Thursday, December 18, 2025
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संगाई फेस्टिवल : मणिपुर में होते हैं मिनी इंडिया के दर्शन

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प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर संगाई फेस्टिवल पर दी बधाई

मणिपुर संगाई फेस्टिवल के सफल आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी लोगों को बधाई दी।उन्होंने वीडियो सन्देश देते हुए कहा कि मणिपुर इतने प्राकृतिक सौन्दर्य, सांस्कृतिक समृद्धि और विविधता से भरा राज्य है कि हर कोई यहाँ एक बार जरूर आना चाहता है। जैसे अलग-अलग मणियाँ एक सूत्र में एक सुंदर माला बनाती हैं, मणिपुर भी वैसा ही है। इसीलिए, मणिपुर में हमें मिनी इंडिया के दर्शन होते हैं। आज अमृतकाल में देश ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ बढ़ रहा है। ऐसे में ”Festival of One-ness” की थीम पर संगाई फेस्टिवल का सफल आयोजन भविष्य के लिए हमें और ऊर्जा देगा, नई प्रेरणा देगा। संगाई, मणिपुर का स्टेट एनिमल तो है ही, साथ ही भारत की आस्था और मान्यताओं में भी इसका विशेष स्थान रहा है। इसलिए, संगाई फेस्टिवल भारत की जैविक विविधता को celebrate करने का एक उत्तम फेस्टिवल भी है। पीएम ने कहा कि कोरोना के चलते इस बार दो साल बाद संगाई फेस्टिवल का आयोजन हुआ। मुझे खुशी है कि, ये आयोजन पहले से और भी अधिक भव्य स्वरूप में सामने आया। ये मणिपुर के लोगों की स्पिरिट और जज्बे को दिखाता है। विशेष रूप से, मणिपुर सरकार ने जिस तरह से एक व्यापक विज़न के साथ इसका आयोजन किया, वो वाकई सराहनीय है।

कहानी गीत की : खोया खोया चाँद…

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खोया हुआ चाँद, कविराज शैलेन्द्र ढूंढकर लाए थे, जिसको मशहूर संगीतकार बर्मन दादा ढूढ़ रहे थे. फिल्म काला बाजार के लिए विजय आनन्द ने एस डी बर्मन और शैलेंद्र की जोड़ी को मौका दिया गया था. साहिर लुधियानवी से अलग होने के बाद मजरुह सुल्तानपुरी के साथ बर्मन दादा की जोड़ी जमती थी, लेकिन मजरुह सुल्तानपुरी अत्यंत व्यस्त होने के कारण बर्मन दादा ने कविराज को चुन लिया.

शैलेंद्र जी को गाना लिखने का समय नहीं मिल पा रहा था, शैलेन्द्र जी अत्यंत व्यस्त थे. बर्मन दादा की संगीत को लेकर दीवानगी देखने लायक होती थी. बर्मन दादा ने  अपने बेटे ‘पंचम दा ‘को शैलेंद्र के पास ये कहकर भेजा कि जब तक वो गाना न दे, घर वापस मत आना. कविराज को बोल देना आज ही गीत चाहिए, शैलेन्द्र जी के लिए एक गीत लिखना कोई मुश्किल कार्य नहीं था. कविराज ने वो गीत मिनटों में लिख दिया था. जिसके लिए वो जाने जाते थे.

महान संगीतकार  बर्मन दादा जितना बेहतरीन म्यूजिक बनाते थे उतने ही गुस्सैल तो थे, ही लेकिन अपने दौर में थोड़ा बुजुर्ग मिजाज़ के थे. धोती – कुर्ता पहनावे के साथ पान खाते हुए जब कुछ बोलते तो उनकी बात काटना किसी के बस की बात नहीं थी. सभी गीतकार, अभिनेता, फ़िल्मकार उनका बड़ा मान करते थे. ऐसे में उनके गुस्से का शिकार अक्सर उनके बेटे पंजम (राहुल देव बर्मन) को होना पड़ता है. बर्मन दादा कभी – कभार सीनियर की तरह डांटते, तो कभी – कभार बच्चों की तरह रूठ जाते थे. एक साक्षात्कार में ‘पंचमी दा’ ने बताया ” यूँ तो मेरे बाबा के साथ कई रोचक किस्से हैं, लेकिन बाबा को अपने ऊपर इतना विश्वास था कि वो किसी से कुछ भी कह देते थे. उनकी जुबां का हर कोई मान रखता था, लेकिन मुझे बाबा के लिए काम करना पड़ता था. एक बार बाबा के कारण आधी रात तक घर से बाहर गीतकार शैलेंद्र के साथ एक गाने के लिए घूमना पड़ा था”.

विजय (गोल्डी) आंनद, बर्मन दादा से पूछते दादा फिल्म के गीतों पर काम क्यों नहीं हो रहा. बर्मन दादा देव साहब की फ़िल्मों के प्रति जुनून को समझते थे,लेकिन शैलेंद्र थे कि गाना लिख ही नहीं रहे थे, उन दिनों शैलेंद्र दूसरी फिल्मों में व्यस्त चल रहे थे. बर्मन दादा परेशान थे कि कब शैलेंद्र गीत लिखकर देगा और कब गाना रिकॉर्ड होगा. हालाँकि गोल्डी, एवं देव साहब से व्यपारिक लहजे में नहीं कहा. बर्मन दादा ने ऑटोट्यून पहले ही बना ली थी, लेकिन गीत का अब तक कोई पता नहीं था. एक दिन गुस्से में सचिन दा ने पंचम को बुलाकर कहा कि ‘जा अभी शैलेन्द्र के घर और जब तक वो गाना लिख के न दे, तब तक वापस घर मत आना, अगर तुम खाली हाथ वापिस आए तो तुम्हें घर नहीं घुसने दूँगा”. पंचम दा’ अपने पिता बर्मन दादा के ऐसे गुस्से का कई बार शिकार होना पड़ता था.’ पंचम दा’  अपने बाबा की बात टाल नहीं सकते थे. अंततः वो कविराज शैलेंद्र जी के पास पहुंचे. शैलेन्द्र जी को पूरी बात बताई. शैलेंद्र जी हंसे बोले” पंचम अब दादा के लिए गीत लिखना ही पड़ेगा. तुम चिंता मत करो तुम्हें घर से निकाले जाने का कारण मैं नहीं बनना चाहता”.’ ‘पंचम दा’ को गाड़ी में बैठाया और कहा कि ‘चिंता मत करो मैं आज गाना दे दूंगा”.

गीतकार कविराज शैलेंद्र जी ने चंद मिनटों में लिखा ‘काला बाजार’ का चर्चित गाना ‘दोनों गाड़ी में बैठकर जयकिशन के स्टूडियो पहुंच गए. जयकिशन ने पंचम को देखकर छेड़ते हुए हुए कहा कि ‘क्या तुम्हारे पिताजी ने तुम्हें यहां धुन उठाने के लिए भेजा है. ’ तब शैलेंद्र ने उन्हें पूरी बात बताई. शंकर – जय किशनजी दोनों हंसकर बोले ‘शैलेंद्र जी भाई अब आपको लिखना ही पड़ेगा. शैलेन्द्र जी वहां अपना काम खत्म कर शाम में शंकर-जयकिशन के स्टूडियो से निकलकर पंचम के साथ फिर से गाड़ी में बैठ गए. इस दौरान शैलेंद्र लगातार सिगरेट पी रहे थे. शैलेंद्र ने ड्राइवर से नेशनल पार्क जाने को कहा. वहां घूमने हुए रात हो गई. फिर शैलेंद्र ने ड्राइवर से जुहू बीच चलने को कहा. गाड़ी में बैठे पंचम परेशान हो रहे थे.

