Wednesday, June 4, 2025
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भारत-यूरोपीय संघ मिलकर हटाएँगे समुद्री प्लास्टिक कचरा

– अपशिष्ट से हाइड्रोजन के लिए अभिनव अनुसंधान समाधान खोजने के लिए हाथ मिलाया

नई दिल्ली : भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने भारत-ईयू व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) के तहत दो प्रमुख अनुसंधान और नवाचार पहल शुरू की हैं। टीटीसी की स्थापना 2022 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने व्यापार और प्रौद्योगिकी पर द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने के लिए की थी। ₹391 करोड़ (~ €41 मिलियन) के संयुक्त निवेश के साथ, पहल समुद्री प्लास्टिक कूड़े (एमपीएल) और अपशिष्ट से हरित हाइड्रोजन (डब्ल्यू2जीएच) के क्षेत्रों में दो समन्वित प्रयासों पर केंद्रित है, जिसे होराइजन यूरोप-ईयू के अनुसंधान और नवाचार रूपरेखा कार्यक्रम- और भारत सरकार द्वारा सह-वित्तपोषित किया गया है।

इस पहल के आरम्भ के दौरान भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा, “सहयोगी अनुसंधान नवाचार की आधारशिला है। ये पहल भारतीय और यूरोपीय शोधकर्ताओं की शक्तियों का उपयोग करके ऐसे समाधान विकसित करेंगी जो हमारी साझा पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करेंगी।”

यूरोपीय संघ-भारत सहयोग की बढ़ती गति पर बल देते हुए, भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत महामहिम श्री हर्वे डेल्फिन ने कहा, “यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के तहत ये शोध प्रयास यूरोपीय संघ भारत साझेदारी की गतिशीलता को प्रदर्शित करते हैं, जिसे पिछली फरवरी में दिल्ली में हमारे नेताओं द्वारा नवीनीकृत किया गया था। समुद्री प्रदूषण और संधारणीय ऊर्जा जैसे ठोस मुद्दों से एक साथ निपटकर, हम नवाचार, परिपत्र अर्थव्यवस्था और ऊर्जा दक्षता को आगे बढ़ा रहे हैं। इन क्षेत्रों में अत्याधुनिक तकनीकों का विकास आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों ही दृष्टि से समझदारी भरा है। हम स्वच्छ, अधिक संधारणीय भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे यूरोपीय संघ और भारत दोनों को लाभ होगा।”

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के वैज्ञानिक सचिव डॉ. परविंदर मैनी ने कहा, “समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण और अपशिष्ट से हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में संयुक्त पहल के माध्यम से सहयोगात्मक प्रयास करना संधारणीय विकास के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”

यूरोपीय आयोग के अनुसंधान और नवाचार महानिदेशालय (आरटीडी) के महानिदेशक श्री मार्क लेमेत्रे ने किए जा रहे निवेश के पैमाने की जानकारी दी- “यूरोपीय संघ और भारत मिलकर सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए 41 मिलियन यूरो का निवेश कर रहे हैं। समुद्री प्रदूषण और अपशिष्ट से नवीकरणीय हाइड्रोजन में दो समन्वित अनुसंधान पहल में हमारा सहयोग साझा टिकाऊ भविष्य में निवेश करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

पहली समन्वित पहल समुद्री प्रदूषण, विशेष रूप से समुद्री प्लास्टिक कूड़े के व्यापक मुद्दे से निपटने पर केंद्रित है। वैश्विक प्रयासों के बावजूद, समुद्री प्रदूषण जैव विविधता को खतरे में डाल रहा है, पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर रहा है और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। यूरोपीय संघ (€12 मिलियन/~₹115 करोड़) और भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (₹90 करोड़/~€9.3 मिलियन) द्वारा सह-वित्तपोषित यह पहल माइक्रोप्लास्टिक, भारी धातुओं और लगातार कार्बनिक प्रदूषकों सहित विभिन्न प्रदूषकों के संचयी प्रभावों की निगरानी, ​​आकलन और शमन के लिए अभिनव समाधान तलाशती है। परिणामी शोध सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान के संयुक्त राष्ट्र दशक जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का समर्थन करेगा और यूरोपीय संघ की शून्य प्रदूषण कार्य योजना और भारत की राष्ट्रीय समुद्री कूड़ा नीति के उद्देश्यों में योगदान देगा।

भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने कहा कि “समुद्री प्रदूषण वैश्विक चिंता है जिसके लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है। यह संयुक्त प्रयास हमें अपने समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए उन्नत उपकरण और रणनीति विकसित करने में सक्षम बनाएगा।”

दूसरी समन्वित पहल अपशिष्ट से हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के विकास के माध्यम से स्थायी ऊर्जा समाधानों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करती है। स्वच्छ ऊर्जा की ओर वैश्विक बल के साथ, बायोजेनिक कचरे को हाइड्रोजन में परिवर्तित करना आशाजनक रास्ता प्रस्तुत करता है। यूरोपीय संघ (€10 मिलियन/~₹96 करोड़) और भारत के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (INR 90 करोड़/~€9.3 मिलियन) द्वारा समर्थित इस संयुक्त पहल का उद्देश्य हाइड्रोजन उत्पादन के लिए कुशल, लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल तरीके विकसित करना है। यह शोध यूरोपीय संघ की हाइड्रोजन रणनीति और भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के साथ संरेखित होगा, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों में योगदान देगा।​

भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि “अपशिष्ट से हाइड्रोजन बनाने वाली प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाना हमारे ऊर्जा संक्रमण लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है। यह सहयोग संधारणीय हाइड्रोजन उत्पादन विधियों के विकास में तेजी लाएगा।”

समुद्री जीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों पर समुद्री प्रदूषण के संचयी प्रभावों की पहल

– कुल बजट: भारत/एमओईएस 90 करोड़ रुपए | यूरोपीय संघ €12 मिलियन

– दायरा: समुद्री प्रदूषण, इसके संचयी प्रभावों और जलवायु परिवर्तन से संबंधों से निपटना।

– फोकस क्षेत्र: समुद्री सूक्ष्म/नैनो प्लास्टिक कूड़े और प्रदूषकों का पता लगाने के लिए उपकरण विकसित करना, समुद्री जीवन पर जोखिमों और पारिस्थितिकी संबंधी प्रभावों का अग्रिम आकलन, खाद्य श्रृंखला में जैव संचय और मानव स्वास्थ्य जोखिमों का मूल्यांकन, अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण सहित स्रोत/प्रवेश बिंदुओं से समुद्री प्लास्टिक की कमी और शमन के लिए नवीन प्रौद्योगिकी और समाधान।

– अपेक्षित परिणाम: प्रदूषण आकलन के लिए नए विश्लेषणात्मक उपकरण, नीति समर्थन के लिए वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि, समुद्री कूड़े पर यूरोपीय संघ-भारत सहयोग को मजबूत करना।

