Tuesday, December 16, 2025
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दिल्ली में एक नवंबर से घुलेगी फिज़ाओं में साफ हवा

नई दिल्ली : दिल्ली में नए निजाम आने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति की कवायद शुरू हो गई है| बीजेपी की रेखा गुप्ता सरकार ने ऑड ईवन के फार्मूले से हटकर नया तरीका निकाला है| राजधानी की हवा को साफ करने के लिए मुख्यमंत्री ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की रणनीति बनाई है| दिल्ली में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद अब पुरानी गाड़ियों की शहर में एंट्री पर पाबंदी लगाने की तैयारी शुरू हो गई है।

प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने ‘एयर पॉल्यूशन मिटिगेशन ए हटकर प्लान 2025’ शुरू किया है। सीएम रेखा गुप्ता के अनुसार आगामी एक नवंबर से केवल BS6 और सीएनजी के साथ ही इलेक्ट्रिक कॉमर्शियल गाड़ियां ही दिल्ली में आ सकेंगी। इस कोशिश का असर यह होगा कि पुरानी और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को दिल्ली से दूर रखा जा सकेगा और राष्ट्रीय राजधानी की हवा की गुणवत्ता बेहतर की जा सकेगी। सीएम रेखा गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार दिल्ली को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। पर्यावरण मंत्रालय ने इस सपने को पूरा करने के लिए यह योजना बनाई है।

भारत-मध्य एशिया मिलकर निपटेंगे वैश्विक चुनौतियों से

  • कज़ाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से भेंट की
  • प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दूसरे भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के लिए सभी मध्य एशियाई देशों के नेताओं को आमंत्रित किया

नई दिल्ली : कजाकिस्तान गणराज्य, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान गणराज्य, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्रियों ने आज नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से संयुक्त रूप से भेंट की। इन विदेश मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को नई दिल्ली में आयोजित चौथी भारत-मध्य एशिया वार्ता के दौरान हुई सकारात्मक और उपयोगी चर्चाओं के बारे में जानकारी प्रदान की।

प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि मध्य एशियाई देशों के साथ संबंध सदैव भारत के लिए एक मुख्य प्राथमिकता रहे हैं। श्री मोदी ने लोगों से लोगों के बीच संबंधों की मजबूत नींव पर निर्माण करते हुए अधिक आर्थिक अंतर्संपर्क, विस्तारित संपर्क, रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने और नए तथा उभरते क्षेत्रों में व्यापक सहयोग के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत-मध्य एशिया के मजबूत संबंध साझा क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में एक शक्ति गुणक के रूप में कार्य करती है।

मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने 22 अप्रैल 2025 को पागलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की और सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने भारत में आयोजित होने वाले दूसरे भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के लिए सभी मध्य एशियाई देशों के नेताओं को आमंत्रित किया।

उत्तराखंड :  दुनियाँ चखेगी मोटे अनाज ‘मंडुवा’ का स्वाद

  • मोटे अनाज व अन्य किस्मों की मार्केटिंग व ब्रांडिंग करनी होगी: केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान

देहरादून : कौलागढ़ में स्थित हिमालयन कल्चरल सेंटर में शुक्रवार को विकसित कृषि संकल्प अभियान के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। केन्द्रीय कृषि मंत्री, विकसित कृषि संकल्प अभियान के माध्यम से देश भर के किसानों के साथ संवाद कर रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को श्री चौहान ने उत्तराखंड के किसानों को देहरादून में संबोधित किया।

हिमालयन कल्चरल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश भर से आये किसानों को संबोधित करते हुए श्री चौहान ने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है और इसके प्रताप से इसकी ओर सब खींचे चले आते हैं। उन्होंने कहा कि कृषि व किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री की असली भूमिका जमीनी स्तर पर उतरकर खेतों में जाकर किसानों से सीधा संवाद करके कृषि की उन्नति के लिए कार्य करना है। श्री शिवराज ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों के लिए असली प्रयोगशाला खेत ही है, इसलिए हमने ‘लैब टू लैंड’ जोड़ने और 16 हजार वैज्ञानिकों की टीमों के साथ गांव-गांव जाकर ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ शुरू करने की परिकल्पना की।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिकों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के कृषि विभाग का अमला, प्रगतिशील किसान सबकों साथ लेकर इस महाभियान की शुरुआत की गई है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 2,170 वैज्ञानिकों की टीमें देशभर में हर क्षेत्र की विशेषता, जलवायु विभिन्नता, मिट्टी की उर्वरक क्षमता हर बारीक जानकारियों पर पूर्व अनुमान के साथ गांव में जाकर किसानों से संवाद कर रही हैं। उत्तराखंड में भी वैज्ञानिकों की 75 टीमें किसानों से सीधे संवाद कर रही हैं। शोध की जानकारी देकर और उसी के आधार पर आगे की कृषि दिशा तय की जा रही है। किसान से बड़ा वैज्ञानिक कोई और नहीं है। इसलिए इस अभियान के तहत दो तरफा संवाद किया जा रहा है। किसानों भाई-बहनों की व्यावाहारिक समस्याओं को सुनकर समझकर ही आगे के अनुसंधान, नीति, कार्यक्रम और योजना का मार्ग तय होगा।