जुहू बीच सुनसान पड़ा था. शैलेंद्र नंगे पैर टहलने लगे. शैलेंद्र ने इतनी सिगरेट पी ली थी कि उनकी माचिस ही खत्म हो गई थी. उन्होंने पंचम से माचिस मांगी तो वो घबरा गए, उन्हें लगा कि शैलेंद्र को पता है कि मैं सिगरेट पीता हूं. कहीं उन्होंने पिताजी को बता दिया तो बहुत डांट पड़ेगी. उसी समय शैलेंद्र ने कहा कि पंचम, बर्मन दादा की ट्यून क्या है? जरा बताओ तो ’ पंचम ने माचिस की डिब्बी पर ट्यून बजाते हुए गुनगुनाने लगे. शैलेंद्र ट्यून सुनते हुए कभी आसमान तो कभी समुद्र को देखते फिर उन्होंने सिगरेट फेंकते हुए कहा कि दादा को बोलना मैं सुबह पूरा गाना लेकर आउंगा. आख़िरकार ‘पंचम दा’ ने राहत की साँस ली. फिर शैलेंद्र उस ट्यून पर गुनगुनाने लगे- ‘खोया खोया चांद, खुला आसमान, आंखों में सारी रात जाएगी, तुमको भी कैसे नींद आयेगी’ पंचम ने तुरंत सिगरेट की मुड़ी हुई डिब्बी पर ये लाइन लिखा. और घर चले गए. जब वो घर पहुंचे तो बर्मन दादा सो गए थे. सुबह उन्होंने पंचम को उठाते हुए पूछा कि ‘ऐ पंचम, गाना किधर है’ पंचम ने वो लाइन दादा को सुनाई बर्मन दादा को को लाइन पसंद आई. बर्मन दादा बोले ” मुझे यकीन था कि शैलेन्द्र के लिए एक गीत लिखना कोई बड़ा कार्य नहीं है. पूरा गीत सुबह लेकर कविराज शैलेन्द्र जी बर्मन दादा के घर पहुंचे. फिल्म काला बाजार में देव साहब और वहीदा रहमान पर फ़िल्माया गया था. फिल्म और इसके गाने सुपरडुबर हिट रहे थे. इस सुपरहिट गीत को महान गायक मुहम्मद रफ़ी साहब ने अपनी आवाज से नवाजा था.

इसके बाद बर्मन दादा शैलेन्द्र जी के साथ भी खूब काम करने लगे थे. इस टीम ने कुछ सालों बाद फिल्म गाइड के लिए साथ काम किया था. गाइड फिल्म में एक एतिहासिक गीत “वहाँ कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा जहां’ लिखा था,कि वो एक ऐतिहासिक फिल्म गाइड का वो गीत बर्मन दादा के लिए याद किया जाता है.

शैलेन्द्र जी का लिखा एक यादगार नगमा

खोया-खोया चांद, खुला आसमां

आँखों में सारी रात जाएगी

तुमको भी कैसे नींद आएगी, हो

खोया-खोया …

मस्ती भरी, हवा जो चली

खिल-खिल गई, ये दिल की कली

मन की गली में है खलबली

कि उनको तो बुलाओ, ओ हो …

खोया-खोया चांद …

तारे चले, नज़ारे चले

संग-संग मेरे वो सारे चले

चारों तरफ़ इशारे चले

किसी के तो हो जाओ, ओ हो …

खोया-खोया चांद …

ऐसी ही रात, भीगी सी रात

हाथों में हाथ, होते वो साथ

कह लेते उनसे दिल की ये बात

अब तो ना सताओ, ओ हो …

खोया-खोया चांद …

हम मिट चले, जिनके लिये

बिन कुछ कहे, वो चुप-चुप रहे

कोई ज़रा ये उनसे कहे

न ऐसे आजमाओ, ओ हो …

खोया-खोया चांद …

पहले सपा के गुंडों के कब्जे में रहते थे रामपुर के बूथ : बृजेश

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उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने किया प्रभावी मतदाता सम्मेलन को संबोधित

लखनऊ/रामपुर 29 नवंबर 2022। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक ने कहा कि रामपुर में पहले चुनाव नहीं होते थे। रामपुर के बूथों और थानों पर सपा के गुंडों का कब्जा रहता था। लेकिन, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार बनने के बाद रामपुर में कानून का राज स्थापित हुआ। अब गुंडें या तो जेल में हैं या फिर उत्तर प्रदेश छोड चुके हैं। उन्होंने रामपुर के वायलिन उद्योग को भी दुनिया के आसमान में चमकाने की बात कही। श्री बृजेश पाठक मंगलवार को रामपुर में अयोजित मतदाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक ने कहा कि सपा ने रामपुर को अराजकता का अड्डा बना दिया था। लेकिन, भाजपा रामपुर को विकास की नई ऊंचाईयों पर लेकर जाना चाहती है। वह इसलिए, क्योंकि रामपुर का इतिहास स्वर्णिम रहा है। जो आजादी से मेल खाता है। लेकिन, सपा ने गुंडागर्दी के जरिए रामपुर को बर्बाद कर दिया। 2012 से 2017 के बीच सपाईयों का यह नारा कि “खाली प्लाट हमारा” बहुत प्रचलित था। स्थिति यह थी कि सपा की गाडी में जितना बडा झंडा होता था, उस गाडी में उतना बडा गुंडा होता था। लेकिन, उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद रामपुर में कानून का राज स्थापित हुआ। गुंडे या तो जेल में हैं या फिर उत्तर प्रदेश छोडकर जा चुके हैं। उन्होंने सबका साथ- सबका विकास व सबका विश्वास की नीति के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान योजना समेत तमाम केन्द्र सरकार व प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं पर चर्चा करते हुए कहा कि जब रामपुर के लाभार्थियों की लिस्ट देखी जा रही थी, तो उसमें यह देखा गया कि रामपुर में सभी वर्गों के साथ अल्पसंख्यक वर्ग को भी सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिला है।

श्री पाठक ने कहा कि रामपुर में पहले चुनाव नहीं होता था। क्योंकि, रामपुर के बूथों से लेकर थाने तक सपा के गुंडों का कब्जा होता था। सपा के गुंडे पुलिस की वर्दी फाड देते थे। भाजपा की सरकार आने के बाद प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ है। योगी सरकार ने रामपुर को एक जिला एक उत्पाद के मामले में आगे रखा है। हम चाहते हैं कि रामपुर के वायलिन की धुन एक बार फिर दुनिया के आसमान में गूंजे। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को अधिक से अधिक वोटों से जिताने की अपील की।

राहुल के बयान के बाद साथ नजर आए गहलोत- पायलेट

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के बयान के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मंगलवार को एक एक साथ नजर आए! राजस्थान कांग्रेस के दोनों दिग्गजों के बीच हुए हालिया विवाद के बाद ये पहला मौका था जब दोनों साथ आए नजर! दोनों ही नेता जयपुर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा  को लेकर हुई बैठक में पहुंचे थे! गौरतलब है राहुल गांधी ने हाल में दोनों नेताओं को पार्टी की संपत्ति बताया था!

इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा कि हम दोनों सम्मानित नेता हैं. उन्होंने बोला कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट कांग्रेस की संपत्ति हैं, तो हम हैं! मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी जिस रूप में यात्रा को लेकर चल पड़े हैं इससे पूरे देश के अंदर एक नई आशा की किरण जगी है. आने वाले दिनों में यात्रा तो समाप्त हो जाएगी, लेकिन देश के अंदर जो तनाव और हिंसा का माहौल है, वो चुनौती है. इसे लेकर जो मुद्दा राहुल गांधी ने पकड़ा है उसे पूरे देश ने स्वीकार किया है! इस बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. जिसमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट और केसी वेणुगोपाल  समेत कई नेता मौजूद रहे!

मीडिया चौपाल 2022 : 500 मीडियाकर्मियों को संचार का पाठ पढाएंगे तीन दिग्गज कुलपति

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मीडिया चौपाल 2022 में देश भर से आने वाले मीडियाकर्मियों को पत्रकारिता का पाठ प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के तीन कुलपति पढ़ाएंगे! 02 से 04 दिसम्बर 2022 तक एनआईटीटीटीआर, चंडीगढ़ में आयोजित ‘मीडिया चौपाल’ लगभग 500 संचारकर्मी, संचारविदों को इन वरिष्ठ गुरुओं का सानिध्य एवं मार्गदर्शन प्राप्त होगा! और भारत की स्वतंत्रता के अमृतकाल में संचार की भूमिका को अत्यधिक अर्थपूर्ण बनाने के लिए बुद्धिजीवी मंथन करेंगे।

चौपाल के पहले दिन, 02 दिसंबर (शुक्रवार) को ‘अमृतकाल में संचार-शिक्षा : भारतीय दृष्टि’ विषय पर ‘अकादमिक चौपाल’ होगा। इसमें हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद् के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ; कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा ; माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. के. जी. सुरेश का सान्निध्य और मार्गदर्शन प्राप्त होगा। ‘मीडिया चौपाल’ का आरम्भ 21वीं सदी के दूसरे दशक में तब हुआ, जब मीडिया में स्पष्ट बिखराव दिखायी देने लगा था और मीडिया हाउस का एकाधिकार सा उत्पन्न हो गया था। इसी समय के दौरान नव-संचार माध्यम जनतांत्रिक भाव से जनाकांक्षाओं की पूर्ति करने का कार्य करने में जुट गये थे। इस संक्रांति काल ने अकादमिक जगत में मीडिया की शिक्षा और अनुसंधान को भी प्रभावित किया। ऐसे में अकादमिक जनसंचार अनुसंधान में भारतीय दृष्टि का समन्वय करना गंभीर रूप से चिंतनीय विषय था। ‘मीडिया चौपाल’ में तब से लेकर आज तक भारतोन्मुखी नव-नवीन विषयों पर विमर्श हो रहा है। इस वर्ष पत्रकारिता से जुड़े कुलपतियों की सहभागिता और सान्निध्य जनसंचार में नये विमर्श और नये मुद्दों को गति प्रदान करेगा।

राहुल के बयान के बाद साथ नजर आए गहलोत- पायलेट

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के बयान के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट मंगलवार को एक एक साथ नजर आए! राजस्थान कांग्रेस के दोनों दिग्गजों के बीच हुए हालिया विवाद के बाद ये पहला मौका था जब दोनों साथ आए नजर! दोनों ही नेता जयपुर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा  को लेकर हुई बैठक में पहुंचे थे! गौरतलब है राहुल गांधी ने हाल में दोनों नेताओं को पार्टी की संपत्ति बताया था!

इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा कि हम दोनों सम्मानित नेता हैं. उन्होंने बोला कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट कांग्रेस की संपत्ति हैं, तो हम हैं! मुख्यमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी जिस रूप में यात्रा को लेकर चल पड़े हैं इससे पूरे देश के अंदर एक नई आशा की किरण जगी है. आने वाले दिनों में यात्रा तो समाप्त हो जाएगी, लेकिन देश के अंदर जो तनाव और हिंसा का माहौल है, वो चुनौती है. इसे लेकर जो मुद्दा राहुल गांधी ने पकड़ा है उसे पूरे देश ने स्वीकार किया है! इस बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई. जिसमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट और केसी वेणुगोपाल  समेत कई नेता मौजूद रहे!

चीन एलएसी के पास भारत- अमेरिका का ‘युद्धाभ्यास’

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भारत और अमेरिका की सेनाओं की साझा एक्सरसाइज ‘युद्धाभ्यास’ औली में चल रही है! युद्धाभ्यास के 18वें संस्करण की शुरूआत 16 नवंबर को हुई थी! प्रैक्टिस के के आखिरी हफ्ते में दोनों देशों की सेनाएं हाई-ऑल्टिट्यूड एरिया में माउंटेन वॉरफेयर के रणकौशल को धार देने में जुटी हैं! चीन की लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) महज 90 किलोमीटर की दूरी पर सेना अपना सलाना अभ्यास कर रही है! दो दिसंबर को क्लोजिंग अभ्यास की  सेरेमनी है! युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय सैनिकों ने अन-आर्मड कॉम्बैट यानि बिना हथियार के लड़ने की ड्रिल दिखाई. भारतीय सेना अब बिना हथियार के लड़ने के लिए खासा मशक्कत कर रही है. क्योंकि गलवान घाटी की हिंसा के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच गन, राइफल और गोलियों से लड़ाई नहीं हुई थी बल्कि हाथ-पैर, डंडों और तेजधार हथियारों से एक दूसरे पर हमला किया था. इस दौरान अमेरिकी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की इस कला को बेहद करीब से देखा!

एनआईटीटीटीआर-चंडीगढ़ में लगेगा मीडिया चौपाल- 2022

‘मीडिया चौपाल’ संचारकर्मियों के वैचारिक आदान-प्रदान का एक सशक्त माध्यम है। मीडिया और समाज के सम्बन्धों को सुदृढ़ बनाने के लिए वर्ष 2012 में ‘मीडिया चौपाल’ की शुरुआत हुई थी। तब से यह चौपाल अलग-अलग जगह लग रहा है और संचारविदों के ज्ञान एवं अनुभव से सबको लाभान्वित कर रहा है। इस वर्ष के ‘मीडिया चौपाल’ का आयोजन दि. 02 से 04 दिसंबर, 2022 को राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईटीटीटीआर) चंडीगढ़ में होगा और विचार-विमर्श का केन्द्रीय विषय “अमृतकाल में भारत अभ्युदय : चुनौतियाँ एवं संकल्प” है।

इस चौपाल में लद्दाख से लक्षद्वीप तक के संचारक शामिल होंगे। ‘मीडिया चौपाल’ का प्रमुख उद्देश्य है – नेटवर्किंग, क्षमता संवर्धन और सशक्तिकरण के साथ-साथ संचार के सिद्धांत, प्रक्रिया और प्रारूपों के भारतीयकरण एवं मानवीयकरण, समाजीकरण और सकारात्मकता की ओर उन्मुख करना। इस तीन दिवसीय मीडिया चौपाल में लगभग 10 विमर्श सत्रों के साथ-साथ मीडिया प्रदर्शनी और पुस्तक प्रदर्शनी होगी।

इस आयोजन में देश भर के 500 से अधिक संचारक (मीडिया पर्सन्स), फिल्म एवं कला जगत की नामचीन हस्तियाँ, सम्पादक, लेखक, साहित्य और जनमत को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण लोग शामिल होंगे l

‘मीडिया चौपाल-2022’ में होने वाले विमर्श के आधार पर मीडिया का भारतीयकरण एवं उसे लोकमंगलकारी बनाने का प्रयत्न करना इस आयोजन का उद्देश्य है। कुलमिलाकर ‘मीडिया चौपाल’ में होने वाला विमर्श मीडिया जगत के लिए नये आयाम और नये द्वार खोलेगा।

विदित हो कि देश अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है। ऐसे में स्वतन्त्रता के इस ‘अमृत महोत्सव’ काल को संचार की दृष्टि से समझने के लिए इस वर्ष का विषय “अमृतकाल में भारत अभ्युदय : चुनौतियाँ एवं संकल्प” प्रासंगिक हो जाता है। यह जानकारी मीडिया चौपाल की टीम में शामिल आशुतोष सिंह, सुश्री चन्द्रकान्ता. सुश्री हर्षिता व डॉ. आनंद पाटील ने दी!