डॉ सुतार कौशल विकास संस्थान के लिए सीएम योगी से भूमि की मांग  

  • पत्रकारिता जगत के पितामह प्रो. (डॉ.) राम जी लाल जांगिड़ ने लिखा पत्र

नोएडा : पद्म भूषण से सम्मानित विश्वविख्यात मूर्तिकार डॉ. राम वी. सुतार के सम्मान में संभव इंटरनेशनल फाउंडेशन ने विशेष पहल की है। 19 फरवरी 2025 को अपने जीवन के सौ वर्ष पूर्ण करने वाले डॉ सुतार के सम्मान में कौशल विकास संस्थान स्थापित करने की योजना है| प्रोफेसर (डॉ.) रामजीलाल जांगिड़, ट्रस्टी – संभव इंटरनेशनल फाउंडेशन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर डॉ. राम वी. सुतार के कार्य क्षेत्र नोएडा में ‘पद्म भूषण डॉ. राम वी. सुतार शताब्दी कौशल विकास संस्थान’ स्थापित करने हेतु उपयुक्त भूमि आवंटन की मांग की है। इस संस्थान का उद्देश्य न केवल पारंपरिक भारतीय शिल्पकला, संस्कृति और इतिहास को संरक्षित करना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके कार्यों से प्रेरणा देना भी है।

संस्थान में एक मंदिर परिसर की भी परिकल्पना की गई है, जो सनातन धर्म और भारतीय अध्यात्म के प्रचार-प्रसार का केंद्र बनेगा। यह परियोजना डॉ. सुतार के जीवन और कार्य को सम्मान स्वरूप समर्पित होगी, जिन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा – ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण कर भारत को वैश्विक स्तर पर गौरवांवित किया।

गौरतलब है कि डॉ. राम वी. सुतार प्रसिद्ध शिल्पकार हैं| उनको विशेष रूप से विशालकाय मूर्तियों के निर्माण के लिए जाना जाता है। भारत सरकार उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान प्रदान कर चुकी है। उन्होंने अपनी कला की शिक्षा जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से प्राप्त की और अपने करियर की शुरुआत आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के साथ मिलकर एलोरा की गुफाओं में कार्य करके की। इसके कुछ वर्षों बाद उन्होंने मूर्ति निर्माण को अपने जीवन का केंद्र बना लिया। संभव इंटरनेशनल फाउंडेशन का कहना है कि यह संस्थान केवल एक कीर्ति केंद्र नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रेरणा केंद्र होगा जो कला, संस्कृति और कौशल विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया ग्राम पंचायतें विफल, सरकार ने दिखाई हाइटेक गांवों की तस्वीर

  • मई 2025 को प्रकाशित कार्टून के संबंध में रिजॉइंडर
  • ग्राम पंचायतें स्थानीय स्वशासन के जीवंत संस्थान हैं, असफल इंस्टाग्राम पंचायतें नहीं

नई दिल्ली : टाइम्स ऑफ इंडिया के 14 मई 2025 के नई दिल्ली संस्करण में टाइम्स टेकीज सेक्शन (पेज 24) में एक कार्टून प्रकाशित किया गया है, जो मूल रूप से टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा 14 अप्रैल 2016 को प्रकाशित किया गया था, जिसका शीर्षक था: “ग्राम पंचायतें विफल हो गईं। हमारे पास इंस्टाग्राम पंचायतें हैं।”

इस संदर्भ में, पंचायती राज मंत्रालय का कहना है कि वाक्यांश “ग्राम पंचायतें विफल रहीं। हमारे पास इंस्टाग्राम पंचायतें हैं” जमीनी हकीकत या पिछले कुछ वर्षों में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने में अब तक की गई उल्लेखनीय प्रगति को नहीं दर्शाता है। मंत्रालय का मानना ​​है कि मीडिया में व्यंग्य का अपना स्थान है, लेकिन लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रदर्शन के बारे में इस तरह के व्यापक सामान्यीकरण से भारत में जमीनी स्तर पर किए जा रहे परिवर्तनकारी कार्यों के बारे में गलत धारणाएं पैदा हो सकती हैं। भारत में एक मजबूत पंचायती राज व्यवस्था बनाने के लिए 14 लाख से अधिक महिला सदस्यों सहित 32 लाख से अधिक निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के अनुकरणीय कार्य को अक्सर अति सरलीकृत चित्रण के साथ कम करके आंका जाता है या गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।

हाल के दिनों में विभिन्न उपलब्धियों के बीच, पंचायती राज मंत्रालय का मेरी पंचायत मोबाइल एप्लिकेशन (जिसे जेम्स ऑफ डिजिटल इंडिया अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया है) नागरिकों को वास्तविक समय में पंचायत स्तर की जानकारी तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, जिससे अधिक सार्वजनिक सहभागिता को बढ़ावा मिलता है। इससे न केवल सामुदायिक भागीदारी मजबूत होती है, बल्कि जमीनी स्तर पर भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को भी बल मिलता है। ग्राम मानचित्र, भाषानी और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) जैसे प्लेटफार्मों के साथ एकीकरण ने बेहतर आपदा तैयारी और आजीविका लचीलेपन के लिए नियोजन, बहुभाषी पहुंच और हाइपरलोकल मौसम पूर्वानुमान में ग्राम पंचायत क्षमताओं को कई गुना बढ़ा दिया है। 2018-19 में शुरू की गई और बाद में 2022-23 से संशोधित की गई ‘राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए)’ की प्रमुख योजना के तहत सभी स्तरों पर 2.50 लाख से अधिक पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के 3.65 करोड़ से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों (संचयी) का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पूरा हो चुका है, जिससे जमीनी स्तर पर मजबूत नेतृत्व को सक्षम किया जा रहा है, जो ग्रामीण भारत की सूरत बदल रहा है।

ई-ग्राम स्वराज के माध्यम से 2.5 लाख से अधिक पंचायतों का संचालन, पीएफएमएस के माध्यम से वास्तविक समय पर भुगतान, राष्ट्रीय परिसंपत्ति निर्देशिका (एनएडी) के माध्यम से परिसंपत्ति प्रबंधन, सर्विसप्लस के माध्यम से नागरिक-केंद्रित सेवाएं प्रदान करना, नागरिक चार्टर को अपनाना, ऑनलाइन सेवा वितरण तंत्र का विस्तार, ग्राम पंचायत स्तर पर मौसम पूर्वानुमान की उपलब्धता, अत्याधुनिक पंचायत भवनों का निर्माण और स्वयं के स्रोत से राजस्व जुटाने में वृद्धि के साथ, ग्राम पंचायतें आज “विकसित भारत 2047” के विजन की ओर निर्णायक और सफलतापूर्वक आगे बढ़ रही हैं। भारत में पंचायती राज प्रणाली तकनीकी एकीकरण, पर्यावरणीय स्थिरता, भाषाई समावेशिता और सामुदायिक भागीदारी द्वारा चिह्नित समावेशी विकास में अत्यधिक योगदान देती है।

आज भारत में ग्राम पंचायतें डिजिटल, स्मार्ट और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रयास कर रही हैं। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा हाल ही में प्रसारित तीन भागों वाली डिजिटल श्रृंखला ‘फुलेरा का पंचायती राज’ को मिली जनता की प्रतिक्रिया से स्पष्ट रूप से देश में पंचायत-नेतृत्व वाली शासन प्रणाली के प्रति जनता की बढ़ती रुचि, जागरूकता और विश्वास का संकेत मिलता है। यह विचार गलत है कि ग्राम पंचायतें असफल हो गई हैं, बल्कि वे स्थानीय स्वशासन की जीवंत संस्थाएं हैं जो सतत विकास और भागीदारीपूर्ण लोकतंत्र के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं।