श्री चौहान ने कहा कि उत्तराखंड के जिन भी किसानों से मैंने मुलाकात कि उन्होंने मुझे जानवरों से खेती को बचाने के लिए घेराबाड़ी/तारबाड़ (खेत की सीमाओं को घेरना) की मांग की। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत इसके लिए उत्तराखंड को प्राथमिकता दी जाएगी। यह खेती को सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ों में चमत्कार है। यहां की फल और सब्जियों की उपज दूसरे किसी भी क्षेत्र की तुलना में शानदार है। यहां के सेब अब कश्मीर को प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं, जो यहां कि बागवानी क्षेत्र की उन्नति को दर्शाता है। श्री चौहान ने उत्तराखंड के फल ‘काफल’ की भी बात की। उन्होंने कहा कि औषधीय गुणों के कारण ‘काफल’ की दुनिया में भी मांग बढ़ रही है। मोटे अनाज के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि यहाँ का मोटा अनाज भी अद्भुत है। यहां का पारंपरिक अनाज ‘मंडुवा’ भी अब सब जगह अपनी प्रसिद्धि स्थापित कर रहा है। ‘मंडुवा’ के साथ-साथ ऐसे ही अन्य उपयोगी पारंपरिक अनाजों के उत्पादन बढ़ाने के लिए हमें प्रयास करना होगा, उत्तम किस्म के बीज बनाने होंगे और साथ ही साथ मार्केटिंग और ब्रांडिग पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज और बाकि फसलों को संरक्षित करके इनके उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा। ऐसा करके हम अपने उत्पादों की विश्व स्तरीय पहुंच सुनिश्चित कर सकते हैं। कई स्थानों पर जैविक तरीके से इनका उत्पादन किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिहाज से और भी अधिक लाभदायक है। इसकी महत्ता को देखते हुए हमें इस ओर ठोस प्रयासों के साथ आगे बढ़ना होगा।

श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में और उत्तराखंड की सरकार के सहयोग से मिलकर उत्तराखंड की कृषि में उन्नति के लिए रोडमैप तैयार करेंगे। उत्तराखंड दुनिया में फलों का हब बने, इसके लिए गंभीरता से काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कीटनाशकों के संतुलित प्रयोग से कृषि की लागत कम की जा सकती है। वैज्ञानिक सलाह के साथ जितनी आवश्यकता हो उतना ही कीटनाशक इस्तेमाल होना चाहिए।

दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे चिनाब पुल का उद्घाटन:  कन्याकुमारी से जुड़ी कश्मीर घाटी

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और लोकार्पण किया
  • प्रधानमंत्री ने दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज-चिनाब पुल  और  भारत के पहले केबल-स्टेड रेल पुल अंजी ब्रिज का उद्घाटन किया
  • जम्मू और कश्मीर भारत का मुकुट रत्न है: प्रधानमंत्री
  • भारत आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगा, जम्मू और कश्मीर के युवाओं ने अब आतंकवाद को करारा जवाब देने का मन बना लिया है: प्रधानमंत्री

कटरा : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज जम्मू-कश्मीर के कटरा में 46,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास, उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित किया। वीर जोरावर सिंह की भूमि को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम भारत की एकता और दृढ़ संकल्प का भव्य उत्सव है। श्री मोदी ने कहा कि माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से कश्मीर घाटी अब भारत के विशाल रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमने हमेशा गहरी श्रद्धा के साथ ‘कश्मीर से कन्याकुमारी तक’ कहते हुए मां भारती का आह्वान किया है, आज यह हमारे रेल नेटवर्क में भी एक वास्तविकता बन गई है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लाइन परियोजना केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर की नई ताकत और भारत की बढ़ती क्षमताओं का प्रतीक है। क्षेत्र में रेल बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के अनुरूप, उन्होंने चिनाब और अंजी रेल पुलों का उद्घाटन किया और जम्मू-कश्मीर के भीतर कनेक्टिविटी को बढ़ाते हुए वंदे भारत ट्रेनों को झंडी दिखाई। इसके अतिरिक्त, श्री मोदी ने जम्मू में एक नए मेडिकल कॉलेज की आधारशिला भी रखी, जिससे क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को बल मिला। उन्होंने कहा कि 46,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं जम्मू-कश्मीर में विकास को गति देंगी, जिससे प्रगति और समृद्धि आएगी। प्रधानमंत्री ने विकास और परिवर्तन के इस नए युग के लिए लोगों को शुभकामनाएं और बधाई दीं।

श्री मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की पीढ़ियों ने रेलवे कनेक्टिविटी का सपना लंबे समय से देखा था, आज यह सपना सच हो गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के हाल ही में दिए गए वक्तव्य का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सातवीं या आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के रूप में भी श्री अब्दुल्ला इस परियोजना के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि लंबे समय से प्रतीक्षित इस आकांक्षा की पूर्ति जम्मू-कश्मीर के लाखों लोगों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो बेहतर कनेक्टिविटी और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।

उन्होंने कहा कि यह उनकी सरकार के लिए सौभाग्य की बात है कि इस महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजना ने उनके कार्यकाल के दौरान गति पकड़ी और अब सफलतापूर्वक पूरी हो गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस परियोजना में कई चुनौतियां थीं, जैसे कि कठिन भूभाग, खराब मौसम की स्थिति और पहाड़ों में गिरती चट्टानें, जिससे यह परियोजना बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण हो गई थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा चुनौतियों का सामना करने और दृढ़ संकल्प के साथ उन पर विजय पाने का विकल्प चुना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चल रही सभी मौसमों में कार्यशील रहने वाली कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं इस प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं। उन्होंने हाल ही में खोली गई सोनमर्ग सुरंग और चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज पर यात्रा करने के अपने अनुभव को उल्लेखनीय उपलब्धि बताया। श्री मोदी ने भारत के इंजीनियरों और श्रमिकों की इंजीनियरिंग प्रतिभा और अटूट समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज चिनाब ब्रिज भारत की महत्वाकांक्षा का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि जहां लोग एफिल टॉवर देखने के लिए पेरिस जाते हैं, वहीं चिनाब ब्रिज की ऊंचाई उससे भी अधिक है, जिससे यह न केवल एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा उपलब्धि बन गया है, बल्कि एक उभरता हुआ पर्यटक आकर्षण भी बन गया है। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने अंजी ब्रिज को इंजीनियरिंग का चमत्कार बताया, जो भारत का पहला केबल-समर्थित रेलवे ब्रिज है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये संरचनाएं केवल स्टील और कंक्रीट से बनी नहीं हैं, बल्कि भारत की शक्ति के जीवंत प्रतीक हैं, जो पीर पंजाल पहाड़ों के ऊबड़-खाबड़ ऊंचे स्थान पर खड़े हैं। श्री मोदी कहा कि ये उपलब्धियां एक विकसित राष्ट्र के लिए भारत के विजान का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो साबित करती हैं कि भारत की प्रगति का सपना जितना बड़ा है, उतना ही उसका लचीलापन, क्षमता और दृढ़ संकल्प भी है। इसके अतिरिक्त उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शुद्ध इरादे और अथक समर्पण भारत के रूपांतरण के पीछे की प्रेरक शक्तियां हैं।