हिंदी का परचम : क्रांतिधरा मेरठ साहित्यिक महोत्सव की नेपाल, ब्रिटेन, जापान से रूस तक गूंज

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तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण का हुआ भव्य आगाज़ , समस्त भारत सहित नेपाल, ब्रिटेन, जापान, आष्ट्रीया, रूस की साहित्यिक विभूतियों की सहभागिता रही, संचालन डा रामगोपाल भारतीय ने किया। सरस्वती वंदना सुषमा सवेरा द्वारा की गई।

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहयोग से बृहस्पति भवन में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जापान की वरिष्ठ हिन्दी सेवी डा रमा पूर्णिमा शर्मा रहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, श्रीगोपाल नारसन, श्रीमति जय वर्मा ब्रिटेन, हयग्रीव आचार्य नेपाल और रूस से श्वेता सिंह ऊमा रही।

कार्यक्रम के अध्यक्ष  चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष डा नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि हिन्दी को रोजगार की भाषा बनाने पर जोर देना होगा और अपनी आनेवाली पीढी को भी अनिवार्य रूप से हिन्दी से जोडने ँके साथ भाषा उत्थान के लिए जमीनी स्तर पर ईमानदारी से कार्य किया जाना चाहिए ।

तीन दिवसीय आयोजन के प्रथम दिन के दूसरे सत्र में हिन्दी के वैश्विक स्थति विषय पर परिचर्चा हुई जिसका संचालन हिन्दी विभाग की डा अंजु सिंह ने किया और वक्ता के रूप में डा विदूषी शर्मा, प्रदीप देवीशरण भट्ट, डा अशोक मैत्रेय, डा ईश्वर चंद गंभीर रहे ।

तृतीय सत्र डिजिटल क्रांति में पुस्तकों से दूरी विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें श्रीगोपाल नारसन, आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री, डा विदूषी शर्मा, डा सुबोध कुमार गर्ग, मनीष शुक्ला वक्ता के रूप में शामिल रहे।

चतुर्थ सत्र मे अंतरराष्ट्रीय मुशायरा हुआ जिसकी सदारत रियाज सागर ने की, मुशायरे मे अतिथि के रूप में विएना आस्ट्रीया से सुनीता चावला रहीं,  वरिष्ठ शायर किशन स्वरूप,  अनुराग मिश्र गैर, के. के भसीन, डा अमर पंकज, सुंदर लाल मेहरानीयां, डा रामगोपाल भारतीय, दिलदार देहलवी, अनिमेष शर्मा, मनोज फगवाड़वी, सपना अहसास, देवेंद्र शर्मा देव, फ़करी मेरठी, मुकर्रर अदना, मुक्ता शर्मा आदि  ने शिरकत की।

प्रथम दिन के समापन पर आयोजक पूनम पंडित ने कहा कि संस्थान के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक महोत्सव व पुस्तक प्रदर्शनी आदि आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना के साथ देश दुनियां में साहित्य, संस्कृति , आध्यात्म , योग के माध्यम से दिलो को दिलो से जोड़ना, एक दूसरे के लेखन व शोध से रूबरू कराना, अनुवाद , प्रकाशन , विचारों के आदान प्रदान, परस्पर सहयोग की भावना , पठन – पाठन व साहित्य के दायरे का विस्तार और नवोदित व गुमनाम कलमकार बन्धुओ को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना हैं और मेरठ की सकारात्मक छवि देश दुनिया के सामने लेकर आना है ।

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के अंतर्गत चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वृहस्पति भवन में दूसरे दिवस पर

प्रथम सत्र में लघुकथा सत्र का आयोजन किया गया, जिसका संचालन प्रमुख शिक्षाविद् डॉ सुधाकर आशावादी ने किया।

जिसके अंतर्गत  मुज्जफ्फर नगर कांधला की डॉ शिखा कौशिक ‘नूतन’ के ‘लघुकथा संग्रह काली सोच’ का विमोचन किया गया और उनके द्वारा प्रेम की अभिव्यक्ति लघुकथा का वाचन किया गया। डाक्टर शिखा ने प्रेम की अभिव्यक्ति लघुकथा के माध्यम से लघुकथा के क्लेवर को प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा कि वास्तव में लघुकथा मंद मंद बहती सरिता नहीं वरन् झरने की भांति तीव्रता से प्रवाहित होते हुए चरम तक पहुंचने वाली विधा है। गाजियाबाद से पधारे डाक्टर बलराम अग्रवाल, नेपाल के डॉ पुष्कराज भट्ट, दिल्ली की अलका शर्मा ने भी सत्र में अपने विचार व्यक्त किए।

    दिवतीय सत्र में क्रांतिधरा मेरठ का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर चर्चा हुई, जिसका संचालन एयरफोर्स से सेवानिवृत्त इतिहासकार ए के गांधी ने किया। डा गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर मेरठ ने बहुत सारा प्रभाव छोड़ा है।

आजादी पाने का प्रस्ताव सबसे पहले मेरठ के विक्टोरिया पार्क में ही पास किया गया था । विक्टोरिया पार्क की जेल में ही 85 विद्रोही सैनिकों को कैद कर रखा गया था ।

 श्रीजी नृत्य नाटिका की संचालिका और राम सहाय इंटर कालेज मेरठ की एक्टिविटी हैड अनुराधा शर्मा ने कहा कि मेरठ विविधता में एकता लिए है, जहां पर हिंदू, मुस्लिम,सिख, ईसाई,जैन और बौद्ध धर्म सभी के अनुयाई रहते हैं। उन्होंने अपने बचपन के अनुभव भी श्रोताओं के साथ साझा किए और बच्चों को संस्कार देने पर बल दिया

इतिहासकार के. के शर्मा ने अपनी शुरुआत इन शब्दों से की-इबादत की तरह मैं काम करता हूं। मेरा उसूल है सबसे पहले शहीदों को सलाम करता हूं। उन्होंने मेरठ से उठी क्रांति की ज्वाला को विस्तार से जानकारी देते हुए कहा मंगल पांडे का मेरठ से कोई नाता नहीं रहा है,वे कलकत्ता के बैरकपुर में तैनात थे जो मेरठ के क्रांतिकारियों की प्रेरणा का प्रमुख कारण बने। उन्होंने बताया कि पहले 10 मई को मेरठ में शहीद दिवस मनाया जाता था, परंतु अब इसे क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले 20 वीं पैदल सेना के सिपाहियों ने विद्रोह की शुरुआत की।