शिलांग में होगा देशभर के साहित्यकारों का सम्मान

  • तीन वर्षों के बाद शिलांग में 19वें अखिल भारतीय लेखक मिलन शिविर का आयोजन

शिलांग (एक संवाददाता)। पूर्वोत्तर भारत में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सक्रिय संस्था पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी विगत 35 वर्षों से लगातार लेखक मिलन शिविर के साथ-साथ सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं के सहयोग एवं समर्थन से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती आ रही है। इसी क्रम में इस अकादमी ने शिलांग के अतिरिक्त पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम, नागालैण्ड, असम, सिक्किम, त्रिपुरा के साथ-साथ नेपाल, भूटान और गोवा में भी राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार के अतिरिक्त हिंदी साहित्य का भी प्रचार किया है। इस बार 3 वर्षों के बाद आगामी 30 मई से 1 जून तक एक बार फिर शिलांग में अखिल भारतीय लेखक एवं पर्यटक मिलन शिविर का आयोजन किया जा रहा है और इसकी तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी गई है।

इस शिविर के संयोजक डॉ. अकेलाभाइ ने बताया कि इस बार 101 से लेखक एवं पर्यटक इस शिविर में सम्मिलित होने वाले हैं। पंजीकरण की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। इस शिविर में 18 राज्यों की प्रतिनिधियों की उपस्थिति का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि यह शिविर डॉ. महाराज कृष्ण जैन के 89वीं जयंती के अवसर पर प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है और प्रति वर्ष 100 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं। इस शिविर में कवि गोष्ठी, विचार गोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्यटन और सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है। इस अकादमी के अध्यक्ष श्री बिमल बजाज एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके सहयोग और समर्थन से मेघालय की राजधानी शिलांग स्थित श्री राजस्थान विश्राम भवन में यह शिविर आयोजित किया जाता है।   

पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी के बारे में चर्चा करते हुए अध्यक्ष श्री बिमल बजाज ने बताया, पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी भारत के मेघालय में सामाजिक विकास के मुद्दों पर काम करने वाला एक गैर-सरकारी संगठन है। इसका संचालन मेघालय राज्य के दो जिलों अर्थात् जैंतिया हिल्स और पूर्वी खासी हिल्स जिले को कवर करता है।

पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी एक गैर-लाभकारी संगठन है जो उत्तर-पूर्वी राज्यों में हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं के उत्थान के लिए समर्पित है। अकादमी में कोई वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है। इसलिए हम प्रशासनिक व्यय के लिए न्यूनतम ओवरहेड रखने में सक्षम हैं। यह न्यूनतम ओवरहेड आम तौर पर स्वयंसेवकों और शुभचिंतकों के योगदान के माध्यम से कवर किया जाता है।

पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी का गठन सितंबर 1990 को शिलांग, मेघालय में एक शैक्षिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक संगठन के रूप में किया गया था, और यह विभिन्न सरकारों की रचनात्मक सलाह और वित्तीय सहायता के तहत कार्य कर रही गैर सरकारी संगठन है । सामाजिक कार्यकर्ता श्री बिमल बजाज इसके अध्यक्ष हैं, सचिव (मानद) डॉ. अकेलाभाइ हैं और इसकी गतिविधियों में मार्गदर्शन के लिए वरिष्ठ विद्वानों और विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों का एक नामांकित निकाय है। अकादमी का मूल उद्देश्य विभिन्न सामाजिक-शैक्षणिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय भाषाओं और साहित्य का प्रचार-प्रसार करना है।

पिछले 35 वर्षों के दौरान इस अकादमी ने नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल के सहयोग से पूरे भारत के छात्रों, लेखकों और कवियों के लिए 200 से अधिक सेमिनार, संगोष्ठी, हिंदी प्रशिक्षण, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, नृत्य, निबंध और ड्राइंग प्रतियोगिता, एक्सटेम्पोर और साहित्यिक बैठकें आयोजित की हैं। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, नई दिल्ली, तकनीकी शब्दावली आयोग, नई दिल्ली, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, शिलांग, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली, सीआईआईएल, मैसूर, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली, यूनिसेफ, दिल्ली, कहानी लेखन महाविद्यालय, अंबाला कैंट, सीमा सुरक्षा बल, शिलांग, केंद्रीय हिंदी संस्थान, शिलांग आदि के सहयोग से यह अकादमी कार्यक्रमों का आयोजन करती रही है। यह अकादमी सभी साहित्यिक आलोचकों, कवियों, व्याख्याताओं, छात्रों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को बढ़ावा देती है। एक स्वस्थ और समान समाज का निर्माण करना जहां राज्य का प्रत्येक व्यक्ति किसी भी आयु वर्ग, लिंग, जाति, पंथ और धर्म का भेदभाव किए बिना हिंदी भाषा बोल और लिख सके। उन्हें सुनिश्चित करें कि हिंदी बोलते समय उनमें आत्मविश्वास हो। स्वयं सोचने और अपने अनुभवों, ज्ञान और कल्पना का उपयोग करके अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करें।

इस अकादमी के लक्ष्य और उद्देश्य हैं,  पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों, विशेषकर मेघालय में हिंदी भाषा, साहित्य और नागरी लिपि को बढ़ावा देना। हिंदीतर भाषी लोगों के कल्याण के लिए विशिष्ट गतिविधियां शुरू करना और उन्हें हिंदी भाषा के माध्यम से आधुनिक भारतीय भाषाओं, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में शिक्षित करना। मेघालय में हिंदी भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए गैर-हिंदी भाषी लोगों की सहज भावना को बढ़ावा देना। पुस्तकों, पत्रिकाओं का प्रकाशन, अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य से हिन्दी में अनुवाद। (अर्थात खासी, गारो, असमिया, बोरो, मणिपुरी, बंगाली आदि), अपने बहुभाषी साहित्यिक कार्यों और अन्य गतिविधियों के साथ भारतीय राष्ट्रीय के सभी लोगों को एक मंच पर लाना।, लोगों के मन में भाईचारे और समानता की भावना विकसित करना।, समान लक्ष्य और उद्देश्य वाले अन्य संगठन (गैर-राजनीतिक) से संबद्ध होना। हिन्दी भाषा, कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना। हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित करना।

पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी के विषय में बताते हुए श्री बिमल बजाज ने कहा, शिलांग की मनोरम पहाड़ियों में, जिसे “पूर्व का स्कॉटलैंड” कहा जाता है, इस शिविर में सभी का हार्दिक स्वागत है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि भारत के 18 से 20 राज्यों से विविध और रचनात्मक व्यक्तित्वों के साथ हमारा मिलना होगा। यह शिविर केवल लेखकों का जमावड़ा नहीं है; यह हमारी साझा मानवता का उत्सव है, जो शब्दों की शक्ति के माध्यम से अभिव्यक्त होता है।