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज दोनों ही जम्मू-कश्मीर में समृद्धि के उत्प्रेरक के रूप में काम करेंगे। उन्होंने कहा, “ये ऐतिहासिक परियोजनाएं न केवल पर्यटन को बढ़ावा देंगी बल्कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को भी लाभान्वित करेंगी, जिससे व्यवसायों और उद्योगों के लिए नए अवसर पैदा होंगे”। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जम्मू और कश्मीर के बीच बेहतर रेल संपर्क स्थानीय उद्यमियों के लिए अवसरों के नए द्वार  खोलेगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। श्री मोदी ने कहा कि कश्मीर के सेब अब कम लागत पर देशभर के प्रमुख बाजारों तक पहुंचेंगे, जिससे व्यापार में अधिक कुशलता आएगी। इसके अतिरिक्त, सूखे मेवे और कश्मीर के प्रसिद्ध पश्मीना शॉल और अन्य पारंपरिक हस्तशिल्प अब आसानी से देश के हर कोने में पहुंचाए जा सकेंगे, जिससे क्षेत्र के कारीगरों और उद्योग को मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बेहतर संपर्क जम्मू और कश्मीर के लोगों के लिए आवाजाही और अधिक सुविधाजनक बनाएगा, जिससे भारत के विभिन्न हिस्सों में आवागमन सुगम हो सकेगा।

श्री मोदी ने संगलदान के एक विद्यार्थी की मार्मिक टिप्पणी साझा की, जिसने कहा कि अब तक केवल उन लोगों ने ही वास्तविक जीवन में रेलगाड़ी देखी थी जिन्होंने गांव से बाहर कदम रखा था। अधिकांश ग्रामीणों ने केवल वीडियो में ही रेलगाड़ियां देखी थीं। उन्हें विश्वास नहीं था कि शीघ्र ही उनकी आंखों के सामने से एक वास्तविक रेलगाड़ी भी गुजरेगी। प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि कई लोगों ने अब रेलगाड़ियों की समय-सारिणी को भी याद करना शुरू कर दिया है और वे नई कनेक्टिविटी को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने एक युवती की एक विचारशील टिप्पणी पर प्रकाश डाला, जिसमें उसने कहा कि अब मौसम यह तय नहीं करेगा कि सड़कें खुली रहेंगी या बंद। यह नई रेल सेवा सभी मौसमों में लोगों की मदद करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “जम्मू और कश्मीर भारत माता का मुकुट है, जो उज्ज्वल रत्नों से सुसज्जित है – प्रत्येक रत्न इस क्षेत्र की असीम शक्ति और सौंदर्य का प्रतिनिधित्व करता है”। उन्होंने इसकी प्राचीन संस्कृति, परंपराओं, आध्यात्मिक चेतना, मनमोहक परिदृश्यों, औषधीय जड़ी-बूटियों, फलते-फूलते बागों और जीवंत युवा प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये गुण भारत के मुकुट में बहुमूल्य रत्नों की तरह चमकते हैं। दशकों से जम्मू-कश्मीर का दौरा कर रहे प्रधानमंत्री ने क्षेत्र की क्षमता के बारे में अपनी गहरी समझ की पुष्टि की और जम्मू-कश्मीर के निरंतर विकास और उत्थान के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिससे वहां के लोगों की समृद्धि सुनिश्चित हो सके।

प्रधानमंत्री ने कहा, “जम्मू और कश्मीर लंबे समय से भारत की शिक्षा और सांस्कृतिक विरासत का एक स्तंभ रहा है।” उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत खुद को वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है, इस रूपांतरण में जम्मू और कश्मीर की सहभागिता बढ़ रही है। श्री मोदी ने जम्मू और श्रीनगर में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ-साथ आईआईटी, आईआईएम, एम्स और एनआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों की उपस्थिति की ओर इंगित किया, जो इस क्षेत्र में अकादमिक उत्कृष्टता को सुदृढ़ बना रहे हैं। उन्होंने अनुसंधान इको-सिस्टम के विस्तार, नवोन्मेषण और सीखने के अवसरों को और बढ़ाने का भी उल्लेख किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य सेवा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और हाल के वर्षों में दो राज्य स्तरीय कैंसर संस्थान स्थापित किए गए हैं। पिछले पांच वर्षों में, सात नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं, जिससे रोगियों और आकांक्षी मेडिकल छात्रों दोनों को ही काफ़ी लाभ हुआ है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जम्मू और कश्मीर में एमबीबीएस की सीटें 500 से बढ़कर 1,300 हो गई हैं, जिससे चिकित्सा शिक्षा की सुविधा बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त, रियासी जिले में एक नया मेडिकल कॉलेज बनने वाला है, जिससे इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ेंगी। प्रधानमंत्री ने श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल एक्सीलेंस की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह न केवल एक आधुनिक अस्पताल है, बल्कि यह भारत की कल्याण की समृद्ध परंपरा का प्रतीक भी है। उन्होंने पूरे भारत के भक्तों के योगदान की भी सराहना की, जिनके दान से इस संस्थान की स्थापना में मदद मिली। अपनी शुभकामनाएं देते हुए, श्री मोदी ने इस नेक काम में समर्पित प्रयासों के लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को बधाई दी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अस्पताल की क्षमता 300 से बढ़ाकर 500 बिस्तर की जाएगी, जिससे चिकित्सा सेवाओं में और सुधार होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विकास से कटरा में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को अधिक सुविधा मिलेगी।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि उनकी सरकार ने अब अपने कार्यकाल के 11 वर्ष पूरे कर लिए हैं, प्रधानमंत्री ने इस अवधि को गरीबों के उत्थान और नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित किया तथा कई प्रमुख कल्याणकारी पहलों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना का उल्लेख किया, जिसने 4 करोड़ निर्धन परिवारों को पक्के घर देकर उनके सपने को पूरा किया है। उज्ज्वला योजना ने 10 करोड़ घरों से धुएं को खत्म करने में मदद की है और महिलाओं तथा बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा की है। आयुष्मान भारत ने 50 करोड़ वंचित नागरिकों को 5 लाख रुपये तक की निशुल्क  स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में सक्षम बनाया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की, हर थाली को पर्याप्त पोषण से भर दिया, जबकि जन धन योजना ने 50 करोड़ से अधिक निर्धन व्यक्तियों के लिए बैंकिंग सुविधा प्रदान की, जिससे वे वित्तीय प्रणाली में शामिल हो गए। प्रधानमंत्री ने सौभाग्य योजना का भी उल्लेख किया, जिसने अंधेरे में रहने वाले 2.5 करोड़ परिवारों को बिजली पहुंचाई। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 12 करोड़ शौचालय बनाए गए, जिससे खुले में शौच की चुनौती खत्म हुई। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन ने 12 करोड़ घरों को नल का जल उपलब्ध कराया, जिससे महिलाओं पर बोझ कम हुआ, जबकि पीएम किसान सम्मान निधि ने 10 करोड़ छोटे किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की, जिससे ग्रामीण भारत मजबूत हुआ।