     कार्यक्रम में शामिल कवि एवं भजन लेखक नरेंद्र त्यागी ने प्रश्न किया कि हम प भारत  इतिहास ही पढ़ते आए हैं। नया इतिहास अब तक आएगा ॽ इसका उत्तर देते हुए के के शर्मा ने कहा कि इतिहास नहीं बदला जा सकता, परंतु इतिहास में दृष्टि होती है।मोदी सरकार इस पर कार्य कर रही है। निकट भविष्य में इसके परिणाम देखने को मिलेंगे।

      रिटायर डीएसपी जी सी शर्मा ने अंग्रेजों के अत्याचारों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मुराद नगर से लगे पांच गांव अंग्रेजों ने बागी घोषित कर दिए थे। और उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित किया जाता था। वास्तव में देखा जाए तो आजादी की अलख जगाने वाले ये किसान ही थे। उन्होंने कहा कि इन गांवों को क्रांति ग्राम घोषित किया जाना चाहिए,ये ऐसे आदर्श गांव बने जहां से कोई भी सरकारी योजना इन्ही गांवों से लागू हो,जो ओरो के लिए प्रेरणा स्रोत बनें। उन्होंने बागपत के बसोड गांवों पर अंग्रेजों के जुल्मों की जिक्र किया जिसमें शाहमल किसान नेता पर अत्याचारों को सुनकर श्रोताओं के रोंगटे खड़े हो गए।

    इतिहासकार विघ्नेश त्यागी ने बताया कि कैसे मेरठ से 1857 की क्रांति की कैसे तैयारी की गई, कैसे भड़की और पल्लवित हुई। मेरठ का नाम कैसे मयराष्ट्र से अपभ्रंश होकर मेरठ बना इसकी बहुत ही सुन्दर जानकारी दी।

अंग्रेज इसे मीरथ लिखा करते थे। उन्होंने बताया कि मेरठ खड़ी भाषा की जन्म स्थली है।   उन्होंने बताया कि इस्माईल मेरठी के नाम पर इस्माईल नाम से कई कालेज बनें है जो मुस्लिम लीग के वाईस प्रेसिडेंट थे। उन्होंने फिल्मों में मेरठ के योगदान के बारे में भी बताते हुए कहा कि बरसात की एक रात के हीरो भारत भूषण और राम तेरी गंगा मैली की हिरोइन मंदाकिनी आदि का मेरठ से नाता रहा है।

  तृतीय सत्र में भारतीय संस्कृति-नदियां-समाज की भूमिका पर परिचर्चा आयोजित की गई । इसमें मुख्य वक्ता हरियाणा के सिरसा से पधारे पर्यावरणविद रमेश गोयल ने जल बचाने पर पुरजोर देते हुए कहा कि यदि हम जल की ऐसे ही बर्बादी करते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब पानी राशन में मिलेगा

उन्होंने बताया कि जल संरक्षण पर उन्होंने हनुमान चालीसा की तर्ज पर जल चालीसा लिखीं हैं,जो कार्यक्रम में शामिल सभी व्यक्तियों को निःशुल्क दी गई। जिसका अंतिम दोहा है-

कूएं नदियां बावड़ी,जब लौं जल भरपूर।

तब लौं जीवन सुख भरा,बरसे चहुं दिस नूर।।

जल बचाव अभियान की,मन में लिए उमंग।

आओ सब मिलकर चलें, रमेश गोयल के संग।।

    कार्यक्रम में मेरठ के प्रख्यात चित्रकार जसवंत सिंह माथुरी की ऊं के माध्यम से तूलिका से उकेरी गई मंत्र मुग्ध करने वाली रामायण एक आलौकिक यात्रा की चित्रकारी पत्रिका भी सभी उपस्थित श्रोताओं को वितरित की गई।

    भोजनावकाश के पश्चात पत्रकारिता, आमजन-एक फासला विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई, जिसका संचालन मेरठ के यशस्वी साहित्यकार डाक्टर राम गोपाल भारतीय ने किया। परिचर्चा का शुभारंभ करते हुए  दैनिक जनवाणी के मुख्य संवाददाता ज्ञान प्रकाश ने कहा कि अमर उजाला के संपादक राजेंद्र सिंह ने कि लोगों के जीवन को मोबाइल कंज्यूम कर रहा है। उन्होंने बताया कि 1780, में बंगाल से पत्रकारिता शुरू हुई और 1826 में पहला हिंदी समाचार पत्र निकला,जो ब्रिटिश राज के अधीन थे ।

संपादकों को काफी यातनाएं झेलनी पड़ती थी। उदारीकरण और ग्लोबलाइजेशन ने पत्रकारिता को मीडिया में बदल दिया। अब चौबीस घंटे खबरिया चैनल चल रहें हैं। उन्होंने कहा कि बदलाव ही जीवन है और ठहराव मृत्यु। गूगल एआई से चलता है परन्तु प्रिंट अखबार की विश्वसनीयता ज्यादा है।

पत्रकारिता अब प्रोफेशन में बदल गई है,जिसके सामने कई चुनौतियां हैं। कुछ दूरियां बढ़ी हैं जो नहीं पहचानते कि पाठकों की जरूरत क्या हैं ,जो मिट सकती हैं। लोग अखबारों को पढ़कर विचार धारा तय करते हैं। जिस दिन पत्रकारिता का आम जनता से फासला बढ़ेगा उस दिन अखबार खत्म हो जाएगा।

      हिन्दुस्तान अखबार के संपादक सूर्य कांत द्विवेदी ने

कहा लोग  विज्ञप्ति द्वारा झूठी खबरें अखबारों में छपने के लिए भेजते हैं, ऐसे में अखबार कई तरीकों से छानबीन कर सही खबर का चयन कर छापते हैं। यह बात कार्यक्रम में उपस्थित नरेंद्र त्यागी के द्वारा समाचार पत्रों पर लगाए गए आरोप कि अखबारों में खबर जुगाड से छपती हैं प्रश्न के जवाब में कही।

       उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता साहित्य की एक विधा है। पहले साहित्य पर अच्छी पकड़ वाले ही संपादक हुआ करतें थे। और राजनेताओं को भी साहित्यिक भाषा की पूरी जानकारी होती थी उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता से आमजन के फासले का कारण मिथ्याचरण है।

उन्होंने बताया कि अखबार 15 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व करता है जबकि 85 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि हमारे बोलने से समाज पर क्या फर्क पड़ेगा अर्थात् कुछ नही जो ग़लत सोच है।

      उन्होंने कहा कि अखबार भावनाओं को प्रदर्शित करने का सशक्त माध्यम है,जो अपनी नहीं आमजन की स्थानीय भाषा का प्रयोग करता है, जैसे विद्युत चली गई के स्थान पर अखबार बिजली या बत्ती गुल हो गई लिखता है।

उन्होंने कहा कि आमजन की हर पीड़ा में अखबार आपके साथ है। साथ ही अख़बार को जिम्मेदारी है कि वह सकारात्मक सोच रखें और सबका प्रतिनिधित्व करें।

    परिचर्चा का समापन करते हुए दैनिक जागरण के संपादक रवि तिवारी ने कार्यक्रम संचालन डॉ राम गोपाल भारतीय द्वारा यह कहे जाने पर कि कवियों को लिखने के लिए अखबारों से मसाला मिल जाता है,पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि हमारी मेहनत को मसाला तो मत कहो। उन्होंने पत्रकारिता में निहित बातों को बहुत ही सुन्दर ढंग से समझाया और अखबार और पाठकों को पूरक कोण की संज्ञा देते हुए कहा कि जैसे पूरन कोण तभी बनता है जब दोनों रेखाएं आपस में मिलती है।