भारत कहानियों की भूमि है। वेदों की प्राचीन ऋचाओं से लेकर रामायण और महाभारत की कालजयी गाथाओं तक, कबीर और मीराबाई की भक्ति भरी कविताओं से लेकर प्रेमचंद और टैगोर की आधुनिक रचनाओं तक, हमें एक ऐसी विरासत मिली है जो विविधता और गहराई से समृद्ध है। रचनाकारों में से प्रत्येक इस शिविर में उस विरासत का एक हिस्सा लेकर आते हैं—एक ऐसी आवाज़ जो इनकी मिट्टी, इनके आकाश और संघर्षों से गढ़ी गई है। अगले कुछ दिनों में हमारे पास यह अवसर है कि इन आवाज़ों को एक जीवंत चित्रपट में पिरोया जाए, जो हमारे राष्ट्र की आत्मा को प्रतिबिंबित करे।

इस शिविर का विषय—”भारत की आवाज़ें: कहानियाँ बुनें, आत्माएँ जोड़ें”—हमें आज के समय में लेखक की भूमिका पर विचार करने के लिए आमंत्रित करता है। एक ऐसे युग में, जहाँ तकनीक तेज़ी से बदल रही है और सीमाएँ धुँधली पड़ रही हैं, लेखनी में वह शक्ति है जो मूल्यवान को संरक्षित करे, अन्याय पर सवाल उठाए और संभव की कल्पना करे। चाहे आप हिंदी में लिखें, तमिल में, बंगाली में, असमिया में या हमारी भूमि की अनगिनत भाषाओं में, आपके शब्द सेतु हैं—जो अतीत को भविष्य से, गाँव को शहर से, और एक दिल को दूसरे से जोड़ते हैं।

शिलांग की शांत सुंदरता और सांस्कृतिक संगम इस आदान-प्रदान के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि है। यहाँ की सरसराती चीड़ें और झरनों की कल-कल आपको प्रेरित करें। सह लेखकों से संवाद—प्रत्येक अपनी अनूठी दृष्टि के साथ—नए विचारों को जन्म दें। इस शिविर के दौरान, हम लेखकों से आग्रह करते हैं कि जितना बोलें उतना सुनें, जितना सिखाएँ उतना सीखें, और साहस व संवेदना के साथ सृजन करें।

हम इस शिविर में क्या हासिल कर सकते हैं? शायद एक ऐसी कहानी जो केरल के बच्चे के सपनों को समेटे, एक कविता जो पंजाब के किसान की दृढ़ता को गूँजाए, या एक संवाद जो परंपरा और आधुनिकता के बीच की खाई को पाटे। शायद बस एक नवीकृत उद्देश्य की भावना—लेखकों के रूप में जो न केवल दुनिया का वर्णन करते हैं, बल्कि उसे आकार भी देते हैं। इस संयुक्त यात्रा की शुरुआत है, “गलत और सही के विचारों से परे एक मैदान है। मैं तुम्हें वहाँ मिलूँगा।” यह शिविर वह मैदान है—सीमाओं से परे एक स्थान, जहाँ आपकी रचनात्मकता स्वतंत्र रूप से विचरण कर सकती है। आइए, हम वहाँ खुले मन और नन्हे दिलों के साथ मिलें। रचनाकारों का यहाँ समय प्रेरणा, जुड़ाव और सृजन के आनंद से भरा होता है। कहानियाँ शुरू होती हैं! लेखन के लिए मन बनता और साधारण लोग भी यहां आकर प्रेरित होकर लिखना शुरू करते हैं।

अहिल्या बाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी स्मृति अभियान

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी पुण्यश्लोक अहिल्या बाई होल्कर जन्म त्रिशताब्दी स्मृति अभियान के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी। राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बुधवार को आयोजित अभियान की कार्यशाला में प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी, उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह तथा अभियान की राष्ट्रीय सहसंयोजक श्रीमती कविता पाटीदार ने प्रशिक्षण दिया। प्रदेश महामंत्री एवं अभियान के प्रदेश संयोजक श्री संजय राय ने संचालन किया तथा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष व अभियान की सहसंयोजक श्रीमती गीता शाक्य ने लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के प्रेरक जीवन की चर्चा की। कार्यशाला में प्रदेश पदाधिकारी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, क्षेत्रीय प्रभारी, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी, अभियान के जिला संयोजक, जिला मीडिया प्रभारी, जिला सोशल मीडिया संयोजक सम्मिलित रहे।

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को धर्म, न्याय और राष्ट्रधर्म का सजीव स्वरूप बताते हुए कहा कि वे भारतीय सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना की अग्रदूत थीं। उन्होंने विदेशी आक्रांताओं के कालखंड में जिस साहस, भक्ति और समर्पण से काशी से लेकर रामेश्वरम् तक तीर्थस्थलों का पुनरुद्धार कराया, वह भारतीय इतिहास का अद्वितीय अध्याय है। मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अहिल्याबाई ने “धर्मों रक्षति रक्षितः” के वैदिक उद्घोष को न केवल जिया, बल्कि उसे मूर्त रूप भी दिया। जब देश विदेशी आक्रांताओं से त्रस्त था, मंदिर विध्वंस किए जा रहे थे, तब अहिल्याबाई ने बिना भय के, बिना किसी राजनीतिक समर्थन के, उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का विराट कार्य अपने हाथों में लिया था, आज हमें उनके जीवन से सद्प्रेरणा लेकर देश और सनातन संस्कृति के गौरव की पुनर्स्थापना के लिए पूरे मनोयोग से समर्पित हो जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने स्वयं घोषणा की थी ‘मेरा पथ धर्म का पथ है, धर्म का पथ ही न्याय का पथ है और न्याय का पथ ही हमें सर्वशक्तिमान और समर्थ बनाने में सहायक हो सकता है। उनके इस उद्घोष ने ही उनके शासन और जीवन के कार्यों को दिशा दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आज जो भव्य काशी विश्वनाथ मंदिर दिखता है, वह उसी मंदिर का स्वरूप है जिसे अहिल्याबाई होल्कर ने 1777 से 1780 के बीच अपने निजी संसाधनों से बनवाया था। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण हुआ, तो स्वयं प्रधानमंत्री जी ने 13 दिसंबर 2021 को इसे अहिल्याबाई होल्कर के कार्य का ही विस्तारित रूप बताया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई केवल काशी तक सीमित नहीं रहीं। उन्होंने केदारनाथ धाम, रामेश्वरम, सोमनाथ, हरिद्वार, महिष्मति और देश के अनेक तीर्थस्थलों के जीर्णाेद्धार का कार्य किया। उन्होंने नदियों के घाटों, कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया ताकि श्रद्धालुओं को सुविधा मिले और शुद्ध पेयजल की उपलब्धता बनी रहे।

