिस्टे में स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी और लेजर उपकरण बनाने वाली स्थानीय कंपनी एल्टेक के-लेजर ने मिलकर ये प्रयास पिछले साल शुरू किया था, जब इटली कोविड-19 की मार झेल रहा था।एल्टेक कंपनी के फाउंडर फ्रेंचेस्‍को जनाटा हैं। उनकी कंपनी मेडिकल फील्‍ड में इस्‍तेमाल आने वाले लेजर प्रोडक्‍ट बनाती है। डिवाइस में हवा को लेजर बीम से होकर गुजारा जाता है और वह वायरस और बैक्टीरिया को खत्म कर देती है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्‍नोलॉजी में कार्डियोवस्कुलर बायोलॉजी ग्रुप की प्रमुख सेरेना जकिन्या कहती हैं, “इस डिवाइस ने लेजर टेक्नोलॉजी को लेकर मेरी सोच को पूरी तरह से बदल दिया है। यह डिवाइस 50 मिली सेकेंड में वायरस को खत्म कर देता है।” दूसरी ओर इस डिवाइस को लेकर कई वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस को मारने के लिए लेजर आधारित तकनीक सुरक्षित नहीं होगी। जर्नल ऑफ फोटोकेमिस्ट्री एंड फोटोबायोलॉजी में पिछले साल नवंबर में पब्लिश हुई एक स्टडी में लेजर आधारित डिवाइस से कैंसर का खतरा बताया गया था।

यूपी में चुनावी सर्वे : ब्राह्मण अभी भी भाजपा के साथ, बसपा दूसरी पसंद

उत्तर प्रदेश में सभी राजनैतिक दल भले ही ब्राह्मणों को रिझाने में जुटे हों लेकिन ब्राह्मणों की पहली पसंद अभी भी भाजपा ही है। ब्राह्मण मतदाताओं को लेकर राजनीतिक दलों की सक्रियता के बीच एक सर्वे में परिणाम आया है कि अभी भी 64 फीसदी ब्राह्मण भाजपा के साथ है। ब्राह्मणों की दूसरी पसंदीदा पार्टी बसपा और तीसरे नंबर पर कांग्रेस है, जबकि इस दौड़ में सपा सबसे पीछे है।

एक स्वतंत्र एजेंसी मैटराइज न्यूज द्वारा उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में करवाए गए सर्वे में एक बार फिर भाजपा का परचम सबसे ऊपर नजर आ रहा है। बीते 12 से 22 जुलाई के बीच करवाए गए इस सर्वे में लोगों से रायशुमारी करके कोरोना की दूसरी लहर के बाद योगी सरकार की स्थिति का आकलन किया गया, जिसमें अधिकांश ने योगी सरकार में विश्वास व्यक्त करते हुए यह संकेत दिया कि अगर इसी वक्‍त विधानसभा चुनाव हो जाएं तो उसमें भाजपा की सत्‍ता में वापसी होगी।

दलित वोटरों के बीच बसपा 45 प्रतिशत समर्थन हासिल कर सबसे आगे है जबकि दूसरे नंबर पर 43 फ़ीसदी दलित वोटर भाजपा के साथ जा रहे हैं. । महिला सुरक्षा के लिए एक के बाद एक कदम उठाने पर लोगों का समर्थन योगी आदित्यनाथ के ही साथ दिखाई दे रहा है । महिला सुरक्षा के मुद्दे पर 52 फीसदी लोगों ने योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताया है। इस मुद्दे पर 34 फीसदी लोग मायावती पर भरोसा करते हैं जबकि अखिलेश यादव सबसे निचले पायदान पर है। केवल 12 मतदाता ही उन पर विश्वास करते हैं । सर्वे में अधिकांश लोगों ने मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ को सर्वश्रेष्ठ बताया, जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर क्रमशः बसपा की मायावती और सपा के अखिलेश यादव रहे।

भविष्य में लोकसभा में होंगे 1000 सांसद!