श्री मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में 25 करोड़ से अधिक लोगों ने गरीबी को सफलतापूर्वक दूर किया है और वे नव-मध्यम वर्ग में परिवर्तित हो गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार गरीबों और उभरते मध्यम वर्ग दोनों को मजबूत करने, प्रमुख सुधारों के माध्यम से आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने वन रैंक, वन पेंशन, 12 लाख रुपये तक के वेतन पर कर छूट, घर खरीदारों के लिए वित्तीय सहायता और सस्ती हवाई यात्रा के लिए सहायता जैसी पहलों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है और सभी के लिए प्रगति ला रही है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद पहली बार उनकी सरकार ने ईमानदार, कर चुकाने वाले मध्यम वर्ग के लिए काम किया है।

श्री मोदी ने रेखांकित किया कि उनकी सरकार लगातार युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही है, पर्यटन आर्थिक विकास और कनेक्टिविटी के एक महत्वपूर्ण वाहक के रूप में उभर रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पर्यटन न केवल रोजगार पैदा करता है बल्कि लोगों के बीच एकता को भी बढ़ावा देता है। इस प्रगति को बाधित करने के पाकिस्तान के बार-बार के प्रयासों की निंदा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मानवता, सामाजिक सद्भाव और आर्थिक समृद्धि के विरुद्ध है। पहलगाम में 22 अप्रैल की घटना का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीरियत और मानवता दोनों पर हमला किया, जिसका उद्देश्य भारत में हिंसा भड़काना और मेहनतकश कश्मीरियों की आजीविका को प्रभावित करना था। उन्होंने बताया कि पर्यटकों पर यह जानबूझकर किया गया हमला जम्मू और कश्मीर में फलते-फूलते पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंचाने के लिए था, जहां पिछले कुछ वर्षों में पर्यटकों की रिकॉर्ड संख्या दर्ज की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के दुर्भावनापूर्ण इरादे ने स्थानीय श्रमिकों, जिनमें घुड़सवारी कराने वाले, कुली, गाइड, गेस्ट हाउस के मालिक और दुकानदार शामिल हैं, को सीधे प्रभावित किया। उनका उद्देश्य उनकी आजीविका को नष्ट करना था। उन्होंने युवा आदिल के साहस की प्रशंसा की, जो आतंकवादियों के खिलाफ खड़ा रहा और ईमानदारी से काम करके अपने परिवार का भरण-पोषण करने के प्रयास में दुखद रूप से अपनी जान गंवा दी। श्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई तथा यह सुनिश्चित किया कि आतंकवाद कभी भी क्षेत्र की प्रगति को रोकने में सफल नहीं होगा।

जम्मू-कश्मीर के लोगों की गतिशीलता की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की साजिश के खिलाफ उनका दृढ़ रुख एक शक्तिशाली संदेश देता है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवा अब आतंकवाद का डटकर मुकाबला करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। श्री मोदी ने आतंकवाद के विनाशकारी प्रभाव की निंदा की और याद दिलाया कि कैसे इसने स्कूलों को जला दिया, अस्पतालों को तबाह कर दिया और घाटी में पीढ़ियों को नष्ट किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को भी एक बड़ी चुनौती बना दिया है, जिससे लोगों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों द्वारा प्रदर्शित की गई ताकत और दृढ़ संकल्प एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो शांति, प्रगति और उज्जवल भविष्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का संकेत देता है।