श्री योगी आदित्यनाथ ने लोकमाता अहिल्याबाई को भारतीय नारीशक्ति की प्रतीक बताते हुए कहा कि उन्होंने न केवल राजनैतिक प्रशासन को धर्म-संगत और प्रजा-हितकारी बनाया, बल्कि सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किए। उनकी प्रशासनिक दूरदृष्टि और साधु-संतों के प्रति श्रद्धा के साथ सेवा-भाव आज भी प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने बताया कि किस तरह लोकमाता अहिल्याबाई ने अपनी प्रशासनिक क्षमता और दूरदर्शिता से माहिष्मति में साड़ी उद्योग को बढ़ावा देकर महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने का कार्य किया। साथ ही उन्होंने विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित और बाल विवाह पर रोक लगा कर नारी सशक्तिकरण की दिशा में अनुकरणीय कार्य किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें महारानी अहिल्याबाई के जीवन से प्रेरणा लेकर भारत के प्राचीन गौरव और सनातन संस्कृति के उत्कर्ष में संपूर्ण मनोयोग से समर्पित होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से एक सांस्कृतिक चेतना का सूत्रपात किया, उसी भावधारा की आधारशिला सैकड़ों वर्ष पहले लोकमाता अहिल्याबाई ने रखी थी। उन्होंने आदि शंकराचार्य की परंपरा को भी स्मरण करते हुए कहा कि भारत की सांस्कृतिक एकता चारों कोनों में स्थापित पीठों के माध्यम से आज भी कायम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है कि जब हम उनके योगदान को स्मरण कर रहे हैं, उसी समय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काशी, अयोध्या, उज्जैन और अब मां विंध्यवासिनी धाम में भी भव्य परियोजनाएं आकार ले रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज में हाल ही में आयोजित महाकुंभ 2025, भारत की सांस्कृतिक चेतना और व्यवस्थागत क्षमता का अद्भुत उदाहरण रहा। यही वह श्रृंखला है जो लोकमाता अहिल्याबाई के कार्यों से प्रारंभ हुई और आज की पीढ़ी तक प्रेरणा बन कर पहुँच रही है। इस अवसर पर देश के कोने-कोने ही नहीं बल्कि लगभग 100 से अधिक देश से आये सनातन संस्कृति को मानने वाले श्रद्धालुओं ने न केवल पवित्र संगम में डुबकी लगाई बल्कि प्रयागराज से काशी विश्वनाथ, अयोध्या, चित्रकूट और नैमिषारण्य के पवित्र मंदिरों के भी दर्शन किये। इन सभी धार्मिक स्थलों का जीर्णाेद्धार सनातन संस्कृति के गौरव को पुनर्स्थापित कर रहे है।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार देश में नारी शक्ति के सम्मान और उनके स्वालंबन की कई योजनाओं का संचालन कर रही है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में चल रही लखपति दीदी योजना हो जिसने एक करोड़ से अधिक माताओं-बहनों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है। कन्या सुमंगला योजना हो या मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, उज्जवाल योजना हो या मातृवंदन योजना ये सभी योजनाएं देश की आधी आबादी को पंचायत से लेकर संसद तक घर की दहलीज से लेकर सरहद तक अपनी योग्यता का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान कर रही हैं। अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की स्मृति को नमन करना केवल एक ऐतिहासिक दायित्व नहीं है, बल्कि सनातन धर्म, भारतीयता और राष्ट्र के पुनर्निर्माण की उस चेतना को पुनः जागृत करने का अवसर है, जिससे भारत विश्वगुरु बने।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि आज की यह कार्यशाला महिला सशक्तीकरण की अनुपम उदाहरण, निर्भीक महिला, धार्मिक-सामाजिक प्रतिबद्धता की दूरदर्शी सोच को उजागर करने वाली एक महारानी के बारे में अपने समाज को जागरुक करने के लिये आयोजित है। अहिल्याबाई होलकर एक गांव को समृद्ध नगर में बदलने वाली मालवा की महारानी का नाम है। जिन्होंने जीवन पर्यन्त अपनी प्रजा और अपने परिवार और समाज के अस्तित्व के लिये निरंतर संघर्ष किया। महिला सशक्तीकरण की जो बातें आज 21वीं शताब्दी में हम कर रहे हैं उसकी अलख अहिल्या बाई होल्कर ने 17वी शताब्दी में जलाई था।

श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने कठिन स्थितियों में भी प्रजा की आवश्यकताओं के लिये सोच-समझकर निर्णय लिया। लाभ-हानि के तर्क से हमेशा दूर रही जिसके कारण उनकी प्रजा उनको देवी और लोकमाता कहकर पुकारने लगी। आर्थिक प्रबंधन की कुशलता से ट्रस्ट बनाया जिसमें करोडो़ रुपये एकत्र करके जमा कराया। इसी धन से उन्होंने पूरे भारत में कन्याकुमारी से हिमालय तक द्वारिका से पुरी तक मंदिर, घाट, तालाब, धर्मशालायें, बावडिया, कुये, भोजनालय आदि बनबाये। केदारनाथ, वाराणसी, वृन्दावन, मथुरा, गंगोत्री, सहित 57 नगरों में लोकमाता अहिल्याबाई ने धार्मिक व सामाजिक निर्माण और पुनर्निमाण कराया। काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। काशी में मणिकर्णिका घाट का निर्माण कराया।

यूपी बनेगा नैनोमीटर चिप डिजाइन का केंद्र

नोएडा और बेंगलुरु में भारत के पहले 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन केंद्र का उद्घाटन किया

  • 3-नैनोमीटर चिप डिजाइन भारत के सेमीकंडक्टर नवाचार में एक नई उपलब्धि है: केंद्रीय मंत्री वैष्णव

नई दिल्ली : केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेलवे तथा सूचना और प्रसारण मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज उत्तर प्रदेश के नोएडा और कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के दो नए अत्याधुनिक डिजाइन केंद्रों का उद्घाटन किया। श्री वैष्णव ने नए केंद्रों की विशेषता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह भारत का पहला डिजाइन केंद्र है जो अत्याधुनिक 3 नैनोमीटर चिप डिजाइन पर काम कर रहा है। श्री वैष्णव ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो भारत को सेमीकंडक्टर नवाचार की वैश्विक श्रेणी में मजबूती से स्थापित करता है। उन्होंने कहा, “3 नैनोमीटर चिप पर डिजाइनिंग वास्तव में अगली पीढ़ी का कार्य है। हमने पहले 7 नैनोमीटर और 5 नैनोमीटर पर काम किया है, लेकिन यह एक नई सीमा को प्रदर्शित करता है।”

केंद्रीय मंत्री महोदय ने डिजाइन, निर्माण, एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग), उपकरण, रसायन और गैस आपूर्ति श्रृंखलाओं को शामिल करते हुए भारत की समग्र सेमीकंडक्टर रणनीति के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने दावोस जैसे वैश्विक मंचों पर उद्योग जगत के आत्मविश्वास की चर्चा की और एप्लाइड मैटेरियल्स और लैम रिसर्च जैसी कंपनियों द्वारा पहले से किए जा रहे महत्वपूर्ण निवेशों का उल्लेख किया। मंत्री महोदय ने भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम में बढ़ती तेज़ी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में इस प्रमुख सेमीकंडक्टर डिजाइन केंद्र का उद्घाटन एक अखिल भारतीय इकोसिस्टम विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश भर में उपलब्ध समृद्ध प्रतिभाओं का उपयोग करता है।