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी और कीर्ति चिदम्बरम ने किया दावा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक बार कहा था कि लोकसभा में सीटों की संख्या एक हज़ार से ज्यादा की जाए। शायद आने वाले समय में उनकी भविष्यवाणी सच साबित हो सकती है। सत्ता के गलियारों में आजकल यह चर्चा ज़ोरों पर है कि क्या लोकसभा (Lok Sabha) में सीटों की वर्तमान संख्या को बढ़ा कर एक हज़ार तक किया जा सकता है?  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने दावा किया है कि बीजेपी सरकार लोकसभा में सीटों की संख्या को बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव लाने वाली है। उन्होंने ये भी दावा किया है कि इसके लिए पार्लियामेंट का नया चैंबर भी तैयार किया जा रहा है. हालांकि उनके साथ कीर्ति चिदम्बरम ने ये भी कहा कि अगर ऐसा प्रस्ताव रखा जाता है तो फिर आम लोगों की राय भी इस पर ली जानी चाहिए।

गौरतलब है कि संविधान के मुताबिक लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा 552 सदस्य हो सकते हैं। इसमें राज्यों से 530 और केंद्र शासित प्रदेशों से 20 सदस्यों का चयन किया जाता है। इसके अलावा एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते है। आखिरी बार साल 1977 में सीटों की संख्या बढ़ाई गई थी। ऐसे में वर्तमान स्थिति को देखते हुए ये चर्चा फिर से शुरू हुई है।

मनीष तिवारी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘मुझे बीजेपी के संसदीय सहयोगियों द्वारा विश्वसनीय रूप से बताया गया है कि 2024 से पहले लोकसभा की संख्या बढ़ाकर 1000 या उससे अधिक करने का प्रस्ताव है. 1000 सीटों वाले नए संसद कक्ष का निर्माण किया जा रहा है. ऐसा करने से पहले एक गंभीर सार्वजनिक विमर्श होना चाहिए । उधर तिवारी के ट्वीट पर कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने भी अपनी राय दी है। उन्होंने कहा है कि इस मसले पर सार्वजनिक बहस की जरूरत है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस की जरूरत है। हमारे जैसे बड़े देश को ज्यादा निर्वाचित प्रतिनिधियों की आवश्यकता है. लेकिन अगर ये इज़ाफ़ा जनसंख्या के आधार पर किया गया तो इससे दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व और कम हो जाएगा. जो स्वीकार्य नहीं होगा। ‘

कारगिल युद्ध : भारतीय वीरों ने 22 साल पहले लिखी थी शौर्य की कहानी

  • तत्कालीन सेनाप्रमुख ने कहा पाकिस्तानी इलाकों को कब्जा करने की अनुमति दी जानी चाहिए थी।

कारगिल युद्ध के 22 साल पूरे होने पर देश आज उन वीर जवानों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है जिन्होंने इस युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी थी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत समूचे देश ने आज उन वीरों को नमन किया। उधर इस पूरे मामले पर पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा है कि कारगिल  में सीजफायर से पहले सुरक्षाबलों को एलओसी के पास पाकिस्तानी इलाकों पर कब्जा करने की अनुमति दी जानी चाहिए थी। युद्ध के 22 साल बाद मलिक ने कहा कि ऑपरेशन विजय राजनीतिक, सैन्य और राजनयिक रूप से दृढ़ कार्रवाई थी, जिसने हमें खराब स्थिति को भी मजबूत सैन्य और राजनयिक जीत में बदलने में मदद की ।

कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। भारतीय नियंत्रण रेखा (एलओसी) से पाकिस्तानी सैनिकों को हटाने के लिए मई 1999 में कारगिल युद्ध शुरू हुआ था। 3 मई 1999 को शुरू हुआ कारगिल युद्ध 2 महीने से भी अधिक चला था और 26 जुलाई को जंग खत्म हुई थी। करगिल जंग के दौरान भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय चलाया था।

कारगिल युद्ध पाकिस्तानी सेना की साजिश थी। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की जानकारी के बिना तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने उस संघर्ष को अंजाम दिया था। करगिल युद्ध में मदद मांगने और पीएम की कुर्सी बचाने के मकसद से नवाज शरीफ अपने परिवार के साथ अमेरिका गए थे। उस वक़्त तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी शरीफ से दो टूक कह दिया था कि पाकिस्तान को सेना हटानी ही होगी। इसके बाद भारतीय सेना ने शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था।

चीनी राष्ट्रपति ने तिब्बत का दौरा किया, भारत ने सीमा पर 15 हजार सैनिक तैनात किए

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तनाव के बीच पहली बार तिब्बत पहुंचे। दो दिन के इस दौरे पर शी जिनपिंग ने तिब्बत के कई इलाकों का दौरा किया। 2013 में चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार जिनपिंग ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) की राजधानी ल्हासा की यात्रा की। इससे पहले 2011 में उपराष्ट्रपति के रूप में तिब्बत का दौरा किया था। दूसरी ओर चीन की गतिविधियों को देखते हुए भारत ने भी अपने कदम उठाए हैं। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सेना की तैयारियों को देखते हुए भारतीय सेना ने ईस्टर्न लद्दाख एरिया में 15 हजार नए सैनिकों को तैनात कर दिया है।