वैसे ही अख़बार के अस्तित्व के लिए पत्रकार और पाठकों का  एक दूसरे से  जुड़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सूचना क्रांति के वर्तमान युग में जो चलता है, वहीं टिकता है और वही बिकता है। यह उक्ति अखबारों पर पूर्णतया लागू होती।

      उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय आधार पर अखबारों की भाषा बदलती रहती है जैसे लखनऊ में चौपला लिखा जाएगा तो मेरठ के अखबार में चौराहा। भारतीय सैनिकों को शहीद लिखा जाएगा जबकि पाकिस्तानी सैनिकों के लिए ढेर शब्द। भारतीय खिलाड़ियों के लिए जीत की संभावना तो पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिए जीतने की आशंका ।

पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि अब लोगों में पढ़ने का दायरा सिमटता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जीवन में पढ़ना छोड़ देंगे तो क्या यह जाएगा।

   उन्होंने कहा कि आज सूचना सबके पास है, लेकिन सूचना के आयाम क्या हैं। ये समाचारपत्र देता है। इस अवसर पर लखनऊ के पत्रकार मनीष कुमार शुक्ल की पुस्तक ‘न्यूज रूम का चाट मसाला’ का भी विमोचन हुआ। इसके साथ साथ नरेंद्र कुमार त्यागी नीर को दो पुस्तकों-भक्ती धारा भजन संग्रह और द बाउंसर 2022 मूक अभिव्यक्ति तथा योगेश कुमार धीर पथिक की सचित्र गीता एवं सरल पाठ का भी विमोचन किया गया।

कार्यक्रम के अंतिम पंचम सत्र में अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका सफल संचालन मेरठ महिला काव्य मंच की अध्यक्ष सुषमा सवेरा ने किया । जिसमें मेरठ के यशपाल कौत्सायन, नरेंद्र कुमार त्यागी नीर सत्यपाल सत्यम,डोरी लाल भास्कर, रितिक कुमार ठाकुर, मुक्ता शर्मा, हिमानी शर्मा, सुषमा सवेरा, प्रमोद मिश्र निर्मल तथा नेपाल के हयग्रीव आचार्य, माधव पोखरेल, हेमंत ढुंगेल, किशन पौडेल आदि ने काव्य पाठ कर श्रोताओं को काव्य गंगा में डुबकी लगवाई।

क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा हिन्दी विभाग चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के सहयोग से तीन दिवसीय मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल के छठे संस्करण के तीसरे दिन भी चौ चरणसिंह विश्वविद्यालय के बृहस्पति भवन में अनेक सत्रों का आयोजन किया गया।

मेरठ लिटरेरी फ़ेस्टिवल तृतीय दिवस के प्रथम सत्र में कवि प्रवीण कुमार के कविता संग्रह ‘नियंता नहीं हो तुम’ का विमोचन किया गया। विमोचन सत्र की अध्यक्षता कर रहे सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ धनंजय सिंह ने कहा कि-कवि प्रवीण कुमार प्रकृति के उपासक कवि हैं।वह कुदरत की व्यवस्था में मानवीय हस्तक्षेप को अनुचित मानते हैं। कविता संग्रह की शीर्षक कविता में वह मानव जाति को स्पष्ट रूप से यह संदेश देते हैं कि-वह स्वयं को इस जगत् का नियंता न समझे।पृथ्वी पर मौजूद अन्य जीवों-वनस्पतियों की तरह वह भी एक जीव मात्र है।वह न इस ब्रह्मांड की व्यवस्था का और न ही जीव जगत का नियंत्रक है।

कविता संग्रह पर बोलते हुए दूसरे वक्ता प्रख्यात गीतकार डॉ रमेश कुमार भदौरिया ने कहा कि-प्रवीण कुमार अपनी कविताओं में सिर्फ़ वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण की ही बात नहीं कर रहे हैं।अपितु वह आज के मनुष्य के  मन में व्याप्त प्रदूषण को भी परत-दर-परत उजागर कर रहे हैं।कवि प्रवीण कुमार व्यवस्था से लेकर समाज में फैले हर तरह के प्रदूषण से आम जन को मुक्ति दिलाना चाहते हैं।

इस अवसर पर प्रखर आलोचक डॉ नीरज कुमार मिश्र ने कविता-संग्रह में संकलित कविताओं की गहराई से पड़ताल करते हुए कहा कि-प्रवीण कुमार अपने आस-पास घटित हो रही घटनाओं पर सजग निगाह बनाए रखते हैं और अपनी रचनाओं में विसंगतियों पर करारा प्रहार करते हैं।यही वजह है कि उनकी कविताओं में कोरोना की विभीषिका से लेकर भूमंडलीकरण, पूँजीवाद और बाज़ार के प्रभाव से समाज में व्याप्त निराशा,हताशा और अकेलेपन की गूंज-अनगूंज को महसूस किया जा सकता है।उन्होंने आगे कहा कि मेरी  नज़र  में प्रवीण कुमार प्रेम की भाषा को जानने-समझने वाले कवि हैं।

उनकी कविता ” अबूझ पहेली जैसा प्रेम ” को पढ़कर आपको हिंदी के कई बड़े कवि याद आ जायेंगे।उन्होंने कबीर,तुलसी,जायसी,बोधा, बिहारी,मुक्तिबोध, अज्ञेय जैसे अनेक कवियों की कविताओं के माध्यम से इस कविता में निहित प्रेम के अनेक शेड्स पर अपनी बात रखी। संकलन में शामिल कई कविताओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी प्रेम कविताएँ वही लिख सकता है,जिसने प्रेम किया भी हो और प्रेम को जिया भी हो। इस अवसर पर कवि प्रवीण कुमार ने अपनी दो कविताएँ ‘मिट्टी का मोल’ व ‘अबूझ पहेली जैसा प्रेम’ सुनाई जो उपस्थित श्रोताओं को बेहद पसंद आईं।

कार्यक्रम का संचालन ब्रज राज किशोर ‘राहगीर’ ने किया।

मेरठ लिटरेरी फ़ेस्टिवल में अहम भूमिका निभा रहे चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो नवीन चंद्र लोहनी ने सभी मेहमानों का आभार व्यक्त किया ।

मेरठ लिटरेरी फेस्टीवल में देश-विदेश से आए सैकड़ों साहित्यकारों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। सत्र के उपरांत हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो नवीन चंद्र लोहनी  ने विश्वविद्यालय परिसर में निर्मित ‘पंडित मदन मोहन मालवीय साहित्य कुटीर’ का भ्रमण कराया। उक्त कुटीर में हिंदी के महान साहित्यकारों की प्रतिमाएँ अवस्थित हैं। उक्त कुटीर की कल्पना साहित्य के मंदिर जैसी है।

साक्षात्कार सत्र में ब्रिटेन के नाटिंघम से पधारी वरिष्ठ हिंदी जय वर्मा और मुरादाबाद से वरिष्ठ साहित्यकार डा महेश दिवाकर का साक्षात्कार रहा, जिसका संचालन चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में शिक्षक सहायक डॉ विद्यासागर सिंह ने किया।