भारत सरकार सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को और मजबूत करने के लिए भारत में सेमीकंडक्टर डिज़ाइन केंद्रों के विकास को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने इंजीनियरिंग विद्यार्थियों के बीच व्यावहारिक हार्डवेयर कौशल को बढ़ाने के उद्देश्य से एक नई सेमीकंडक्टर लर्निंग किट जारी करने की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि 270 से अधिक शैक्षणिक संस्थान जिन्हें पहले से ही भारत सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत उन्नत ईडीए (इलेक्ट्रॉनिक, डिज़ाइन, ऑटोमेशन) सॉफ़्टवेयर टूल मिल चुके हैं, उन्हें भी ये व्यावहारिक हार्डवेयर किट प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा, “सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर लर्निंग का यह एकीकरण वास्तव में उद्योग के लिए तैयार इंजीनियर बनाने का काम करेगा। हम न केवल बुनियादी ढाँचा बना रहे हैं बल्कि दीर्घकालिक प्रतिभा विकास में निवेश कर रहे हैं।” श्री वैष्णव ने सी-डैक और आईएसएम टीम की उनके कुशल निष्पादन के लिए प्रशंसा की और भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर नेता बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

श्री वैष्णव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी व्यापक आत्मनिर्भर भारत परिकल्पना के अंतर्गत सेमीकंडक्टर को एक रणनीतिक फोकस क्षेत्र के रूप में शामिल किया है। उन्होंने कहा, “केवल तीन वर्षों के भीतर, भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग एक नवजात अवस्था से एक उभरते वैश्विक केंद्र में बदल गया है, और अब दीर्घकालिक, सतत विकास के लिए तैयार है।” उन्होंने यह भी कहा, “स्मार्ट फोन, लैपटॉप, सर्वर, चिकित्सा उपकरण, रक्षा उपकरण, ऑटोमोबाइल और कई अन्य क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण के साथ, सेमीकंडक्टर की मांग तेजी से बढ़ने वाली है। इसलिए, सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास की यह गति समय के साथ अग्रसर है।”

अवसर पर रेनेसा इलेक्ट्रॉनिक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक, श्री हिदेतोशी शिबाता ने कहा कि भारत हमारी कंपनी के लिए एक रणनीतिक आधारशिला है, जिसमें अंतः स्थापित प्रणालियाँ, सॉफ्टवेयर और सिस्टम नवाचार में योगदान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिभा शक्ति और भारत-जापान साझा रणनीतिक हित वैश्विक सेमीकंडक्टर जीवनचक्र को नया स्वरूप देने में सहायता करेंगे।

रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स के बारे में

रेनेसास एक एम्बेडेड सेमीकंडक्टर समाधान प्रदाता है जो अपने उद्देश्य ‘हमारे जीवन को आसान बनाना’ से प्रेरित है। बेजोड़ गुणवत्ता और सिस्टम-स्तरीय जानकारी के साथ एम्बेडेड प्रोसेसिंग में उद्योग के अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में, हम उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग, एम्बेडेड प्रोसेसिंग, एनालॉग और कनेक्टिविटी तथा पावर सहित व्यापक उत्पाद पोर्टफोलियो के आधार पर ऑटोमोटिव, औद्योगिक, बुनियादी ढांचे और इंटर्नेट ऑफ थिंग्स उद्योगों के लिए स्केलेबल और व्यापक सेमीकंडक्टर समाधान प्रदान करने के लिए विकसित हुए हैं। रेनेसास, एक विशिष्ट उत्पाद डिजाइनर, नोएडा, बेंगलुरु और हैदराबाद में सुविधाओं के साथ एक डिजाइन केंद्र स्थापित कर रहा है।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग करेगा नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट का विस्तार  

नई दिल्ली : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट द्वारा ब्लैकस्टोन समूह और/या सत्व समूह से संबंधित कुछ संस्थाओं के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है।प्रस्तावित संयोजन में नॉलेज रियल्टी ट्रस्ट द्वारा अपने प्रबंधक, नॉलेज रियल्टी ऑफिस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले ट्रिनिटी ऑफिस मैनेजमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) (अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी) के माध्यम से कुछ संस्थाओं का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष अधिग्रहण शामिल है, जिनमें से कुछ ब्लैकस्टोन समूह से संबंधित हैं, कुछ सत्व समूह से संबंधित हैं और शेष ब्लैकस्टोन और सत्व समूह (लक्ष्य संस्थाएं) द्वारा संयुक्त रूप से नियंत्रित हैं। ऐसे अधिग्रहण के बदले में, लक्ष्य संस्थाओं के मौजूदा शेयरधारकों को अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी की इकाइयाँ जारी की जाएंगी। अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी को भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के प्रावधानों के तहत एक अंशदायी, निर्धारक और अपरिवर्तनीय ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है, जो 10 अक्टूबर 2024 के ट्रस्ट डीड के अनुसार, सेबी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) विनियम, 2014 के अनुसार, किराए या आय पैदा करने वाली रियल एस्टेट परिसंपत्तियों और संबंधित आय पैदा करने वाली परिसंपत्तियों के पोर्टफोलियो के स्वामित्व और/या संचालन के व्यवसाय में संलग्न है। अधिग्रहणकर्ता आरईआईटी को 18 अक्टूबर 2024 को आरईआईटी विनियमों के तहत एक रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट के रूप में सेबी के साथ पंजीकृत किया गया था।लक्ष्य संस्थाएं भारत में वाणिज्यिक रियल एस्टेट और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में कार्यरत हैं।

आतंकवाद का रास्ता छोड़ना ही पाकिस्तान के लिए एकमात्र विकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संदेश

आतंक के खिलाफ भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को पहली बार संबोधित किया| उन्होने अपने सम्बोधन मेन पाकिस्तान को साफ चेतावनी दी कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाही स्थगित कि है| भारत की नजरें पाकिस्तान की हर गतिविधि पर है| पीएम ने कहा कि देश न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग को बर्दाश्त नहीं करेगा| देश के नागरिकों कि हर खतरे से रक्षा की जाएगी|

भारत के पाकिस्तान के सैन्य और आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की बात कही| पीएम ने कहा कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता है| पाकिस्तान को आतंकवाद का रास्ता छोडना ही होगा| यही एकमात्र विकल्प है| उन्होने कहा कि बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम दोनों देखा है। वीर सैनिकों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए असीम शौर्य का प्रदर्शन किया। पीएम ने कहा कि “मैं उनकी वीरता को, उनके साहस को, उनके पराक्रम को, आज समर्पित करता हूं- हमारे देश की हर माता को, देश की हर बहन को, और देश की हर बेटी को, ये पराक्रम समर्पित करता हूं।“  