जानकारों की मानें तो चीनी राष्ट्रपति की तिब्बत यात्रा का मकसद भारत को यह संकेत देना भी हो सकता है कि शी जिनपिंग चीन के साथ भारत की सीमा पर तनाव के मुद्दे को प्राथमिकता दे रहे हैं। भारत – चीन की सीमा पर बसे उन इलाकों का भी शी जिनपिंग ने दौरा किया जहां कई साल बाद कोई चीनी नेता गया हो। शी जिनपिंग न्यिंग्ची रेलवे स्टेशन भी गए जिसको लेकर भारत के कूटनीतिक और सामरिक मामलों के हलकों में भी सुगबुगाहट है।

उधर भारत ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीनी सेना की तैयारियों को देखते हुए ईस्टर्न लद्दाख एरिया में 15 हजार नए सैनिकों को तैनात कर दिया है। खास बात यह है कि लद्दाख में तैनात किए गए ये सैनिक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन का हिस्सा थे। काउंटर टेररिज्म डिवीजन के इन जवानों को पिछले कुछ महीनों में तैनात किया गया है। ये लेह में तैनात 14 कॉर्प्स की मदद कर रहे हैं। सरकार से जुड़े सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इससे पहले कि चीन वहां आक्रामकता दिखाने के कोशिश करे, उससे निपटने के लिए लगभग 15,000 सैनिकों की डिवीजन को आतंकवाद विरोधी अभियानों से हटाकर लद्दाख एरिया में ले जाया गया है।

पहली बार ओलंपिक में पहले ही दिन पदक, सिंधु ने भी जगाई उम्मीद

टोक्यो ओलिम्पिक भारत के लिए इस मैने में खास हैं की इस बार ऐसा पहली बार हुआ है कि ओलिंपिक में भारत ने पहले ही दिन मेडल जीत लिया है। वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने महिलाओं की 49 किलोग्राम वेट कैटेगरी में कुल 202 किलोग्राम वजन उठाकर सिल्वर मेडल जीता। मीरा ओलिंपिक के पहले दिन मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। चीन की होउ जिहूई ने 210 किलोग्राम वजन उठाकर गोल्ड मेडल जीता। इंडोनेशिया की कैंटिका विंडी ने ब्रॉन्ज जीता। दूसरी ओर दूसरे दिन बैडमिंटन में शटलर पीवी सिंधु ने अपना पहला मैच आसानी से जीतकर पदक कि उम्मीद जगा दी है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मीराबाई से लाइव बातचीत भी की। उन्होंने ऐलान किया है कि मणिपुर सरकार की तरफ से मीरा को 1 करोड़ रुपए की इनाम राशि दी जाएगी। बीरेन सिंह ने ऑनलाइन बातचीत को सोशल मीडिया पर शेयर किया।

बीरेन सिंह ने खुशी जताते हुए कहा कि जिस समय मीराबाई ने मेडल जीता, तब गृह मंत्री अमित शाह की तमाम नॉर्थ ईस्ट के मुख्यमंत्रियों संग एक मीटिंग चल रही थी। ऐसे में मीटिंग के बीच में ही बीरेन सिंह ने मेडल मिलने की खबर दी और फिर सभी ने खड़े होकर मीरा को बधाइयां दीं।

उधर टोक्यो ओलिंपिक में मेडल राउंड के दूसरे दिन का खेल जारी है। इस समय शूटिंग में पुरुषों के 10 मीटर एयर राइफल का क़्वालिफाइंग राउंड चल रहा है। इसमें भारत से दिव्यांश सिंह पंवार और दीपक कुमार हिस्सा ले रहे हैं। दोनों फिलहाल संयुक्त 17वें स्थान पर चल रहे हैं। महिलाओं के 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में भारत की मनु भाकर और यशस्‍वनी देसवाल फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकीं। क़्वालिफाइंग राउंड में मनु 575 अंकों के साथ 12वें और देसवाल 573 अंकों के साथ 13वें स्थान पर रहीं। दूसरी ओर बैडमिंटन में शटलर पीवी सिंधु ने अपना पहला मैच आसानी से जीत लिया। रोइंग (नौकायन) से अच्छी खबर आई है। परुषों के लाइट वेट डबल्स स्कल्स इवेंट में अर्जुन लाल और अरविंद सिंह की जोड़ी रेपचेज रेस के जरिए सेमीफाइनल के लिए क्‍वालिफाई कर गई है। टेनिस में भारत की सानिया मिर्जा और अंकिता रैना की जोड़ी महिला डबल्स के पहले ही राउंड में हार कर बाहर हो गई।