श्री मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने वर्षों तक आतंकवाद को झेला, जिसके कारण कई लोगों को अपने सपनों को त्यागने और हिंसा को अपनी नियति मान लेने को विवश होना पड़ा। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी सरकार ने अब इस स्थिति को बदल दिया है, जिससे जम्मू-कश्मीर के युवा फिर से सपने देख पा रहे हैं और उन सपनों को पूरा कर पा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कश्मीर के युवा अब चहल-पहल भरे बाजारों, जीवंत शॉपिंग मॉल और फलते-फूलते सिनेमा हॉल को देखकर खुश होते हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोग जम्मू-कश्मीर को फिल्म शूटिंग के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में पुनर्जीवित करने और इसे खेलों के केंद्र के रूप में विकसित करने की इच्छा रखते हैं। श्री मोदी ने माता खीर भवानी मेले का उदाहरण दिया, जहां हजारों श्रद्धालु एकत्रित हुए, जो जम्मू-कश्मीर के नए, आशावादी चेहरे को दर्शाता है। उन्होंने आगामी अमरनाथ यात्रा और ईद के उत्सव की भावना को भी उजागर किया, जो क्षेत्र के लचीलेपन और प्रगति को दर्शाता है। इस बात पर दृढ़ता से जोर देते हुए कि पहलगाम हमले से जम्मू-कश्मीर में विकास की गति नहीं डगमगाएगी, प्रधानमंत्री ने लोगों को आश्वस्त किया कि इस क्षेत्र के विकास में कोई बाधा नहीं आएगी, उन्होंने घोषणा की कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के सपनों को चुनौती देने वाली किसी भी बाधा का सामना उन्हें स्वयं करना होगा।

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि ठीक एक महीने पहले, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट कर दिया गया था। उन्होंने कहा, “जब भी पाकिस्तान ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा, उसे अपनी अपमानजनक हार की याद आएगी।” उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की सेना और आतंकी नेटवर्क ने भारत के इस साहसिक कदम की कभी कल्पना नहीं की थी और कुछ ही मिनटों में दशकों से उनके द्वारा बनाए गए आतंकी ढांचे को बर्बाद कर दिया गया। श्री मोदी ने कहा कि पाकिस्तान सदमे और हताशा में है और जम्मू, पुंछ और अन्य जिलों में निर्दोष नागरिकों को निशाना बना रहा है। उन्होंने पाकिस्तान के क्रूर हमलों की निंदा की और कहा कि दुनिया ने देखा कि कैसे उसने घरों को नष्ट कर दिया, स्कूलों और अस्पतालों पर बमबारी की और मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों पर गोलाबारी की। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की जीवंतता की सराहना करते हुए कहा कि पाकिस्तान की आक्रामकता का सामना करने में उनके साहस को हर भारतीय ने देखा है। उन्होंने कहा कि हर नागरिक पूरी शक्ति से प्रभावित परिवारों के साथ खड़ा है और यह अटूट समर्थन और एकजुटता सुनिश्चित करता है।

प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि सीमा पार से गोलीबारी के कारण अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों को पहले ही सरकारी सहायता के लिए नियुक्ति पत्र मिल चुके हैं। गोलाबारी से प्रभावित 2,000 से अधिक परिवारों द्वारा झेली जा रही कठिनाई के प्रति संवेदनशीलता जताते हुए श्री मोदी ने पुष्टि की कि उन लोगों की पीड़ा पूरे देश की पीड़ा है। उन्होंने कहा कि पहले उन्हें उनके घरों की मरम्मत के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गई थी, जिससे प्रभावित लोगों को राहत मिली। प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि केंद्र सरकार ने अब इस सहायता को बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे प्रभावित परिवारों को अधिक सहायता मिलेगी। प्रधानमंत्री ने उन परिवारों के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता की घोषणा की जिनके घर सीमा पार से गोलाबारी के कारण क्षतिग्रस्त हो गए थे। उन्होंने कहा कि गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त परिवारों को अब 2 लाख रुपये मिलेंगे, जबकि आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों को पहले दी गई सहायता के अलावा एक लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। श्री मोदी ने प्रभावित परिवारों के साथ खड़े रहने, उन्हें निरंतर राहत सुनिश्चित करने और उनके घरों और जीवन को फिर से खुशहाल बनाने में उनकी मदद करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

प्रधानमंत्री ने कहा, “सरकार सीमा पर रहने वाले लोगों को देश के अग्रिम पंक्ति का रक्षक मानती है।” उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में सीमावर्ती जिलों में विकास और सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। प्रमुख पहलों को रेखांकित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि लगभग 10,000 नए बंकरों का निर्माण किया गया है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद लोगों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर संभाग के लिए दो नई सीमा बटालियनों के गठन की घोषणा की, जिससे क्षेत्र में सुरक्षा अभियानों को और मजबूती मिलेगी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने बताया कि दो समर्पित महिला बटालियनों की भी सफलतापूर्वक स्थापना की गई है, जिससे रक्षा क्षमताओं को मजबूती मिली है और सशस्त्र बलों में महिलाओं को सशक्त बनाया गया है।

भारत के अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण इलाकों में हो रहे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि कनेक्टिविटी और सुरक्षा में सुधार के लिए अरबों रुपये का निवेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कठुआ-जम्मू राजमार्ग को छह लेन वाले एक्सप्रेसवे में अपग्रेड किया जा रहा है, जबकि अखनूर-पुंछ राजमार्ग को सुगम यात्रा की सुविधा के लिए चौड़ा किया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमावर्ती गांवों में विकास पहलों में तेजी लाई गई है, जिससे निवासियों के लिए बेहतर जीवन स्तर और अवसर सुनिश्चित हुए हैं। श्री मोदी ने उल्लेख किया कि जम्मू-कश्मीर के 400 गांव पहले खराब मौसमों में कनेक्टिविटी से वंचित रहते थे, अब उन गांवों के लिए 1,800 किलोमीटर नई सड़कें बना दी गई हैं। उन्होंने घोषणा की कि सरकार इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 4,200 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित कर रही है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में आर्थिक विकास और क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर के युवाओं से विशेष अपील की और उनसे भारत की विनिर्माण क्रांति में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत को प्रदर्शित किया और आज दुनिया भारत के रक्षा इको-सिस्टम को पहचान रही है। इस सफलता का श्रेय सशस्त्र बलों के ‘मेक इन इंडिया’ पर भरोसे को देते हुए कहा कि अब हर भारतीय को उनकी प्रतिबद्धता का अनुकरण करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के बजट में घोषित मिशन विनिर्माण पहल पर प्रकाश डाला, जिसका उद्देश्य भारत के विनिर्माण क्षेत्र में तेजी लाना है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के युवा नवोन्मेषकों और उद्यमियों से इस मिशन में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए भारत को उनकी आधुनिक सोच, नवोन्मेषक, विचारों और कौशल की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा कि भारत पिछले एक दशक में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में उभरा है और अगला लक्ष्य भारत को विश्व के शीर्ष रक्षा निर्यातकों में शामिल करना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत जितनी तेजी से इस लक्ष्य की ओर बढ़ेगा, उतने ही अधिक रोजगार के अवसर देश भर में पैदा होंगे और इससे लाखों लोगों को लाभ होगा।