पीएम ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने जो बर्बरता दिखाई थी, उसने देश और दुनिया को झकझोर दिया था। छुट्टियां मना रहे निर्दोष-मासूम नागरिकों को धर्म पूछकर, उनके परिवार के सामने, उनके बच्चों के सामने, बेरहमी से मार डालना, ये आतंक का बहुत विभत्स चेहरा था, क्रूरता थी। ये देश के सद्भाव को तोड़ने की घिनौनी कोशिश भी थी। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से ये पीड़ा बहुत बड़ी थी। इस आतंकी हमले के बाद सारा राष्ट्र, हर नागरिक, हर समाज, हर वर्ग, हर राजनीतिक दल, एक स्वर में, आतंक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए उठ खड़ा हुआ। हमने आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत की सेनाओं को पूरी छूट दे दी। और आज हर आतंकी, आतंक का हर संगठन जान चुका है कि हमारी बहनों-बेटियों के माथे से सिंदूर हटाने का अंजाम क्या होता है।

 ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ये सिर्फ नाम नहीं है, ये देश के कोटि-कोटि लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है। 6 मई की देर रात, 7 मई की सुबह, पूरी दुनिया ने इस प्रतिज्ञा को परिणाम में बदलते देखा है। भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में आतंक के ठिकानों पर, उनके ट्रेनिंग सेंटर्स पर सटीक प्रहार किया। आतंकियों ने सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत इतना बड़ा फैसला ले सकता है। लेकिन जब देश एकजुट होता है, Nation First की भावना से भरा होता है, राष्ट्र सर्वोपरि होता है, तो फौलादी फैसले लिए जाते हैं, परिणाम लाकर दिखाए जाते हैं।

जब पाकिस्तान में आतंक के अड्डों पर भारत की मिसाइलों ने हमला बोला, भारत के ड्रोन्स ने हमला बोला, तो आतंकी संगठनों की इमारतें ही नहीं, बल्कि उनका हौसला भी थर्रा गया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे आतंकी ठिकाने, एक प्रकार से ग्लोबल टैररिज्म की यूनिवर्सटीज रही हैं। दुनिया में कहीं पर भी जो बड़े आतंकी हमले हुए हैं, चाहे नाइन इलेवन हो, चाहे लंदन ट्यूब बॉम्बिंग्स हो, या फिर भारत में दशकों में जो बड़े-बड़े आतंकी हमले हुए हैं, उनके तार कहीं ना कहीं आतंक के इन्हीं ठिकानों से जुड़ते रहे हैं। आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा था, इसलिए भारत ने आतंक के ये हेडक्वार्ट्स उजाड़ दिए। भारत के इन हमलों में 100 से अधिक खूंखार आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। आतंक के बहुत सारे आका, बीते ढाई-तीन दशकों से खुलेआम पाकिस्तान में घूम रहे थे, जो भारत के खिलाफ साजिशें करते थे, उन्हें भारत ने एक झटके में खत्म कर दिया।

पीएम ने कहा कि भारत की इस कार्रवाई से पाकिस्तान घोर निराशा में घिर गया था, हताशा में घिर गया था, बौखला गया था, और इसी बौखलाहट में उसने एक और दुस्साहस किया। आतंक पर भारत की कार्रवाई का साथ देने के बजाय पाकिस्तान ने भारत पर ही हमला करना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने हमारे स्कूलों-कॉलेजों को, गुरुद्वारों को, मंदिरों को, सामान्य नागरिकों के घरों को निशाना बनाया, पाकिस्तान ने हमारे सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन इसमें भी पाकिस्तान खुद बेनकाब हो गया।

दुनिया ने देखा कि कैसे पाकिस्तान के ड्रोन्स और पाकिस्तान की मिसाइलें, भारत के सामने तिनके की तरह बिखर गईं। भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम ने, उन्हें आसमान में ही नष्ट कर दिया। पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर वार की थी, लेकिन भारत ने पाकिस्तान के सीने पर वार कर दिया। भारत के ड्रोन्स, भारत की मिसाइलों ने सटीकता के साथ हमला किया। पाकिस्तानी वायुसेना के उन एयरबेस को नुकसान पहुंचाया, जिस पर पाकिस्तान को बहुत घमंड था। भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया, जिसका उसे अंदाजा भी नहीं था।

इसलिए, भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद, पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा। पाकिस्तान, दुनिया भर में तनाव कम करने की गुहार लगा रहा था। और बुरी तरह पिटने के बाद इसी मजबूरी में 10 मई की दोपहर को पाकिस्तानी सेना ने हमारे DGMO को संपर्क किया। तब तक हम आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे, आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया था, पाकिस्तान के सीने में बसाए गए आतंक के अड्डों को हमने खंडहर बना दिया था, इसलिए, जब पाकिस्तान की तरफ से गुहार लगाई गई, पाकिस्तान की तरफ से जब ये कहा गया, कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधि और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जाएगा। तो भारत ने भी उस पर विचार किया। और मैं फिर दोहरा रहा हूं, हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को अभी सिर्फ स्थगित किया है। आने वाले दिनों में, हम पाकिस्तान के हर कदम को इस कसौटी पर मापेंगे, कि वो क्या रवैया अपनाता है।

भारत की तीनों सेनाएं, हमारी एयरफोर्स, हमारी आर्मी, और हमारी नेवी, हमारी बॉर्डर सेक्योरिटी फोर्स- BSF, भारत के अर्धसैनिक बल, लगातार अलर्ट पर हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद, अब ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ भारत की नीति है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नई लकीर खींच दी है, एक नया पैमाना, न्यू नॉर्मल तय कर दिया है। 

पहला- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्यवाही करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं। दूसरा- कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। न्यूक्लियर ब्लैकमेल की आड़ में पनप रहे आतंकी ठिकानों पर भारत सटीक और निर्णायक प्रहार करेगा। 

तीसरा- हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, दुनिया ने, पाकिस्तान का वो घिनौना सच फिर देखा है, जब मारे गए आतंकियों को विदाई देने, पाकिस्तानी सेना के बड़े-बड़े अफसर उमड़ पड़े। स्टेट स्पॉन्सरड टेरेरिज्म का ये बहुत बड़ा सबूत है। हम भारत और अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए लगातार निर्णायक कदम उठाते रहेंगे।

युद्ध के मैदान पर हमने हर बार पाकिस्तान को धूल चटाई है। और इस बार ऑपरेशन सिंदूर ने नया आयाम जोड़ा है। हमने रेगिस्तानों और पहाड़ों में अपनी क्षमता का शानदार प्रदर्शन किया, और साथ ही, न्यू एज वॉरफेयर में भी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की। इस ऑपरेशन के दौरान, हमारे मेड इन इंडिया हथियारों की प्रमाणिकता सिद्ध हुई। आज दुनिया देख रही है, 21वीं सदी के वॉरफेयर में मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट्स, इसका समय आ चुका है।

हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ हम सभी का एकजुट रहना, हमारी एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। निश्चित तौर पर ये युग युद्ध का नहीं है, लेकिन ये युग आतंकवाद का भी नहीं है। टैररिज्म के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, ये एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।

पाकिस्तानी फौज, पाकिस्तान की सरकार, जिस तरह आतंकवाद को खाद-पानी दे रहे है, वो एक दिन पाकिस्तान को ही समाप्त कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो उसे अपने टैरर इंफ्रास्ट्रक्चर का सफाया करना ही होगा। इसके अलावा शांति का कोई रास्ता नहीं है। भारत का मत एकदम स्पष्ट है, टैरर और टॉक, एक साथ नहीं हो सकते, टैरर और ट्रेड, एक साथ नहीं चल सकते। और, पानी और खून भी एक साथ नहीं बह सकता। उन्होने कहा कि “ मैं आज विश्व समुदाय को भी कहूंगा, हमारी घोषित नीति रही है, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो टेरेरिज्म पर ही होगी, अगर पाकिस्तान से बात होगी, तो पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर, PoK उस पर ही होगी।“  