श्रीमती जया वर्मा ने कहा कि साक्षात्कार एक दूसरे के विचार जानने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि साहित्य लोगों को आपस में जोड़ना सिखाता है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रवासी साहित्य की सबसे पहले चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने शुरुआत कराई। उन्होंने कहा कि प्रवासी साहित्य खूब लिखा जा रहा है उन्होंने कहा कि प्रवासी साहित्य में सबसे बड़ी बाधा उसके प्रकाशित कराने की रही है। उन्होंने अपनी बात  फांसी के समय शहीद भगत सिंह की मां को संबोधित इन पंक्तियों का पाठ करते हुए की-

-मां आंसू मत गिरा। भगतसिंह की मां है तू।

हंस कर मुझे दे विदाई। एक शहीद की मां है तू।

कार्यक्रम में हिन्दुस्तान स्काउट गाइड एसोशिएशन के द्वारा विशेष रूप से उपस्थिति दर्ज की गई, हिन्दुस्तान स्काउट गाईड के प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों के नेतृत्व में शार्पन पब्लिक स्कूल इंचौली के बच्चों ने बीच बीच में सुंदर तालियां बजाने एक सुंदर प्रस्तुति दी। जिसमें प्रिंसिपल कंचन का प्रोत्साहन रहा।

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक महाकुंभ के समापन समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ चिंतामणि जोशी ने साहित्यिक की परिभाषा देते हुए कहा कि जो समाज के हित की सोचें वही है साहित्य। जो जीव भाव में स्थित की कामना करें। इसके लिए प्रेरित होता है। शब्दों को हार में पिरोकर जो जीवन के रेगिस्तान में अमृत वर्षा करता है , जो जात पात,ऊंच-नीच,काल, स्थान से परे होता है,ऐसी विलक्षण प्रतिभा कोई भी हो सकता है। वह सामान्य व्यक्ति नहीं होता है।

शिष्टाचार काव्य की पंक्तियों से ही प्राप्त होता है और व्यवहार का ज्ञान भी कवि के काव्य से प्राप्त होता है। कवि संसार से  नश्वर शरीर छोड़ने के बाद भी अपने यश से जीवित रहता है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में दिल्ली से विशेष तौर पर आंमत्रित राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय में सहायक निदेशक डा रघुवीर शर्मा ने देश विदेश में हिन्दी लेखन व प्रचार प्रसार संबंधित अपने अनुभव साझा किए।

विशिष्ट अतिथि गाजियाबाद से पर्यावरणविद् विजयपाल बघेल ने अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाने पर बल देते हुए कहा कि आक्सीजन बनाने का काम केवल पेड़ ही करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति पेड़ का औसत कम है जबकि पर्यावरण को जिंदा रखने के लिए एक आदमी पर 500 पेड़ होने चाहिए। उन्होंने बताया कि हमें हर तीन से पांच सेकंड में सांस लेने के लिए आक्सीजन की आवश्यकता है,जो कारखाने में नहीं बनाई जा सकती, यह केवल पेड़ों से ही मिल सकती है।समापन समारोह में मुरादाबाद के वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी, रमेश कुमार भदौरिया, जय भारत मंच के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र शर्मा, पूर्व कमिश्नर आर के भटनागर, राम चरित मानस पर पीएचडी धारक डॉ पी सी शर्मा, प्रदीप देवीशरण भट्ट अधीक्षक खादी ग्रामोद्योग आयोग हैदराबाद, ब्रजराज किशोर राहगीर, योगेश धीर, हेमंत सक्सैना, आशीष त्यागी, सुनील कुमार शर्मा, डा राजीव रस्तौगी, वरूण शर्मा, कविता मधुर, दिनेश कुमार शांडिल्य, सुरेश चंद शर्मा, डा ईश्वर चंद गंभीर, सिलचर, असम से डा कृष्णा सिंह की गरिमापूर्ण उपस्थिति रही।

अंत में डाक्टर महेश दिवाकर ने मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन समाज को जोड़ने के लिए आवश्यक हैं।

समापन सत्र में मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल आयोजक डॉ विजय पंडित और पूनम पंडित के एक संकल्प, हम सभी  नई शुरुआत करेंगे – अच्छा लिखेंगे, अच्छा पढ़ेंगे और लेखन के माध्यम से समाज को जोडेंगे, साथ ही समाज को एक नई राह दिखाएंगे, डा विजय पंडित यह भी कहा कि वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में नवोदित व गुमनाम कलमकारों को एक अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराना उनका मुख्य उद्देश्य है, समाज में कलमकारों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है जब वह एक शिक्षक, पत्रकार, कवि और साहित्यकार होता है लोग उनसे समाज को नई राह दिखाने की उम्मीद रखते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य एक दीपक का कार्य करता है जो समाज को एक नई राह दिखाता है और मेरठ लिटरेरी फेस्टिवल समाज को निश्चित रूप से एक नई राह दिखाएगा। कार्यक्रम का समापन कवयित्री कविता मधुर जी के नेतृत्व में राष्ट्रगान जन गण मन के सामूहिक गान से हुआ।

पहले नौकरी निकलती थी तो चाचा-भतीजे वसूली पर निकल पड़ते थे : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ/मैनपुरी। महात्मा विदुर, महर्षि श्रृंगी और महर्षि वेदव्यास की तपोभूमि मैनपुरी नया इतिहास लिखने जा रही है। पहले जब युवाओं के लिए नौकरी निकलती थी तब वसूली के लिए चाचा अलग और भतीजे अलग निकल पड़ते थे। शोषण होता था युवाओं का और बदनाम होता था इटावा और मैनपुरी। अब मैनपुरी के लोग एक परिवार की विरासत से निकलकर ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की परंपरा का पालन करने वाली भारतीय जनता पार्टी की जीत का इतिहास बनाने वाले हैं।

ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को करहल के नरसिंह यादव इंटर कॉलेज मैदान में बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य के समर्थन में आयोजित जनसभा के दौरान कही। उन्होंने मैनपुरी की धरती से मुलायम सिंह यादव को नमन करते हुए कहा कि नेताजी ने 2014 में ही संसद में कह दिया था कि अब भाजपा ही आएगी। नेताजी के आशीर्वाद का परिणाम था कि हमने आजमगढ़ और रामपुर में सपा के परंपरागत सीटों को ध्वस्त करते हुए भारी बहुमत से जीत हासिल की और अब मैनपुरी भी हम जीतने जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने सपा पर सीधे सीधे हमला बोलते हुए कहा कि कुछ लोग सेक्युलरिज्म के नारे लगाते हैं और समाजवाद की बात करते हैं, मगर काम केवल परिवारवाद का करते हैं। उन्हें सब परिवार का ही चाहिए। सांसद, मंत्री, विधायक यहां तक कि ब्लॉक प्रमुख भी परिवार का ही होना चाहिए। अखिलेश यादव पर जुबानी हमला करते हुए सीएम योगी ने कहा कि उन्हें अपने मित्रमंडली से फुर्सत मिले तब तो वो जनता के बीच आएं। वह केवल मैनपुरी की जनता की भावनाओं को बहकाने आते हैं।