प्रत्येक भारतीय से भारत में बने उत्पादों को प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता करने की अपील करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि ये उत्पाद देशवासियों की कड़ी मेहनत और समर्पण का सच्चा प्रतिबिंब हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत में बने उत्पादों का उपयोग करना राष्ट्र की वास्तविक सेवा है जिससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और श्रमिक सशक्त बनेंगे। प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि जिस तरह देश सीमाओं पर अपने सशस्त्र बलों का सम्मान करता है, उसी तरह उसे बाजार में भी ‘मेड इन इंडिया’ के गौरव को बनाए रखना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि देश की ताकत रक्षा और वाणिज्य दोनों में परिलक्षित हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भविष्य उज्ज्वल और समृद्ध है, क्योंकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर विकास की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करते हुए कि शांति और समृद्धि इस यात्रा का आधार बनी रहे, सहयोग और प्रगति की भावना पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से प्रेरित विकास पथ को मजबूत करने के अपने दृढ़ संकल्प को व्यक्त किया। उन्होंने विकसित भारत और विकसित जम्मू-कश्मीर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और दृढ़ संकल्प तथा एकता के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करने की बात की। श्री मोदी ने इन उल्लेखनीय परियोजनाओं के लिए लोगों को हार्दिक बधाई देते हुए, उन्नति की भावना की अपील के साथ अपने संबोधन का समापन किया।

इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला, केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, श्री वी. सोमन्ना और डॉ. जितेंद्र सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

चिनाब और अंजी रेल पुल

नदी से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित वास्तुकला का चमत्कार चिनाब रेल पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। यह 1,315 मीटर लंबा स्टील आर्च ब्रिज है जिसे भूकंप और तेज हवा की स्थिति में दृढता के साथ अडिग रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस पुल का एक प्रमुख लक्ष्य जम्मू और श्रीनगर के बीच संपर्क को बढ़ाना है। पुल पर चलने वाली वंदे भारत ट्रेन के ज़रिए कटरा और श्रीनगर के बीच यात्रा करने में सिर्फ़ 3 घंटे लगेंगे, जिससे विद्यमान यात्रा समय में 2-3 घंटे की कमी आएगी।

अंजी ब्रिज भारत का पहला केबल-स्टेड रेल ब्रिज है जो इस चुनौतीपूर्ण भूभाग में राष्ट्र की सेवा करेगा।

कनेक्टिविटी परियोजनाएं और अन्य विकास पहल

प्रधानमंत्री ने उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना को भी राष्ट्र को समर्पित किया। 272 किलोमीटर लंबी यूएसबीआरएल परियोजना, जिसका निर्माण लगभग 43,780 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है, में 36 सुरंगें (119 किलोमीटर तक फैली हुई) और 943 पुल शामिल हैं। यह परियोजना कश्मीर घाटी और देश के बाकी हिस्सों के बीच सभी मौसमों में निर्बाध रेल संपर्क स्थापित करती है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय गतिशीलता को बदलना और सामाजिक-आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री ने श्री माता वैष्णो देवी कटरा से श्रीनगर और वापस जाने वाली दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को भी झंडी दिखाई। ये ट्रेन निवासियों, पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और अन्य लोगों के लिए शीघ्र, आरामदायक और विश्वसनीय यात्रा विकल्प प्रदान करेंगी।

प्रधानमंत्री ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अंतिम मील तक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए कई सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग-701 पर राफियाबाद से कुपवाड़ा तक सड़क चौड़ीकरण परियोजना और एनएच-444 पर शोपियां बाईपास सड़क के निर्माण की आधारशिला रखी, जिसकी लागत 1,952 करोड़ रुपये से अधिक है। उन्होंने श्रीनगर में राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर संग्राम जंक्शन और राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर बेमिना जंक्शन पर दो फ्लाईओवर परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं से यातायात की भीड़ कम होगी और यात्रियों के लिए यातायात प्रवाह में सुधार होगा।

प्रधानमंत्री ने कटरा में 350 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस की आधारशिला भी रखी। यह रियासी जिले का पहला मेडिकल कॉलेज होगा जो इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान देगा

डॉ मनीष शुक्ल को पूर्वोत्तर अकादमी का साहित्य सम्मान

  • शिलांग में आयोजित 19वें राष्ट्रीय लेखक मिलन सम्मेलन में देशभर के चुनिन्दा साहित्यकारों का सम्मान

लखनऊ : पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी के 19वें राष्ट्रीय लेखक मिलन सम्मेलन में डॉ मनीष शुक्ल को डॉ महाराज कृष्ण जैन स्मृति हिन्दी सम्मान से नवाजा गया| मेघालय की राजधानी शिलोंग में आयोजित त्रि -दिवसीय 19वें राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के चुनिन्दा साहित्यकारों को हिंदी साहित्य के शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया l यह सम्मान मुख्य अतिथि प्रो. (श्रीमती) स्ट्रीमलेट डकार, खासी विभाग, पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविदयालय, शिलोंग ने प्रदान किया| समारोह में राज्यपाल के सचिव और आयुक्त शिलांग डॉ बी डी तिवारी ने पूर्वोत्तर के गैर हिन्दी भाषी राज्यों में भाषा के प्रचार के लिए संस्था के योगदान की सराहना की| पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी के सचिव व डॉ अकेला भाई प्रोग्रेसिव फाउंडेशन के संयोजक डॉ अकेला भाई ने देशभर से शामिल हुए लेखकों को साहित्य का गुलदस्ता करार दिया|