कला, संगीत, अध्यात्म, दर्शन के संसाधनों का संग्रह होगा भारत बोध केंद्र

नई दिल्ली : इंडिया हैबिटेट सेंटर (आईएचसी) ने आज अपने हैबिटेट लाइब्रेरी और रिसोर्स सेंटर में एक नए अतिरिक्त भाग का उद्घाटन किया – भारत बोध केंद्र, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत के बारे में जागरूकता और प्रशंसा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समर्पित एक खंड है। भारत बोध केंद्र में भारतीय कला, संगीत, आध्यात्मिकता, इतिहास, दर्शन और अन्य संबंधित क्षेत्रों पर पुस्तकों और संसाधनों का एक संग्रह उपलब्ध होगा। आईएचसी सदस्यों के लिए सुलभ, इस पहल की कल्पना भारत की कालातीत परंपराओं और विकसित हो रहे सांस्कृतिक प्रवचन के बारे में अन्वेषण और सीखने के लिए एक शांत स्थान के रूप में की गई है।

केंद्र का उद्घाटन केंद्रीय ऊर्जा और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज शाम आईएचसी में आयोजित एक समारोह में किया। कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने आईएचसी में संचालित गतिविधियों, विशेष रूप से इसकी हरित पहलों की सराहना की और सतत जीवन के बारे में जागरूकता बढ़ाने में इसकी भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने केंद्र को इस तरह की और पहल करने के लिए प्रोत्साहित किया और सुझाव दिया कि वह संस्थानों को गोद ले ताकि वे पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं को लागू करने में उनकी मदद कर सकें। उद्घाटन के बाद, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव और आईएचसी के अध्यक्ष श्री कटिकिथला श्रीनिवास और आईएचसी के निदेशक प्रो. के. जी. सुरेश ने माननीय मंत्री को 9 एकड़ में फैले आईएचसी परिसर का भ्रमण कराया, जिसमें इसकी विशिष्ट वास्तुकला डिजाइन, पर्यावरण के अनुकूल विशेषताएं और सांस्कृतिक और बौद्धिक जुड़ाव के लिए एक जीवंत केंद्र के रूप में इसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर हुडको के सीएमडी श्री संजय कुलश्रेष्ठ, एनएचबी के एमडी श्री संजय शुक्ला और मंत्रालय तथा आईएचसी के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

जम्मू-कश्मीर से गुजरात तक तकनीकी-वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी

श्रीनगर और लेह में महत्वपूर्ण आईएमडी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी

 नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़ और राजस्थान तथा गुजरात के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में स्थित तकनीकी और वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। इसके अलावा, श्रीनगर और लेह में महत्वपूर्ण आईएमडी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, डॉ जितेंद्र सिंह ने मौजूदा सुरक्षा स्थिति के मद्देनजर देश भर में तकनीकी और वैज्ञानिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों और वैज्ञानिक और तकनीकी विभागों के प्रमुखों के साथ आज एक उच्च स्तरीय संयुक्त बैठक बुलाई।

बैठक में विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर, पंजाब, लद्दाख और भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में अनुसंधान और वैज्ञानिक सुविधाओं की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा पर धयान केंद्रित किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विशेष रूप से सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम)-जम्मू, सीएसआईआर-केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ)-चंडीगढ़, डीबीटी-बायोटेक रिसर्च इनोवेशन काउंसिल (ब्रिक)-राष्ट्रीय कृषि-खाद्य और जैव विनिर्माण संस्थान (एनएबीआई)-मोहाली, श्रीनगर और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की इकाईओं तथा लद्दाख और आसपास के क्षेत्रों में पृथ्वी विज्ञान अनुसंधान केद्रों की तैयारिओं और सुरक्षा तंत्र की समीक्षा की।

इन संस्थानों के रणनीतिक महत्व को देखते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि मौसम पूर्वानुमान, आपदा तैयारी और महत्वपूर्ण अनुसंधान के क्षेत्र में विशेष रूप से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत वैज्ञानिक सुविधाएं राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे के प्रमुख स्तंभ है।

सभी वैज्ञानिक संस्थानों को मौजूदा स्थिति के मद्देनजर अपने सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा करने और उन्हें बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। निर्बाध समन्वय और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संस्थानों को संबंधित जिला प्रशासन को तुरंत सूचित करना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, प्रत्येक संस्थान को आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार और प्रसारित करने की आवश्यकता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा की कर्मचारी और स्थानीय अधिकारी दोनों अच्छी तरह से तैयार हैं। अपने गृह राज्यों में वापस लौट चुके छात्रों और शोधकर्ताओं को नुकसान से बचाने के लिए, सभी आगामी परीक्षाएँ और शोध प्रस्ताव कॉल को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईएमडी के महानिदेशक को श्रीनगर, लेह और अन्य प्रमुख स्थानों पर अपने महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और डेटा केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था को तुरंत मजबूत करने का भी निर्देश दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बाहरी सुरक्षा के अलावा आंतरिक तत्परता और नागरिक समन्वय पर भी ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिय। केंद्रीय मंत्री ने संस्थानों के लिए आंतरिक सुरक्षा प्रोटोकॉल तथा क्या करें और क्या न करें की भी समीक्षा की।

समीक्षा बैठक में स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों के निदेशकों द्वारा प्रस्तुत सुझाव और स्थितिजन्य रिपोर्ट प्रस्तुत की गईं। रिपोर्ट्स में मनोबल बढ़ाने वाले उपाय और जिला प्रशासन के साथ समन्वय का महत्व को रेखांकित किया गया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक निकायों और स्थानीय अधिकारियों के बीच निरंतर संपर्क की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, हमारे वैज्ञानिक संस्थान राष्ट्रीय लचीलेपन की रीढ़ हैं। ऐसे समय में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सुरक्षित और अच्छी तरह से समन्वित हों साथ ही हर संभावित घटना के लिए तैयार हों।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने तैयारी की आवश्यकता के अनुरूप कर्मचारियों, संकाय और छात्र स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए रक्तदान शिविर आयोजित करने का भी निर्देश दिया। केंद्रीय मंत्री ने परिसरों और अनुसंधान केंद्रों में आत्मरक्षा, आपातकालीन निकासी रणनीतियों और नियमित मॉक ड्रिल पर संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित करने को भी कहा।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. अभय करंदीकर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले, सीएसआईआर के महानिदेशक एवं डीएसआईआर के सचिव डॉ.एन.कलैसेल्वी,आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के संयुक्त सचिव सेंथिल पांडियन और स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों के निदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी हाइब्रिड मोड के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी वैज्ञानिक विभागों को विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी सुविधाओं की एक व्यापक सूची तैयार करने और उचित सुरक्षा के लिए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करने का निर्देश देकर बैठक का समापन किया।