ये नया उत्तर प्रदेश है…

मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां से कई बार चुनाव जीतने वाले नेताओं ने जनता के साथ छल करके बंगले बना लिए, मगर मैनपुरी इटावा के गरीबों के मकान तो दूर उनकी जमीनों पर ही कब्जा हो गया। गरीबों की संपत्ति पर जिसने कब्जा किया, उनकी सम्पत्ति जब्त करके उसपर हम गरीबों का मकान बनवा रहे हैं। माफिया की जमीन जब्त की जा रही है। जिसने भी गरीबों की जमीन हड़पने की जुर्रत की उसे ब्याज सहित चुकता करना पड़ेगा। आज प्रदेश में सुरक्षा का बेहतर माहौल बना है। खनन और भू माफिया कभी यहां गरीबों और व्यापारियों की संपत्तियों पर कब्जा करते थे, आज उन्हें पता है कि जो कब्जा किया है वो तो जाएगा ही, साथ में बाप दादा की संपत्ति भी चली जाएगी। ये नया उत्तर प्रदेश है, जो गरीब, किसान, बहन-बेटियों की सुरक्षा और स्वाभिमान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। ये दंगामुक्त प्रदेश कानून के राज पर विश्वास करता है। 

गरीबों को दिये 45 लाख पक्के मकान

मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा के शासन में ना गरीबों को कभी शौचालय मिला, ना रसोई गैस कनेक्शन और ना ही बिजली कनेक्शन। मगर भाजपा शासन में जाति, मत, मजहब, पंथ के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। आज प्रदेश के हर गरीब को बिना भेद भाव के पक्के मकान दिये जा रहे हैं। हमने अबतक 45 लाख पक्के मकान गरीबों को दिया है। साथ ही 10 लाख मकान बनकर तैयार हैं जिन्हें हम गरीबों को देने जा रहे हैं।

बिना भेदभाव के नौकरी मिलती है

सीएम ने कहा कि आज हर जाति का नौजवान बिना पैसे दिये सरकारी नौकरी और शासन की योजनाओं को प्राप्त कर रहा है। पहले नौकरी निकलती थी तो चाचा अलग निकल पड़ते थे वसूली के लिए और भतीजे अलग निकल पड़ते थे। शोषण होता था नौजवानों का, बदमान होता था इटावा और मैनपुरी। आज बिना भेदभाव के नौकरी मिलती है।

चाचा शिवपाल को कुर्सी के हैंडिल पर बैठना पड़ा

मुख्यमंत्री ने शिवपाल यादव की स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आज उनकी हालत पेंडुलम की तरह हो गयी है। बेचारे को पिछली बार कितना बेइज्जत किया गया। कुर्सी तक नहीं मिली, कुर्सी के हैंडिल पर बैठना पड़ा। आज जो लोग फुटबॉल बने हुए हैं उन्हें सम्मान और स्वाभिमान के लिए काम करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे यहां जाति, मत और मजहब का भेद नहीं। कोई भी कार्यकर्ता किसी भी पद पर जा सकता है। कोई भी किसी एक खास परिवार का नहीं है। अलग अलग परिवार और मत-मजहब, जाति के होने के बावजूद हम एक भाजपा परिवार हैं और मैं भाजपा परिवार में मैनपुरी को मिलाने आया हूं।

अयोध्या जैसा ही होगा मैनपुरी का विकास

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। अयोध्या के विकास के लिए आज 30 हजार करोड़ की परियोजनाएं चल रही है। विकास की ऐसी ही प्रक्रिया आपके क्षेत्र में भी आगे बढ़ेगी। इसके लिए अच्छे लोगों को चुनना होगा, अवसरवादियों को नहीं। केवल चुनाव के समय नातेदारी गढ़ने वालों के साथ नहीं, बल्कि हर समय आपके सुख दुख में खड़े होने वाले को चुनना होगा।

मैनपुरी को तय करना है अपना भविष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने रघुराज सिंह शाक्य के कार्यों को बहुत नजदीक से देखा है। संसद में हम साथी थे। अपने क्षेत्र के विकास के लिए वे लगातार कार्य करते रहे हैं। आज वे आपके बीच में हैं। अब मैनपुरी को तय करना है कि वो किसी परिवार की विरासत नहीं, बल्कि एक सामान्य कार्यकर्ता के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ेगा।

‘बिसलरी’ छोड़कर लोगों की हीरो बन रही जयंती  

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जयंती चौहान रातों रात देश भर में चर्चा का विषय बन चुकी हैं! कारण है उनका फैसला! बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड की चेयरपर्सन जयंती ने 7000 करोड़ रुपए में बिकने जा रही बिसलेरी  को छोड़ने का फैसला कर सबको चौंका दिया है! अब उन्होंने अपने फैसले को सही ठहराते हुए लिंक्डइन प्रोफाइल पर सिर्फ एक लाइन लिखकर अपने दिल की बात कह दी। जिसके बाद लोगों का जीवन का प्रति नजरिया बदल सकता है!

जयंती ने लिखा “हर कहानी के दो पहलू होते हैं”। उन्होंने अपनी इस एक लाइन से उन तमाम लोगों को जवाब दे दिया, जो कंपनी के बिकने के लिए उन्हें दोषी बता रहे हैं। जयंती ने स्पष्ट तौर पर तो कुछ नहीं लिखा, लेकिन उनके पोस्ट के कयास लगाए जा रहा है कि वो अपने दम पर अपनी पहचान बनाना चाहती हैं। बिसलेरी बिकने की सिर्फ एक वजह सामने आई है, जो रमेश चौहान ने बताई है। लोगों को इंतजार हैं कि कब जयंती अपना वर्जन लोगों के सामने रखेंगी।

जयंती ने अपने लिंक्डइन प्रोफाइन पर एक और पोस्ट लिखा, जिसमें उन्होंने अपने पिता के साथ अपनी फोटो शेयर की । उन्होंने लिखा कि- ” मेरा वर्जन जाने बिना ही मुझे प्रस्तुत किया जा रहा है।” जयंती ने बिना कुछ कहे उन मीडिया रिपोर्ट्स पर नाराजगी जताई, जिसमें बिसलेरी छोड़ने के उनके फैसले को लेकर उन्हें विलेन के रूप में दिखाया जा रहा है। पिता से विरासत में मिली कंपनी को उन्होंने 14 सालों तक सफलता से चलाया है। जब वो मजह 24 साल की थीं, तब से ही बिसलेरी में अहम पदों पर जिम्मेदारियां संभाल रही हैं। दिल्ली-मुंबई में बिसलेरी की ऑफिस शुरू करने के अलावा कंपनी के मार्केटिंग, एडवर्टाइजमेंट , ब्रांड प्रमोशन, सेल्स की जिम्मेदारी जयंती संभालती हैं। बिसलेरी को इंटरनेशनल ब्रांड बनाने वाली जयंती हैं। इन सबके के बाद अगर वो इस कंपनी से अलग हो रही हैं तो जरूर कोई बड़ी वजह होगी। जिस कंपनी को उन्होंने पिता के साथ कंधे से कंधे मिलाकर अब तक चलाया अगर उसे छोड़ रही हैं तो कोई वाजिब कारण होगा। ऐसे में ये कहना कि उनकी रूचि नहीं है या वो काम नहीं करना चाहती, ये गलत होगा। जयंती के पोस्ट पर लोगों के रिएक्शन की बाढ़ आ गई है। लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा -जिस कंपनी को जयंती इतने सालों तक संभालती रहीं, अब ये कहना कि वो उसे संभालना नहीं चाहतीं या फिर उसके बिकने के लिए वो जिम्मेदार हैं, ये सही नहीं है। लोग उनके फैसले पर उनके साथ खड़े दिख रहे हैं और उनके फैसले का सम्मान कर रहे हैं। फैशन डिजाइनिंग और स्टाइलिंग में महारथ रखने वाली जयंती हो सकता है अपना नया कारोबार शुरू करें।