लखनऊ से डॉ मनीष को यह सम्मान विगत वर्षों में लेखन- पत्रकारिता समेत वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए प्रदान किया गया| इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के साहित्यकार डॉ प्रताप मोहन भारतीय, जगजोत सिंह, शांति कुमार स्याल, उड़ीसा से प्रोफेसर जयंत कर शर्मा, दिल्ली से कमला सिंह ज़ीनत, प्रोफेसर डॉ मोहम्मद शब्बीर, प्रयागराज से डॉ दिलीप अवस्थी, डॉ राम धीरज शुक्ल डॉ रवि भूषण मिजोरम विश्वविद्यालय के विभागध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार शर्मा आदि सम्मानित किए गए| 

पंडोगा के शांति कुमार स्याल साहित्य शिरोमणि सम्मान मानद उपाधि  से अलंकृत

मेघालय की राजधानी शिलोंग में हिंदी भाषा के विकास एवं संवर्धन को समर्पित पूर्वोत्तर हिंदी अकादमी, शिलॉग, के तत्वावधान में आयोजित त्रि -दिवसीय 19वें राष्ट्रीय लेखक मिलन शिविर (30 मई 2025 से 1 जून 2025 तक) में पंडोगा के वरिष्ठ साहित्यकार शांति कुमार स्याल को हिंदी साहित्य शिरोमणि सम्मान मानद उपाधि से सम्मानित किया गया l यह सम्मान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. (श्रीमती) स्ट्रीमलेट डकार, खासी विभाग, पूर्वोत्तर पर्वतीय  विश्वविदयालय, शिलोंग तथा उद्योगपति व समाजसेवी पवन टिबड़ेवाला  एवं प्रयागयाज के शिक्षाविद मदनमोहन शंखधर द्वारा प्रदान किया गया | स्याल को  यह उपाधि उनकी विगत वर्षों कि सम्पादित-कार्यान्वित विशिष्ट सेवाओं, वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य  में उत्कृष्ट उपलब्धियों तथा विविध साहित्यिक यात्राओं में सक्रिय रूप से सम्मिलित हेतु पॖदान किया गया| आप वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा एवं साहित्य के उन्नयन हेतु पूर्णत: समर्पित हैं| आप  भारत में हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक हैं | उल्लेखनीय है कि स्याल द्वारा अभी तक  विभिन्न विषयों पर चार दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैंl इनकी लेखनी अभी भी जारी है l  यह हिमाचल प्रदेश खासकर ऊना जनपद के हिंदी जगत लिए गौरव की बात है|   इस कार्यक्रम में हिंदी साहित्य में प्रेम और सदभावना के प्रसंग विषय पर संगोष्ठी का सत्र भी रखा गया था l संगोष्ठी के मुख्य वक्ता मिजोरम विश्वविद्यालय के विभागध्यक्ष प्रो. सुशील कुमार शर्मा ने कहा कि भाषा, साहित्य एवं संस्कृति किसी भी समाज का दर्पण होता है l प्रेम जीवन का आधार है प्रेम और सदभावना परस्पर पूरक है l प्रेम, सदभावना, त्याग सत्य, अहिंसा आदि मानव-मूल्यों का हमें अपने व्यवहार एवं कार्य संस्कृति में अनुपालन करना चाहिए l  अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक राज्यों के प्रीतिनिधियों ने गीत, नृत्य और भजन कि प्रस्तुति दी l अंतिम दिन पर्यटन शिविर के तहत रमणीय प्रसिद्द स्थल चिरापूंजी सहित अनेक स्थलों का अवलोकन किया गया l

विश्व पर्यावरण दिवस : प्लास्टिक मुक्त दुनियाँ की पहल

  • स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का राष्ट्रीय वेबिनार

नई दिल्ली : विश्व पर्यावरण दिवस पर स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) के सचिव श्री संजय कुमार ने 4 जून 2025 को शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा आयोजित “वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने” पर एक राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार की अध्यक्षता की। मिशन लाइफ के तहत इको क्लबों के तत्वावधान में आयोजित इस वेबिनार का उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और अन्य संबंधित पक्षों के बीच पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाना, प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या को संबोधित करना और सतत जीवनशैली को बढ़ावा देना था।

डीओएसईएल के सचिव श्री संजय कुमार ने दीर्घकालिक पारिस्थितिक जिम्मेदारी के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “पौधे लगाना ही पर्याप्त नहीं है; उनका जीवित रहना भी महत्वपूर्ण है।” उन्होंने छात्रों से पेड़ों की देखभाल करने और समुदायों को स्थिरता प्रयासों में शामिल करने का आग्रह किया, साथ ही खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स से उत्पन्न स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में भी चेतावनी दी।

इस सत्र में पर्यावरण शिक्षा केंद्र के निदेशक श्री कार्तिकेय वी. साराभाई ने प्लास्टिक प्रदूषण पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने अपशिष्ट प्रबंधन की एक समग्र रणनीति प्रस्तुत की, जो “कम करें, पुन: उपयोग करें, पुनर्चक्रण करें, अस्वीकार करें, पुनर्प्राप्त करें, पुनः उपहार दें, मरम्मत करें और पुनर्विचार करें” जैसे सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने आगे बताया कि पर्यावरण के प्रति जागरूक नागरिकों को विकसित करने के लिए स्कूल महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र हैं।

अपने समापन भाषण में, डीओएसईएल की संयुक्त सचिव डॉ. अमरप्रीत दुग्गल ने पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में वृक्षारोपण के महत्व पर जोर दिया, खासकर वर्तमान पारिस्थितिक चुनौतियों के मद्देनजर। एनसीईआरटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. चोंग शिमरे ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

वेबिनार को यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम किया गया, जिससे देश भर के छात्रों और शिक्षकों की व्यापक भागीदारी संभव हुई। स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग पर्यावरण शिक्षा और सक्रिय छात्र भागीदारी के प्रति अपनी व्यापक प्रतिबद्धता के तहत ऐसे प्रयासों को लगातार बढ़ावा देता आ रहा है, ताकि विद्यालय समुदाय जलवायु कार्रवाई, सतत विकास और पारिस्थितिकीय जिम्मेदारी के क्षेत्र में अग्रणी बना रहे।

तुर्की के विमानों की निगरानी

  • तुर्की एयरलाइंस को आईसीएओ मानकों और अनुशंसित प्रथाओं के साथ-साथ डीजीसीए नियमों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया

अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन सम्मेलन (आईसीएओ) के अनुच्छेद 16 के अनुसार, नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 29 मई 2025 से 2 जून 2025 तक दिल्ली, हैदराबाद, चेन्नई और बेंगलुरु में तुर्की एयरलाइंस के यात्री और कार्गो उड़ानों का सुरक्षा निरीक्षण और रैंप (एसओएफए/रैम्प) निरीक्षण किया।

ये निरीक्षण अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए किए गए।

मुख्य निष्कर्ष:

मार्शलर योग्यता:

• बेंगलुरु में, ग्राउंड ऑपरेशन को संभालने वाले मार्शलर के पास मार्शलिंग कार्यों के लिए उचित प्राधिकरण और वैध योग्यता कार्ड का अभाव था।

विमान रखरखाव:

विमान के आगमन के समय, विमान रखरखाव इंजीनियर (एएमई) उपलब्ध नहीं था, और आगमन प्रक्रिया को एक तकनीशियन द्वारा पूरा किया गया। मेसर्स एयरवर्क्स तुर्की एयरलाइंस के लिए अधिकृत इंजीनियरिंग सेवा प्रदाता है।

खतरनाक सामान का प्रबंधन:

कार्गो में खतरनाक सामान था जिसके लिए विस्फोटकों को भारत से/भारत में ले जाने के लिए डीजीसीए से अनुमति की आवश्यकता थी। यह न तो संलग्न पाया गया और न ही खतरनाक सामान घोषणा में इसका उल्लेख किया गया था।

4 ग्राउंड हैंडलिंग समझौता:

तुर्की एयरलाइंस और उसके ग्राउंड हैंडलिंग एजेंट (जीएचए) के बीच कोई सेवा स्तर समझौता (एसएलए) नहीं था। हैदराबाद और बेंगलुरु में सीढ़ी, स्टेप लैडर, ट्रॉली और ग्राउंड पावर यूनिट (जीपीयू) जैसे उपकरणों में उचित जवाबदेही और निगरानी का अभाव था, जहाँ ग्लोब ग्राउंड इंडिया सेलेबी से औपचारिक हैंडओवर के बिना ग्राउंड सेवाएँ प्रदान कर रहा था।

निष्कर्ष:

डीजीसीए भारतीय हवाई क्षेत्र में सभी विदेशी ऑपरेटरों की सुरक्षा और विनियामक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता पर जोर देता है। तुर्की एयरलाइंस को इन निष्कर्षों को तुरंत संबोधित करने और आईसीएओ मानकों और अनुशंसित प्रथाओं के साथ-साथ डीजीसीए विनियमों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

निरंतर सुरक्षा निगरानी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकतानुसार आगे भी अनुवर्ती निरीक्षण किए जाएंगे।

भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष पूर्ण श्रद्धा और समारोह के साथ सारनाथ पहुंचे

सारनाथ : भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष पारंपरिक मंत्रोच्चार, प्रार्थनाओं और अगाध श्रद्धा के साथ उत्तर प्रदेश के सारनाथ में मूलगंध कुटी विहार के पवित्र स्थल पर पहुंच गए हैं। ये अवशेष नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय से अपनी यात्रा प्रारंभ करके आज शाम करीब 5:00 बजे एक भव्य शोभायात्रा के साथ सारनाथ पहुंचे।

वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट श्री सत्येन्द्र कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने वीआईपी लाउंज में एक औपचारिक स्वागत समारोह में पवित्र अवशेषों को प्राप्त किया।

इन पवित्र अवशेषों को एक शोभायात्रा के रूप में सारनाथ ले जाया गया, जहां उत्तर प्रदेश पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। एनसीसी बैंड और कैडेटों ने भी पवित्र अवशेषों के स्वदेश आने पर उनके औपचारिक स्वागत समारोह में भाग लिया।

मूलगंध कुटी विहार में प्रार्थना करने और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए भिक्षुणियों और भिक्षुओं का एक बड़ा समूह यहां उपस्थित था।

मूलगंध कुटी विहार में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए परम पूज्य शिवाली भंते ने वियतनाम में अपने एक माह के अनुभव को साझा करते हुए प्रदर्शनी के प्रति श्रद्धालुजनों की जबरदस्त प्रतिक्रिया का उल्लेख किया।

इससे पूर्व, पवित्र अवशेष नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय से राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते में दिल्ली हवाई अड्डे के वीवीआईपी लाउंज के लिए रवाना हुए। वहां से उन्हें वाराणसी हवाई अड्डे के लिए रवाना किया गया, जहां से औपचारिक शोभायात्रा के साथ उन्हें सारनाथ स्थित उनके मूल गंतव्य स्थल तक ले जाया गया।

इस भव्य एवं ऐतिहासिक समारोह में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन के लिए भिक्षुओं, गणमान्यजनों, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के अधिकारियों तथा राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रतिनिधियों की एक बड़ी सभा उपस्थित थी।

भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश से निकटता से जुड़े सारनाथ स्थल में पवित्र अवशेषों का आगमन आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण क्षण है, तथा इससे वैश्विक बौद्ध समुदाय के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे।